पत्थरबाजों की खैर नहीं
(सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल )
जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से सेना पर पत्थर फेंकने की अजीबो गरीब और घिनौनी सी परंपरा बन चुकी है। हैरानी होती है देखकर कि जो सैनिक जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश की आबादी की रक्षा के लिए तैनात हैं, ये लोग उन्हीं पर पत्थर बरसाते हैं। इन बेईमान लोगों से अपनी हिफाजत के लिए सेना को जो भी कदम उठाने पड़ें, उसे उठाने चाहिएं। सैन्य कार्रवाई को बाधित करने या किसी दूसरी स्थिति में स्थानीय लोग आपके ऊपर पत्थर फेंके तो पत्थर का जवाब ईंट से दें। बचाव के लिए सेना ने जिस पत्थरबाज को जीप के आगे बांध कर शहर में घुमाया था, उस फौजी कमांडर को सेना प्रमुख ने सम्मानित किया है। इस कार्य से फौज का मनोबल यकीनन ऊंचा होगा। सारा देश अपनी सेना के कार्य से प्रसन्न है। केवल राजनीतिक पैंतरेबाजों को ही सेना में खामियां नजर आने लगती हैं। इसी कारण कभी कोई तथाकथित नेता सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा देता है या कोई सेना प्रमुख की तुलना जनरल डायर या गली के गुंडे से कर देता है। इन लोगों को समझना चाहिए कि देश की सेना देश का सम्मान है और इसके साथ किसी भी स्थिति में समझौता नहीं किया जा सकता। सेना के खिलाफ कड़वे वचन बोलने वालों का जनता को भी पूरा हिसाब रखना चाहिए और वक्त आने पर इन्हें सही सबक भी सिखाना चाहिए। बेहतर यही होगा कि ये लोग खुद भी इस बात को समझ लें।
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