पर्यटन सीजन में हिमाचल जाम
सैलानी हिमाचल की खूबसूरत छटाओं के दीदार के लिए बड़े उत्साह से यहां पहुचते हैं, लेकिन जब उनका सामना ट्रैफिक जाम से होता है, तो सारा उत्साह काफूर हो जाता है…
पहाड़ी राज्य हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ से इन दिनों पूरी तरह से हांफ रही हैं। हिमाचल के अपने लाखों वाहनों के अलावा प्रदेश की सड़कों पर इन दिनों बाहरी राज्यों से सैलानियों के वाहन हजारों की तादाद में पहुंच रहे हैं। ऐसे में चारों ओर ट्रैफिक जाम ही नजर आ रहा है। जाम से पर्यटन स्थल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां इन दिनों वाहनों का जमघट लग रहा है। प्रदेश की राजधानी की बात हो या धर्मशाला, मकलोडगंज, या कुल्लू- मनाली हो या डलहौजी, सब जगह इन दिनों वाहनों की रेलमपेल हो रही है। इस ट्रैफिक जाम से तो इन स्थानों पर यातायात मानों थम सा गया हो। ऐसे में स्थानीय लोगों के अलावा सैलानी भी इस जाम में पिस रहे हैं। सैलानी हिमाचल की खूबसूरत वादियों के दीदार के लिए बड़े उत्साह से यहां पहुचते हैं, लेकिन जब उनका सामना ट्रैफिक जाम से होता है, तो उनका यह उत्साह काफूर हो जाता है। हिमाचल की सरकारों ने दरअसल पर्यटन स्थलों पर सड़कों को चौड़ा करने और वहां पर यातायात सुगम बनाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है। यही वजह है कि लोग इस दमघोंटू ट्रैफिक जाम में ही अपना अधिकांश सफर जाया कर रहे हैं।
हर साल 80 लाख गाडि़यों में आते हैं पौने दो करोड़ सैलानी
हिमाचल में वाहनों की तादाद हर साल बढ़ती जा रही है। राज्य में अकेले 12 लाख से ज्यादा वाहन पंजीकृत हैं, वहीं बाहर से हर साल लाखों वाहन हिमाचल पहुंचते हैं। एक अनुमान के मुताबिक हिमाचल में हर साल करीब पौने दो करोड़ के करीब सैलानी पहुंचते हैं और इनके साथ करीब 80 लाखवाहन आते हिमाचल आ रहे हैं। इससे हिमाचल की सड़कों पर वाहनों का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। वहीं हिमाचल की सड़कें कमोबेश वहीं की वहीं हैं।
वीकेंड पर कसौली में चलना भी मुश्किल
सोलन के पर्यटन स्थल कसौली में भी आजकल लोग ट्रैफिक जाम से सैलानी परेशान हैं। यहां पर गड़कल, मंकी प्वाइंट पर सैकड़ों सैलानी इन दिनों पहुंच रहे हैं। खासकर वीकेंड पर यहां सैलानियों की भीड़ लग रही है। बताया जा रहा है कि यहां वीकेंड पर हर रोज दो हजार तक वाहन पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां प्रशासन द्वारा कोई पुख्ता व्यवस्था न करने से इन दोनों जगहों पर कतारें लग रही हैं और हालात ये हैं कि इससे लोगों का यहां चलना भी मुश्किल हो रहा है।
प्रदेश में नहीं पयर्टन पुलिस
हिमाचल प्रदेश भले ही पर्यटन राज्य है, लेकिन यहां पर सैलानियों को गाइड करने के लिए पर्यटन पुलिस नहीं है। ऐसे में यहां सैलानी भगवान भरोसे ही हैं। वहीं सरकार द्वारा पर्यटक गाइडों की भी तैनाती नहीं की जा रही। हालांकि पुलिस विभाग में बहुत पहले पर्यटन पुलिस की अवधारणा तैयार की थी, लेकिन इस दिशा में आज तक कोई काम नहीं हो पाया। ऐसे में हिमाचल में सैलानी भगवान भरोसे ही हैं। वहीं इसका फायदा कुछ निजी गाइड उठाते हैं,जो कि सैलानियों से मनमाना शुल्क वसूलते हैं।
धर्मशाला-मकलोडगंज में जाम का चैलेंज
धर्मशाला-मकलोडगंज में पर्यटन सीजन में जाम की समस्या से हर रोज पर्यटकों को परेशान होना पड़ रहा है। क्षेत्र के भागसूनाग, नड्डी और धर्मकोट में ट्रैफिक प्लान बनाने के बाद भी जाम की स्थिति से निपटना पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है। पर्यटन नगरी में इस बार सीजन में बंपर पर्यटकों की भरमार देखने को मिल रही है। मकलोडगंज में पार्किंग की व्यवस्था छह-सात सौ वाहनों के लिए है, लेकिन इस स्थान पर दो हजार से अधिक वाहन पहुंच रहे हैं, जिससे सड़कों के किनारे ही वाहनों के खड़े करने से जाम की स्थिति पैदा हो रही है। जाम की स्थिति से निपटने के लिए कांगड़ा पुलिस द्वारा भी ट्रैफिक प्लान बनाया गया है। पर्यटन सीजन के शुरुआत में ही पुलिस ने योजना के तहत वाहनों को मकलोडगंज भेजना आरंभ किया था, लेकिन इस पर स्थानीय कारोबारियों द्वारा आपत्ति जताने के चलते पुलिस को इसमें फेरबदल करना पड़ा। इतना ही नहीं पर्यटन सीजन चरम पर होने के चलते मकलोडगंज क्षेत्र में सड़कों के किनारे वाहनों के पार्किंग पर प्रतिबंध लगाया गया है। पर्यटन सीजन में मकलोडगंज में वाहनों की अधिक आवजाही को देखते हुए लिंक मार्गों को प्रयोग किए जाने पर भी योजना तैयार की जा रही है। इसके अलावा मकलोडगंज में एक तथा भागसूनाग में भी एक ही सरकारी पार्किंग स्थल है। जबकि मकलोडगंज में एक निजी पार्किंग का संचालन किया जा रहा है। भागसूनाग में पार्किंग स्थल के विस्तार पर विचार किया जा रहा है।
नयनादेवी में सेटरडे-संडे की चुनौती
गर्मियों का सीजन आते ही श्री नयनादेवी में यात्रियों की संख्या भी बढ़ जाती है तथा जाम की भी। नयना देवी में यह समस्या लगभग शनिवार या रविवार को पेश आती है या कोई अवकाश हो। यह समस्या घवांडल से नयना देवी गुफा का रास्ता तंग होने के कारण पुलिस को झेलनी पड़ती है। अगर सरकार घवांडल से नयनादेवी गुफा के रास्ते को चौड़ा कर दे तथा पार्किग व्यवस्था को बढ़ावा दे,तो जाम से भी छुटकारा मिल जाएगा इस सबंध में डीएसपी नयना देवी बलदेव दत्त शर्मा ने माना कि रविवार को या छुट्टी वाले दिनों में ज्यादा भीड़ रहती है परंतु पुलिस के प्रबंध भी उतने ही मजबूत हैं। घवांडल से गुफा तक सड़क में ही ट्रैफिक व्यवस्था में मुश्किल पेश आती है परंतु इस का मतलब यह नहीं कि पुलिस के पास इसका हल नहीं है । पुलिस के 30 जवानों को ट्रैफिक व्यवस्था हेतु तथा भीड़ कंट्रोल करने हेतु हर शनिवार तथा रविवार तैनात किया जाता। वर्तमान में मंदिर गुफा के पास 150 से 200 के बीच गाडि़यों के पार्किंग की व्यवस्था है तथा ज्यादा गाडि़यों अगर आ जाती है तो वाकी-टाकी की मदद से घवांडल तथा सर्कुलर रोड में संपर्क करके ट्रैफिक पर कंट्रोल किया जाता है। वहीं, बस अड्डे में लगभग 500 से ज्यादा पार्किंग व्यवस्था है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सड़कें चौड़ी हों तो जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। जाम तथा पार्किंग से निपटने के लिए राजनीतिक लोग अपना स्वार्थ छोड़ कर तथा जनता के हित में कार्य करें, तो नयना देवी एक सुंदर धार्मिक तथा सुंदर पर्यटन स्थल बन सकता है।
पयर्टन पुलिस का गठन अभी मुश्किल
डीजीपी (टीटीआर, पुलिस मुख्यालय) पृथ्वीराज का कहना है कि यातायात सुचारू रखने का प्रयास किया जाता है। ट्रैफिक पुलिस जवान तैनात किए गए हैं, इन दिनों अतिरिक्त पुलिस भी तैनात की गई है। पुलिस परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग के साथ बेहतर यातायात देने के लिए काम कर रही है। पुलिस राज्य में आएडीएमएस प्रोजेक्ट भी संचालित कर रही है, जिसके तहत ट्रैफिक को सुधारने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अलग से पर्यटन पुलिस तैनात करना फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के जवानों को इसके लिए समुचित प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे सैलानियों को भी गाइड कर सकें। वहीं समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं। पुलिस का प्रयास रहता है कि किसी भी वाहन का बेवजह चालान न हो, चालान पुलिस का अंतिम विकल्प होता है।
जाम ने रोकी शिमला की रफ्तार
राजधानी शिमला में ट्रैफिक जाम से इन दिनों वाहनों के पहिए थम रहे हैं। राजधानी शिमला में तारादेवी से लेकर कुफरी तक ट्रैफिक जाम ही नजर आता है। शहर में करीब नब्बे हजार वाहन पंजीकृत हैं। इसके अलावा सैलानियों के हजारों वाहन भी इन दिनों यहां पहुंच रहे हैं,इससे शहर की सड़कों पर दबाव बढ़ गया है। शिमला में तारादेवी से ट्रैफिक जाम शुरू हो रहा है। एशिया दी डॉन से लेकर टूटीकंडी बाइपास , आरटीओ दफ्तर से 103 टनल सहित विक्ट्री टनल के समीप भी वाहनों की सुबह-शाम कतारें लग रही हैं। संजौली चौक से लेकर कालेज तक भी लोग जाम में फंस रहे हैं।
शिमला में पांच हजार को पार्किग
प्रदेश में 12 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हैं, वहीं हर साल लाखों वाहन हिमाचल पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से 80 फीसदी तक सैलानी गर्मियों के सीजन में आते हैं। शिमला शहर की बात करें तो यहां पीक सीजन में एक दिन में 10 से 15 हजार वाहन सैलानियों के रोजाना पहुंच रहे हैं। नववर्ष जैसे कार्यक्रमों के दौरान तो शिमला शहर में 25 से 30 हजार वाहन भी सैलानियों के पहुंच जाते हैं और सैलानियों की तादाद पौने एक लाख तक पहुंच जाती है। शिमला शहर में नगर निगम की पार्किंगों की क्षमता 2500 वाहनों को पार्क करने की है। वहीं शहर में यलो लाइन लगाकर भी पार्किंग की व्यवस्था कुछ जगह की गई है। कुल मिलाकर शहर में पांच हजार से ज्यादा वाहनों को पार्क नहीं किया जा सकता।
मनाली का जाम यानी आफत में जान
पर्यटक नगरी मनाली हर साल आने वाले सैलानियों को जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। हैरानी तो इस बात की है कि अब तक किसी भी सरकार ने इस में ऐसी कोई पहल नहीं की, जिससे सैलानियों को राहत मिल सके। पर्यटन सीजन के दौरान सैलानियों को घंटों जाम के चलते परेशानियों से गुजरना पड़ता है। कई बार तो जाम इतना लंबा होता है कि देर रात तक मेहमान फंसे रहते हैं। सरकार व जिला प्रशासन भी सीजन से पहले जाम से निपटने के दावे करते हैं, लेकिन सीजन शुरू होने पर सबकी पोल खुल जाती है। इससे पर्यटन कारोबार पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है…
भुंतर से लेकर मनाली तक पैक
जाम की समस्या भुंतर, कुल्लू से लेकर मनाली व रोहतांग तक आम हो गई है। दो किलोमीटर की दूरी के बाद ही जिस तरह से घंटों जाम लग रहे हैं, उससे सैलानी काफी हताश होते हैं।
यहां रहता है सबसे अधिक जाम
गुलाबा, मढ़ी, सोलंगनाला, हलाण-1, कटराई, डोभी, अलेऊ, पतलीकूहल, नग्गर सहित यहां अनेक पर्यटन स्थल हैं। जहां जाम आम हो गया है। ये सभी स्थल पूरी तरह से जाम के शिकार हैं।
सरकार-प्रशासन भी बेबस
लगातार बढ़ रही सैलानियों व वाहनों की संख्या के चलते पार्किंग स्थल छोटे पड़ने लगे है। वहीं, सरकार ने पर्यटन स्थलों को खासतौर पर पार्किंग की सुविधा को लेकर भी तक कोई ऐसी योजना नहीं बनाई है।
पार्किंग की किचकिच
पर्यटन स्थलों की बात करें तो यहां सैलानी न तो समय पर पहुंच पाते हैं और न ही आ पाते हैं। पार्किंग की भी उचित व्यवस्था न होने के चलते यहां सैलानियों को पर्यटन स्थलों तक आंधे रास्ते से पैदल जाना पड़ता है। वहीं, अगर पार्किंग में किसी भी सैलानी की गाड़ी फंस जाए तो उस चालक का देर रात तक खुदा ही मालिक है। गाड़ी को निकालने के लिए चालकों में आए दिन झगड़ें भी यहां आम हो गए हैं। यह स्थिति पर्यटक को निराश करती है।
पर्यटन स्थलों के मार्ग भी तंग
यहां पर्यटन स्थलों को जाने वाले मार्ग अधिकतर तंग हैं। इससे भी अकसर यहां जाम की समस्या आती है
हर दिन हजारों वाहनों की एंट्री
टूरिस्ट सीजन के दौरान मनाली में प्रतिदिन करीब नौ हजार वाहन प्रवेश करते है। वहीं, पीक सीजन के दौरान इनकी संख्या बढ़ जाती है। जहां पर कभी 16 हजार तो कभी 20 हजार वाहन एक दिन में प्रवेश करते हैं।
मास्टर प्लान ठंडे बस्ते में
पर्यटकों को सुविधा आने वाले समय में मिले, इसे लेकर मनाली के विधायक ने मास्टर प्लान तैयार किया है, जिसमें मोनो रेल का भी सपना दिखाया गया है, लेकिन विधायक का मास्टर प्लान अभी ठंडेबस्ते में है।
पीक सीजन में खलती है कमी
जिला प्रशासन की मानें तो उन्होंने पार्किंग को लेकर बेहतर व्यवस्था पहले से अधिक की है, लेकिन जिस तरह से पर्यटन सीजन में पर्यटकों की संख्या बढ़ जाती है, इससे पार्किंग की कमी और खलने लगी है।
डबललेन ने बढ़ाया मर्ज
वामतट से होकर भी मनाली पहुंचा जाता है, लेकिन लगातार बढ़ रहे सैलानियों के वाहनों की संख्या को देखते हुए यहां नेशनल हाई-वे सहित वामतट मार्ग पर भी जाम की समस्या आम हो गई है। वहीं, इस वर्ष नेशनल हाई-वे को डबललेन का कार्य यहां चला हुआ है, जिस कारण से इस बार अधिक जाम की समस्या से परेशान होना पड़ रहा है।
बाइकर तोड़ते हैं नियम
ट्रैफिक नियमों का उल्लघंन करने वालों पर पर्यटन सीजन में जमकर डंडा चलता है। जहां पर बाहरी राज्यों से आने वाले बाइकर्ज सबसे अधिक जुर्माना भरते हैं। इसके अलावा बाहर से आने वाले टैक्सी ड्राइवर भी नियमों को धत्ता बताते हैं। पर्यटन सीजन में 150 अतिरिक्त पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान पर्यटन स्थलों पर भी तैनात रहते है
निश्चिंत सिंह नेगी एएसपी, कुल्लू
अतिक्रमण से सड़कें संकरी
हिमाचल में सड़कों पर अतिक्रमण भी यातयात की समस्या की एक बड़ी वजह है। हिमाचल में अधिकतर बाजार पहले से बनी सड़कों पर विकसित हुए हैं और जैसे-जैसे बाजारों का विकास होता गया, ये सड़कें संकरी होती गई हैं। यही वजह है कि इनके आसपास वाहनों की कतारें लग रही हैं,जो कि ट्रैफिक जाम की वजह बन रही हैं।
सड़कें दुरुस्त हों तो मिलेगी राहत
हिमाचल की धरती पर स्वर्ग से कम नहीं है। शिमला, नारकंडा, चायल, कुल्लू, मनाली, डलहौजी और कसौली पर्यटकों में लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां पर्यटन रोजगार का एक साधन है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि यहां की सड़कों को दुरुस्त कर इन पर लगने वाले ट्रैफिक जाम से निजात दिलाई जाए। ऊबड़-खाबड़ सड़कें न केवल हिमाचल की सुंदरता पर धब्बा, बल्कि इससे ट्रैफिक जाम भी लग रहा है।
बाइपास बनने से सुधर सकते हैं हालात
प्रदेश के शहरी इलाकों में अब सड़कों के विस्तार की गुंजाइश कम है। इसके चलते बढ़ते ट्रैफिक जाम से बचने के लिए इन शहरों में बाइपास के निर्माण की बेहद जरूरत है। अगर सभी जगह बाइपास बना दिए जाएं तो जाम की समस्या से निजात मिल सकती है। शिमला में बढ़ रहे ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए और बाइपास के निर्माण की जरुरत महसूस की जा रही है। शिमला के कार्ट रोड से लालपानी व टूटीकंडी की ओर सड़क मार्ग निकालने की योजना कई सालों से चल रही है। टूटीकंडी बाइपास पर एक पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है और वहां से जाखू के लिए रोप-वे बनाने की योजना पर काम चला हुआ
प्रदेश में नाममात्र की ट्रैफिक पुलिस
प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था का बुरा हाल है । इससे निपटने के लिए पुलिस विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग में ट्रैफिक पुलिस के मात्र 702 पद मंजूर हैं। हालांकि ट्रैफिक से निपटने के लिए पुलिस विभाग द्वारा राज्य में 1317 से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 201 जवान शिमला शहर में तैनात किए गए हैं। वहीं मंडी जिला में 190, कांगड़ा में 168, चंबा में 125, ऊना में 118, कुल्लू में 111 जवान लगाए गए हैं। हालांकि कुछ पर्यटन स्थलों पर पुलिस विभाग ने बटालियनों से भी और भी जवान इन दिनों भेजे हैं ताकि ट्रैफिक को सुचारु रखा जा सके। लेकिन जितने जवानों को तैनात किया गया है,उसके कई गुना अधिक जवानों को तैनात किया जाना जरूरी है।
अधिकांश धार्मिक स्थलों पर नहीं खाकी
प्रदेश में बड़े धामिर्क स्थलों पर ट्रैफिक जाम से हालात खराब रहते हैं। प्रदेश में ज्वालाजी, नयनादेवी, तारादेवी जैसे बड़े शक्तिपीठ हैं। यहां पर बाहरी राज्यों में बड़ी तादाद में सैलानी पहुंचते है। इन दिनों भी इन मंदिरों में बाहरी राज्यों के साथ-साथ हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से आने वाले लोगों की भीड़ लग रही है। इन धार्मिक स्थलों के आसपास कुछ जवान जरूर तैनात किए जाते हैं, लेकिन यहां आने वाले लोगों और वाहनों की तुलना में यह काफी कम हैं। इन जगहों पर बड़े नवरात्रों व बड़े धार्मिक आयोजनों पर भारी ट्रैफिक जाम देखा जा सकता है। धार्मिक स्थलों के बाहर वाहनों की कतारें लगी रहती हैं। इस दौरान प्रशासन द्वारा हालांकि अतिरिक्त जवान भी लगाए जाते हैं, लेकिन ट्रैफिक समस्या से लोगों को ज्यादा राहत नहीं मिलती।
इस साल दो लाख से ज्यादा चालान
ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों का पुलिस चालान करती है। राज्य में इस साल अब तक पुलिस करीब दो लाख से ज्यादा वाहनों के चालान कर चुकी है। प्रदेश में अधिकतर चालान आइडल पार्किंग के किए जाते हैं। पुलिस विभाग के पास मात्र 17 क्रेन हैं। पुलिस विभाग के पास बड़ी क्रेन नहीं है। यदि कहीं कोई बस व ट्रक कहीं बीच रास्ते में पार्क कर दिया जाए तो पुलिस को इसके लिए क्रेन हायर करनी पड़ती है। वहीं पुलिस के पास करीब पौने दो सौ एल्को सेंसर, डेढ़ दर्जन गैस एनालाइजर, एक दर्जन लेजर स्पीड, दो दर्जन नोइज मीटर और इक्कासी डोप्लर राडार हैं।
सूत्रधार : खुशहाल सिंह, शालिनी राय भारद्वाज, तनुज सैणी, राकेश गौतम
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