सन् 1849 में हुआ डगशाई जेल का निर्माण

By: Jun 14th, 2017 12:05 am

1849 ई. में 72,873 रुपए, जो उन दिनों एक बहुत बड़ी राशि समझी जाती थी, से निर्मित डगशाई जेल में 54 कैदी कोठरियां हैं। इनमें वे एकांत कोठरियां भी शामिल हैं, जो प्रकाश की किरण से भी विहीन थीं और जहां कैदी मुश्किल से खड़ा भी नहीं हो सकता था…

डगशाई जेल

165 वर्ष पुरानी छावनी की शिल्पकला और ऐतिहासिक विरासत को पुनर्जीवित करने के दृष्टिगत, सेना ने जेल की ऐतिहासिक संगतता को दर्शाने के लिए एक संग्रहालय 13 अक्तूबर, 2011 ई. को 9 इन्फेंटरी डिवीजन के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल एमके गैडोक द्वारा बिग्रेडियर पीएन अनंतनारायणन, कमांडर 95 इन्फेंटरी ब्रिगेड, असैनिक प्रतिष्ठित जन, स्कूलों के बच्चे और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति में लोगों को समर्पित किया। 1849 ई. में 72,873 रुपए जो उन दिनों एक बहुत बड़ी राशि समझी जाती थी, से निर्मित इस जेल में 54 कैदी कोठरियां हैं। इनमें वे एकांत कोठरियां भी शामिल हैं, जो प्रकाश की किरण से भी विहीन थीं और जहां कैदी मुश्किल से खड़ा भी नहीं हो सकता था ताकि उसे तंग करने के लिए उसको हर प्रकार के आराम से भी वंचित किया जाए। शिल्पकारों की चतुराई इस तथ्य से नजर आती है कि 1/2 फुट के रोशनदान द्वार हवा का आगमन होता था और उस खिड़की पर बहुत अधिक अवरोध होता था। जमींदोज छेद थे, जो पाइपलाइन के द्वारा हवा खींचते थे और यह पाइपलाइन बाहर की दीवार में जाकर खुलती थी। यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि कैदी को जेल की कोठड़ी से छूटने के लिए कोई रास्ता नहीं था और 165 वर्ष बीत जाने पर भी आज भी वह ढांचा वैसे ही खड़ा है। 1857 ई. में प्रसिद्ध नसीरी रेजिमेंट के गोरखों ने विद्रोह कर दिया।

छितकुल

जिला किन्नौर में 3450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह बासपा घाटी में सबसे अंतिम और ऊंचा गांव है। यह बासपा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। वहां स्थानीय देवी मठी के तीन मंदिर हैं, उनमें से मुख्य 500 वर्ष पुराना है।

छड़ी

यह गज और चांबी नदियों के मध्य सित है। छड़ी नगर मुद्दत से आकर्षण का केंद्र रहा है। इसे बाबा शोभा नाथ की नगरी भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान शिव ने यहां जहर पिया था, अतः इसे विषनगरी भी कहते हैं। एक स्थानीय राणा ने कुछ शताब्दियां पहले नगर को पानी लाने के लिए नहर की रूह को संतुष्ट करने के लिए अपनी पुत्रबधु का बलिदान दिया था। इस कारण इसे पापनगरी भी कहते  हैं। राणा का नाम जसपत राणा था और पुत्रबधु इंद्रावती थी जो सुकेत के राणा की बेटी थी। राणा को यह सलाह ठेंगा पंडित नाम के पंडित द्वारा दी गई थी। 1854 ई. में एक बौद्ध मंदिर के अवशेष यहां मिले थे। छड़ी तिर्गत (आधुनिक कांगड़ा) का एक महान सांस्कृतिक केंद्र है।

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