रंग बदलती राजनीति
(प्रेमचंद माहिल लरहाना, हमीरपुर )
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जब राजनीति में प्रवेश आए थे, तो ऐसा आभास होता था कि दिल्ली प्रशासन संभालने के लिए स्वयं भगवान आ गए हैं। साधारण भवन में निवास, साधारण गाड़ी का सफर, लोगों के सामने खुद को बिलकुल साधारण जीवनयापन करने वाले की तरह पेश किया। लोगों ने आश्ववासनों के माया जाल में फंस कर पूर्ण समर्थन देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी समर्पित कर दी। राजनीति में प्रवेश करते ही केजरीवाल ने अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया। सर्वप्रथम अपनी तनख्वाह 400 प्रतिशत बढ़ा कर जनता को चकित कर दिया। लाखों करोड़ों के घोटाले करके सभी समाचार पत्रों में विशेष स्थान प्राप्त किया। कहां है वह आम आदमी का जीवन? कहां है वह आम आदमी की सोच? कहां है वह आम आदमी जैसी ईमानदारी की सोच? क्या राजनीति मे प्रवेश होने पर यही विचारधारा आवश्यक है। जनता ने केजरीवाल के ईमानदारी के भाषण भी सुने हैं। बेईमानी की तस्वीरें टेलीवीजन पर देखीं। यदि यह वास्तविक है, तो जेल की चक्की पीसते भी लोग अवश्य देखेंगे। क्योंकि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं-
राजनीति बड़ी ठगड़ी,
जिसने ठगा सारा संसार।
साधु उठावे पालकी,
शाशक भयो सवार।
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