जीएसटी…टेंशन, टेंशन और सिर्फ टेंशन

By: Jun 29th, 2017 12:05 am

पहली जुलाई से देश भर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने जा रही केंद्र सरकार बेशक इसके लिए तैयार हो, लेकिन व्यापारी वर्ग इसके लिए बिलकुल तैयार नजर नहीं आ रहा है। मजेदार बात यह है कि जीएसटी को लेकर फैली भ्रांतियों को लेकर अगर व्यापारी संबंधित महकमे से पूछताछ कर भी रहे हैं तो उन्हें विभागीय अधिकारी भी संतुष्ट करते नजर नहीं आ रहे हैं। दरअसल अभी तक व्यापारियों को जीएसटी नंबर तक नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में व्यापारी इस बात को लेकर उधेड़बुन में हैं कि पहली जुलाई से बिना जीएसटी नंबर ट्रेडिंग कैसे करेंगे।  ‘दिव्य हिमाचल’ ने जब जीएसटी पर विभिन्न व्यापारियों की राय जानी तो उनके दिल की उलझनें यूं बाहर निकलीं…

छोटे प्रदेशों के साथ भेदभाव

जनरल स्टोर के मालिक नरेश शर्मा ने कहा कि बेशक केंद्र सरकार ने छोटे व्यापारियों को जीएसटी में छूट देने का दावा किया है, लेकिन पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में सालाना दस लाख रुपए का व्यापार करने वाले व्यापारी ही इस दायरे से बाहर आएंगे। इस व्यवस्था के तहत तो अधिकांश छोटे व्यापारी भी जीएसटी के दायरे में आ रहे हैं। हालांकि पड़ोसी राज्य पंजाब में बीस लाख तक सालाना व्यापार करने वाले व्यापारियों को जीएसटी में छूट दी गई है। छोटे प्रदेशों के साथ यह भेदभाव है। टैक्स स्लैब से उलझन जनरल गुड्स मर्चेंट के मालिक अमित पुरी ने कहा कि जीएसटी में बनाए गए टैक्स स्लैब उलझन पैदा करने वाले हैं। कम कीमत वाले जूते व कपड़े पांच प्रतिशत टैक्स स्लैब में रखे हैं तो बिस्कुट पर अठारह प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। इससे व्यापारी ही उलझन में हैं कि अब अपना पहले वाला व्यापार ही जारी रखें या फिर नया व्यापार करें। टैक्स स्लैब पर सरकार को पुनर्विचार करना ही चाहिए।

अभी तक नहीं मिला जीएसटी नंबर

हिमाचल गुड्स ट्रांसपोर्ट के मालिक अनिल गर्ग ने कहा कि केंद्र सरकार पहली जुलाई से जीएसटी तो लागू करने जा रही है, लेकिन अभी तक अधिकांश व्यापारियों को जीएसटी नंबर ही नहीं मिले हैं। ऐसे में व्यापारी परेशान हैं। जीएसटी नंबर के लिए एक ही वेबसाइट है और वह भी कार्य नहीं कर पा रही। कब जीएसटी नंबर आएगा और कब व्यापारी बिल बुकें छपवाएंगे, ऐसी कई समस्याएं हैं जो इन दिनों व्यापारियों को परेशान कर रही हैं।

उलझाते हैं जीएसटी के प्रावधान

कोल्ड ड्रिंक्स डीलर अविनाश विद्रोही ने कहा कि जीएसटी में कई शंकाएं ऐसी हैं, जिनका अभी तक समाधान नहीं किया गया है। पहले कई व्यापारी एक चालान काटकर गाड़ी में माल लोड कर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित दुकानों पर जाकर मांग अनुरूप माल बेच लेते थे, लेकिन अब जीएसटी के तहत यह कहा जा रहा है कि जिस पार्टी का माल है, उसके नाम का बिल भी होना चाहिए। ऐसे तो व्यापार प्रभावित होगा।

बार-बार रिटर्न भरने का झंझट

सीमेंट एवं कपड़ा व्यापारी प्राणनाथ ने कहा कि जीएसटी को लेकर कई भ्रांतियां फैली हैं, लेकिन जब व्यापारी इसे समझ लेंगे तो व्यापार करना और आसान होगा। जीएसटी से बार-बार रिटर्न फाइल करने से झंझट से भी मुक्ति मिलेगी और व्यापार का ब्यौरा रखना पहले से आसान होगा। इससे टैक्स चोरी रोकने में भी मदद मिलेगी और सरकार के पास ज्यादा टैक्स जमा होने से जनता को सुविधाएं भी ज्यादा मिलेंगी।

कारोबारियों को पूरी जानकारी नहीं

दवा विक्रेता सरोज शर्मा ने कहा कि जीएसटी लागू करने को लेकर सरकार द्वारा दिखाई जा रही तत्परता जल्दबाजी ही कही जाएगी। चाहिए तो यह था कि पहले व्यापारियों को जीएसटी नंबर वितरित किए जाते और व्यापारियों को जीएसटी की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई जाती। हकीकत यही है कि अभी संबंधित विभाग के अधिकारी भी जीएसटी से पूरी तरह से वाकिफ नहीं हैं।

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