तपते-ठिठुरते देनी पड़ती है ड्यूटी

By: Jun 24th, 2017 12:01 am

प्रदेश में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के लिए नहीं विशेष इंतजाम

मटौर  – प्रदेश की सड़कों पर रोजना करीब 800 ट्रैफिक पुलिस कर्मी ड्यूटी देते हैं। गर्मी हो, बरसात का या फिर कड़ाके की ठंड, इनके लिए ड्यूटी के दौरान हालात हमेशा एक जैसे रहते हैं। ‘दिव्य हिमाचल’ ने एक माह से विभिन्न चौराहों, और अन्य जगहों पर कुछ देर खड़े रहकर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ड्यूटी, उनके हालात और उनकी मजबूरी को जाना। यह जानकर बड़ी हैरानी हुई कि मुख्य शहरों के अलावा इन पुलिस जवानों को खड़े होने के लिए जगह तक नहीं होती। 42 डिग्री जैसे तापमान में जहां ट्रैफिक लाइट पर हम बाइक या स्कूटर पर एक मिनट खड़े होकर भी परेशान हो जाते हैं, वहां ये लगातार खड़े होकर ड्यूटी देते हैं। इनके लिए गुमटी जैसी कोई व्यवस्था नहीं होती, जहां वे पानी की बोटल या फिर टिफन साथ रख सकें। सिर्फ राजधानी शिमला की मात्र ऐसा शहर है, जहां इनके लिए गुमटियां बनाई गई हैं। जब बरसात होती है इन पुलिस कर्मियों को तो पूरा-पूरा दिन भीगी हुई वर्दी पहने ड्यूटी देनी पड़ती है। कभी आसपास किसी किसी पेड़ या शेड का सहारा लें भी लें तो जाम जैसे हालात बन जाते हैं। खासकर जब भी कोई वीआईपी मूवमेंट हो तब तो एक पल भी वे जगह को नहीं छोड़ सकते।

लाइट्स से हो सकता है ट्रैफिक कंट्रोल

सवाल उठता है कि जहां चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों का ट्रैफिक मात्र लाइट्स से कंट्रोल हो जाता है तो यहां ऐसा क्यों नहीं हो सकता? ट्रैफिक के जो मुख्य प्वाइंट हैं, वहां गुमटियां क्यों नहीं बनाई जातीं या फिर बड़े शहरों की तर्ज पर बरसात से बचने के लिए इनके लिए विशेष किस्म की हैट वाली वाटर पू्रफ जैकेट क्यों नहीं दी जाती?

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