चैंपियन श्रीकांत

By: Jun 27th, 2017 12:05 am

जहां तक भारत में खेलों का संदर्भ है, तो क्रिकेट के लिए भारतीयों के तमाम उल्लास, पूजा-पाठ और तनाव हैं। क्रिकेट हमारा आर्थिक खेल भी है, क्योंकि हम उसी स्तर पर उसकी हिफाजत करना चाहते हैं। बेशक हमारा राष्ट्रीय खेल हाकी है, लेकिन उसकी बौनी सी चर्चा होती है। क्रिकेट की बड़ी प्रतियोगिताओं के दौरान गली-मोहल्ले में सन्नाटा पसरा देखा जा सकता है, क्योंकि लोग टीवी पर प्रसारित हो रहे क्रिकेट मुकाबलों को सांस रोक देख रहे होते हैं, लेकिन इन दिनों बैडमिंटन के खेल ने दुनिया के स्तर पर भारत का गौरव और सम्मान बढ़ाया है। भारत के चैंपियन खिलाडि़यों ने चीन के एकाधिकार और वर्चस्व को तोड़ा है। विश्व और ओलंपिक चैंपियनों में चीन के चेन लोंग और लिन डैन की अजेयता का खौफ समाप्त किया है। भारत को चैंपियन देश बनाया है। इस संदर्भ में किदांबी श्रीकांत को सलाम करना चाहिए। श्रीकांत ने आस्ट्रेलिया ओपन सुपर सीरीज के फाइनल में मौजूदा ओलंपिक चैंपियन चेन झोंग को 22-20, 21-16 से पराजित कर खिताब जीता। इससे एक सप्ताह पहले ही श्रीकांत ने इंडोनेशिया ओपन का खिताब जीता था। उससे कुछ पहले भी वह फाइनल में पहुंच कर ठिठक गए थे और खिताब से खाली रहे, लेकिन श्रीकांत ने चाइना ओपन से आस्ट्रेलियन ओपन तक विश्व स्तर के खिताब हासिल किए हैं। दुखद और विडंबना यह है कि महज एक खबर के अलावा कोई सम्मान नहीं, पैसा नहीं, समारोह और प्रायोजक भी नगण्य हैं। भारतीय बैडमिंडन में इन खिताबों को जीतने वाले श्रीकांत प्रथम पुरुष खिलाड़ी हैं। महिलाओं में सायना नेहवाल ने ऐसे खूब विश्व खिताब जीते और वर्ल्ड में नंबर एक के पायदान तक पहुंचीं। बेशक चोटों और इलाज के बाद आज उनकी फार्म पहले जैसी नहीं है, लेकिन उनकी परंपरा को पीवी सिंधु आगे बढ़ा रही हैं। ओलंपिक में पहली बार रजत पदक जीतने वाली सिंधु वर्ल्ड रैंकिंग में तीसरे स्थान पर हैं और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों को पराजित करती रही हैं। भारत में बैडमिंटन का खेल प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपी चंद तक ही सीमित था। इन दोनों ने ही बैडमिंटन के सर्वोच्च सम्मान वाले ‘ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप’ के खिताब जीते थे, लेकिन आज श्रीकांत के अलावा बी. साई प्रणीत, एचएस प्रणय आदि भारतीय खिलाड़ी विश्व स्तर के हैं। इसी साल सिंगापुर सुपर सीरीज का फाइनल ऐसा था, जिसमें श्रीकांत और प्रणीत दोनों ही भारतीय थे। तब  श्रीकांत जीत नहीं पाए थे। सिर्फ एक चरण पार करना शेष है। श्रीकांत या उनके साथियों में से कोई भी खिलाड़ी ऑल  इंग्लैंड, विश्व या ओलंपिक के खिताब जीतेगा, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में बैडमिंटन लगातार बढ़ रहा है। इसका श्रेय पुलेला गोपीचंद को भी जाता है, क्योंकि  ये विश्व स्तरीय खिलाड़ी उन्हीं की अकादमी में गढ़े गए हैं। श्रीकांत 2015 में वर्ल्ड की तीसरी रैंकिंग पर भी रह चुके हैं। अब इन खिताबों के बाद अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन संघ नई रैंकिंग जारी करेगा। बेशक श्रीकांत एक ऊंची छलांग लगाएंगे, लेकिन इस टिप्पणी का हमारा मकसद यह है कि भारत ‘गुलामों के खेल’ तक सीमित न रहे, टीवी चैनल सिर्फ क्रिकेट ही भौंकते न रहें और सरकार भी नए खेलों और उभरते खिलाडि़यों को पहचान दे। अंततः श्रीकांत सरीखों की जीत के मायने हैं कि भारत देश चैंपियन है।

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