प्रभावी करियर का पालीहाउस
फसलों का चुनाव पोलीहाउस संरचना, बाजार की मांग के साथ ही उम्मीद के बाजार और कीमत के आकार पर निर्भर करता है। वर्ष के किसी भी भाग के दौरान पर्यावरण की दृष्टि से नियंत्रित पोलीहाउस किसी भी सब्जी की फसल को उगाने के लिए सुविधाजनक है, वहीं फसलों का चयन साधारण या कम लागत वाले पोलीहाउस के मामले में अधिक महत्त्वपूर्ण है…
पोलीहाउस खेती में ऑफ सीजन के फूल, सब्जियां उगाई जाती हैं। यह प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में भी सब्जी नर्सरी के उत्पादन में उपयोगी है। फसलों का चुनाव पोलीहाउस संरचना, बाजार की मांग के साथ ही उम्मीद के बाजार कीमत के आकार पर निर्भर करता है। यह वर्ष के किसी भी भाग के दौरान पर्यावरण की दृष्टि से नियंत्रित पोलीहाउस किसी भी सब्जी की फसल को उगाने के लिए सुविधाजनक है, वहीं फसलों का चयन साधारण या कम लागत वाले पोलीहाउस के मामले में अधिक महत्त्वपूर्ण है। ककड़ी, लौकी, शिमला मिर्च और टमाटर कम लागत वाले पोलीहाउस में सर्दियों के दौरान काफी लाभकारी पैदावार दे सकते हैं। उचित वेंटीलेशन गोभी के साथ, उष्ण कटिबंधीय फूलगोभी और धनिया की जल्दी किस्मों को सफलतापूर्वक गर्मी व बरसात के मौसम के दौरान पैदा किया जा सकता है।
क्या है पोलीहाउस
पोलीहाउस एक विशेष प्रकार की घरनुमा संरचना होती है, जो किसी भी प्रकार की आपदा में फसलों को अपने अंदर संरक्षित करके प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादन एवं उत्पादकता को कम समय में बढ़ा देती है। इसको 200 माइक्रॉॅन मोटाई वाली पारदर्शी एवं पराबैंगनी किरणों से प्रतिरोधी पोलिथीन चादर से छाया जाता है इसलिए इसे पोलीहाउस कहते हैं। यह बांस, लकड़ी, पत्थर और लोहे के एंगल एवं जीआई पाइपों के सहयोग से बनाया जा सकता है। जिसके अंदर भू-परिष्करण क्रियाओं को करके सब्जियों को उगाने का उपक्रम किया जाता है।
शैक्षणिक योग्यता
पोलीहाउस लगाने के लिए किसी भी प्रकार की शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं है, पर फिर भी अगर किसान पढ़ा लिखा हो तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। इस क्षेत्र में अनुभव के आधार पर ही सीखा जा सकता है। वैसे कृषि विभाग किसानों को पोलीहाउस के लिए प्रशिक्षित करने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षित करता रहता है।
पलायन रोकता पोलीहाउस
सर्वे में यह पाया गया है कि आज भी पर्वतीय अंचल के प्रत्येक घर में रोज हरी सब्जी नहीं खाई जाती है और न ही उगाई जाती है। कुछ लोग तो अच्छी सब्जियों को देख तक नहीं पाते हैं खाने की क्या बात करेंगे। लेकिन सवाल यह उठता है कि कब तक पर्वतीय अंचलों के लोग ऐसे रहेंगे। इसका जिम्मेदार कौन है और क्या किया जाए कि लोग पलायन छोड़कर यहां रुकें और व्यावसायिक खेती करके उत्पादन एवं रोजगार को बढ़ाकर अपनी पोषण सुरक्षा भी करें। ऐसे में जरूरी है कि पर्वतीय अंचलों में उपरोक्त वर्णित प्राकृतिक एवं जैविक आपदाओं से बचाते हुए सब्जी उत्पादन को कम से कम क्षेत्र में कैसे बढ़ावा दिया जाए। तो इस सब का सही जवाब यह होगा कि पोलीहाउस खेती को अपनाया जाए।
परंपरागत खेती से पोलीहाउस की ओर
पोलीहाउस योजना किसानों के लिए आज वरदान बन चुकी है। यही कारण है कि अब लोग सरकारी नौकरियों को छोड़कर जमीन की तरफ मुड़ रहे हैं। पारंपरिक खेती की कम उत्पादकता से कृषि से विमुख हो रहे किसान को सरकार द्वारा ईजाद की गई पोलीहाउस योजना ने कृषि की एक नई राह दिखाकर पुनः कृषि उत्पादकता वृद्धि से अर्जित लाभ बढ़ाने का मंत्र दिया है। एक प्रयोग के अनुसार देखा गया कि जो सब्जियां पोलीहाउस में लगाई गईं थी, वे खुली जमीन पर लगाई सब्जियों से अधिक पैदा हुईं। पोलीहाउस की वजह से किसान प्रगतिशील हुआ है। युवाओं का भी इसके प्रति रुझान बढ़ा है।
हिमाचल में प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र
1: डा. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विवि, नौणी
2: पालमपुर कृषि विवि, हिमाचल प्रदेश
3: कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश
4: बागबानी विभाग, हिमाचल प्रदेश
देश के प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र
* कृषि विज्ञान केंद्र, शारदा नगर, बारामती, पुणे महाराष्ट्र
* संकुल डी 8ए, ईरंद्वाना, पुणे, महाराष्ट्र
* राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, बीकानेर, राजस्थान
* शेर-ए-कश्मीर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जे एंड के
* जीबी पंत कृषि विवि, पंतनगर, उत्तराखंड
* पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
* बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कान्के, रांची
पोलीहाउस से पहले प्रशिक्षण जरूरी
अगर आप इस क्षेत्र में नए हैं, तो फसलों की पोलीहाउस खेती के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले प्रशिक्षण प्राप्त करें। आप नजदीकी पोली घरों से जानकारी के लिए जाएं। अपने क्षेत्र में प्रशिक्षण संबंधी जानकारी के लिए आप तहसील के कृषि अधिकारी या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं।
लाभकारी उपक्रम
पोलीहाउस में सब्जियों का उत्पादन सामान्य खेती की तुलना में 3.4 गुना ज्यादा होता है। कभी-कभी ऐसा प्राकृतिक प्रकोप होता है कि पोलीहाउस में शत-प्रतिशत सफलता मिलती है परंतु बाहर की सब्जियों में कुछ भी नहीं मिलता है। पोलीहाउस की सब्जियों का बाजार मूल्य अच्छा प्राप्त होता है। क्योंकि ये रंग, रूप, आकार, प्रकार, स्वाद, टिकाऊपन और भंडारण क्षमता और परिवहन गुणवत्ता आदि सभी गुणों से संपन्न होती हैं। पोलीहाउस तकनीक एक ऐसी खेती है जो रोजगार को बढ़ावा देने में अत्यधिक सहयोगी बन सकती है। क्योंकि पोलीहाउस बढ़ने से गुणवत्ता युक्त अधिक उत्पादन को बेचने के साथ-साथ स्वरोजगार को बढ़ाबा दिया जा सकता है।
कमाई
पोलीहाउस में अगर आमदनी की बात की जाए तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने पोलीहाउस में क्या लगाया है। अगर सब्जियां लगाई हैं तो जल्द होंगी और एक साल में 2 से 3 लाख रुपए तक आमदनी हो जाती है। इसी तरह फूलों की खेती में कमाई बढ़कर 5 से 6 लाख सालाना हो जाती है।
पर्वतीय अंचलों में पोलीहाउस क्यों
* पोलीहाउस एक संरक्षित खेती है।
* इसके अंदर लगी सब्जियों को जैविक एवं प्राकृतिक झंझावातों से होने वाले नुकसान को बचाया जा सकता है।
* पोलीहाउस प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता को बढ़ा देता है।
* वर्ष भर उत्पादन को बढ़ावा देता है।
* अगेती एवं बेमौसमी सब्जी उत्पादन किया जा सकता है।
* पोलीहाउस खेती एक रोजगारपरक खेती है।
* इसके माध्यम से सब्जी उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़ता है और अन्य कृषि संसाधनों का विकास होता है।
हिमाचल सरकार की योजनाएं
हिमाचल में किसान बिना ट्रेनिंग के पोलीहाउस नहीं बना सकते। कृषि विभाग के आदेश के अनुसार पोलीहाउस लगाने के लिए किसानों को अब पोलीहाउस संबंधी तमाम तकनीकी जानकारियां लेने के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। खास बात यह है कि प्रशिक्षण प्राप्त किसान ही पोलीहाउस के लिए आवेदन कर सकते हैं। कृषि विभाग के डा. वाईएस परमार किसान स्वरोजगार योजना के अंतर्गत पोलीहाउस निर्माण के लिए बजट का प्रावधान किया जाता है। इस योजना के तहत भू-मालिक अपने मिलकीयत 105 वर्ग मीटर रकबे से लेकर 2000 वर्ग मीटर रकबे तक अपने खेतों में पोलीहाउस को स्थापित कर सकता है। इन पोलीहाउस में किसान शिमला मिर्च, खीरा व टमाटर की खेती करते हैं। पोलीहाउस की विशेषता यह है कि हाइटेक पोलीहाउस में मौसम के अनुरूप तापमान को नियंत्रित रखा जा सकता है। किसानों को पोलीहाउसों के निर्माण के लिए 15 प्रतिशत राशि कंपनी को विभाग के माध्यम से जमा करनी होती है। कृषि विभाग के पास पंजीकृत कंपनियां ही किसानों के पोलीहाउस का निर्माण कर सकती हैं। सरकारी योजना के अनुसार पोलीहाउस की खेती के प्रति किसानों को जोड़ने के लिए 85 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। मात्र 15 प्रतिशत राशि ही किसानों को अदा करनी होगी।
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