मृदा विज्ञान बेहतर करियर की उपजाऊ मिट्टी
मिट्टी का महत्त्व इस बात से ही आंका जा सकता है कि मनुष्य का जीवन मिट्टी से शुरू होकर मिट्टी में ही खत्म हो जाता है। जिंदगी को चलाने वाली हर वस्तु मिट्टी से ही जन्म लेती है। इस मिट्टी का अध्ययन करने के लिए एक विशेष विज्ञान है, जिसे मृदा विज्ञान कहते हैं। वर्तमान में इस का एक व्यापक क्षेत्र है…
मृदा विज्ञान विषय मिट्टी से संबंधित पहलुओं जैसे पोषक तत्त्वों एवं जल उपलब्धता तथा मृदा अम्लीयता व क्षारीयता, मृदा के भौतिक एवं रासायनिक गुण, मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण व सूक्ष्म जीव से संबंधित है। खेती की उपज मुख्यतः इन गुणों पर ही निर्भर करती है। सॉयल साइंस में मृदा और जल संसाधनों को मैनेज करना, समझना आदि सिखाया जाता है। सॉयल साइंस विज्ञान का मिलाजुला रूप है, जिसमें बायोलॉजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स, जियोलॉजी, जियोग्राफी, क्लाइमेटोलॉजी और हाइड्रोलॉजी आदि विषय होते हैं। इसके अलावा इसमें मिट्टी और पानी की सही मात्रा डालने और उपज को बढ़ाने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी जाती है। ज्यादातर मृदा विज्ञान में नौकरियां कृषि से संबंधित होती हैं, परंतु आज इस क्षेत्र में विस्तार हुआ है और इसमें फोरेस्ट्री, सीमांत क्षेत्र और खासकर शहरी पर्यावरण से संबंधित जानकारियां भी इस क्षेत्र में दी जाती हैं। मृदा वैज्ञानिक का काम मिट्टी की जांच करना और कौन सी मिट्टी पौधों, पशुओं और खेती के लिए सही है, का परीक्षण करना होता है। सॉयल साइंटिस्ट बनने के लिए इस क्षेत्र में रुचि होना आवश्यक है। यात्राएं करने और कई जगहों पर काम करने की रुचि होनी चाहिए। एक सॉयल साइंटिस्ट बनने के लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्ज और आंतरिक योग्यता का होना भी आवश्यक है। कृषि के बढ़ते दायरे के साथ मृदा विज्ञान का क्षेत्र भी विस्तृत होता जा रहा है। युवा इस क्षेत्र में अपने उज्ज्वल भविष्य की तस्वीर देखने लगा है। कम ही देखने में आता है कि कोई कृषि विशेषज्ञ रोजगार के लिए भटकता हो।
क्या है मृदा विज्ञान
सॉयल साइंस या मृदा विज्ञान में एक नेचुरल रिसोर्स के रूप में मिट्टी का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत मिट्टी का निर्माण, वर्गीकरण, भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों और उर्वरता का अध्ययन किया जाता है। बीते सालों में फसल उत्पादन, वन उत्पाद और कटाव नियंत्रण में मिट्टी के महत्त्व को देखते हुए सॉयल के क्षेत्र में जॉब के ढेरों मौके सृजित हुए हैं।
शैक्षणिक योग्यता
इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए सबसे पहले सॉयल साइंस या संबंधित विषय में बैचलर डिग्री होनी चाहिए। परंतु एक सॉयल साइंटिस्ट बनने के लिए मास्टर डिग्री या डाक्टरल स्तर की डिग्री होनी चाहिए। सॉयल साइंटिस्ट का काम केवल रिसर्च से संबंधित होता है। टीचिंग में भी बेसिक शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता पड़ती है। इसके साथ ही जिन छात्रों ने सफलतापूर्वक सांइस विषय में बारहवीं पास कर ली है, वे सॉयल साइंस के बैचलर डिग्री कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं। अंडर ग्रेजुएट कोर्स पूरा करने के बाद ये छात्र मास्टर स्तर के कोर्स में प्रवेश पा सकते हैं। एडवांस डिग्री लेने के बाद संबंधित विषय में अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र इंटर्नशिप ट्रेनिंग भी ले सकते हैं। इसके बाद वे डाक्टरल डिग्री और बाद में रिसर्च डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।
वेतनमान
मृदा विज्ञान के क्षेत्र में वेतनमान ऊंचाइयां छूता है। मृदा विज्ञान में एमएससी किया हुआ एक फ्रेश युवा 20000 रुपए प्रतिमाह वेतनमान प्राप्त कर सकता है। सरकारी संस्थानों में एक सॉयल साइंटिस्ट या सीनियर साइंटिस्ट 30000 रुपए से 40000 रुपए प्रतिमाह आसानी से प्राप्त कर लेता है। कुछ सालों का अनुभव होने के साथ-साथ वेतनमान भी बढ़ता रहता है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
* नौणी विश्वविद्यालय, सोलन
* हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर
* पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
* कालेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, लुधियाना
* कालेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी, हिसार
* हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार
* राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, बीकानेर
* इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीच्यूट, नई दिल्ली
* जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली
रोजगार के अवसर
इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं ज्यादातर निजी क्षेत्र में हैं। निजी क्षेत्र में एग्रीकल्चरल कंसल्टिंग फर्र्मों के साथ काम किया जा सकता है। परंतु नौकरी राज्य, फेडरल और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों तथा शैक्षिक संस्थानों में की जा सकती है। जिन व्यक्तियों ने सॉयल साइंस में अपनी शिक्षा पूरी कर ली है, वे लैंड यूज प्लानिंग, नेचुरल रिसोर्स इवैल्यूएशन, वैटलैंड यूज और प्रोटेक्शन, सॉयल मैपिंग, फार्मिंग फोरेस्ट्री, इकोलॉजी, वाटर एंड एग्रीकेमिकल मैनेजमेंट, फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, सॉयल एंड वाटर प्रोटेक्शन, जियोग्राफिक इन्फार्मेशन सिस्टम आदि में करियर बना सकते हैं। इस क्षेत्र में आप एक सॉयल कंजर्वेशनिस्ट, सॉयल माइक्रोबायोलॉजिस्ट, सॉयल इकोलॉजिस्ट, सॉयल केमिस्ट, सॉयल साइंटिस्ट, लैंड यूज स्पेशलिस्ट, सॉयल फिजिसिस्ट और नेचुरल रिसोर्स मैनेजर के रूप में काम कर सकते हैं। सॉयल साइंस में रोजगार की संभावनाएं केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब हैं। विदेशों में भी आप विश्वविद्यालयों, कृषि विभागों आदि में अच्छे वेतनमान के साथ रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
क्या करता है मृदा विज्ञानी
मिट्टी वैज्ञानिक या मृदा वैज्ञानिक का प्राथमिक कार्य फसल की बेहतरीन उपज के लिए मृदा का विश्लेषण करना है। मृदा वैज्ञानिक मृदा प्रदूषण का विश्लेषण भी करते हैं, जो उर्वरकों और औद्योगिक अपशिष्ट से उत्पन्न होता है। इन अपशिष्टों को उत्पादक मृदा में परिवर्तित करने के लिए वे उपयुक्त तरीके और तकनीक भी विकसित करते हैं। इन पेशेवरों के कार्यक्षेत्र में बायोमास प्रोडक्शन के लिए तकनीक का इस्तेमाल भी शामिल है। वनस्पति पोषण, वृद्धि व पर्यावरण गुणवत्ता के लिए भी वे कार्य करते हैं। उवर्रकों का उपयोग सुझाने में भी मृदा वैज्ञानिकों की भूमिका अहम होती है। मिट्टी के विशेषज्ञ के रूप में वे मृदा प्रबंधन पर मार्गदर्शन करते हैं। मृदा वैज्ञानिक शोधकर्ता, डिवेलपर एवं सलाहकार होते हैं इसलिए वे अपने ज्ञान का इस्तेमाल बेहतरीन मृदा प्रबंधन में करते हैं।
कोर्सेज
* अंडर ग्रेजुएट कोर्स इन सॉयल साइंस
* पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन सॉयल साइंस
* बीएससी इन सॉयल साइंस
* एमएससी इन सॉयल साइंस
* पीएचडी इन सॉयल साइंस
* डाक्टर ऑफ फिलासफी, सॉयल साइंस
* एमएससी सॉयल साइंस एंड एग्रीकल्चरल केमिस्ट्री
* शॉर्ट टर्म कोर्स इन सॉयल साइंस
* बीएससी इन सॉयल साइंस एंड वाटर मैनेजमेंट
* पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन सॉयल केमिस्ट्री
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