समसामयिकी

By: Jun 14th, 2017 12:07 am

शंघाई सहयोग संगठन में भारत

समसामयिकीभारत तथा पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्यता प्रदान करने के साथ ही शंघाई सहयोग संगठन ने अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार किया है। चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा तजाकिस्तान द्वारा साल 2001 में स्थापना के बाद इस संगठन में पहली बार दक्षिण एशिया के देश शामिल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि अपने मतभेदों को दूर करने के लिए भारत तथा पकिस्तान के पास अब एक नया मंच है। कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव ने कहा कि दो नए सदस्यों के शमिल होने से संगठन के विकास को नई गति मिली है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी प्रासंगिकता को और बढ़ावा मिलेगा। नए आवेदन के लिए एससीओ ने अपने द्वार खोल रखे हैं और अगले उम्मीदवार के रूप में ईरान पर विचार किया जाएगा, जिसका रूस समर्थन करता है, जबकि संगठन के कुछ सदस्य इसका विरोध कर रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के पक्के मित्र नजरबायेव ने कहा कि नए सदस्यों को शामिल करना संगठन के लिए जरूरी है, हालांकि उन्होंने किसी खास देश का नाम नहीं लिया। ईरान की ही तरह अफगानिस्तान भी अब संगठन में प्रेक्षक की भूमिका में आ गया है और अंदरूनी संघर्षों से निजात पाने के बाद यह संगठन में शामिल हो सकता है। अस्ताना के अंतिम घोषणापत्र के अलावा, एससीओ के नेताओं ने 10 अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें कट्टरवाद से निपटने के लिए एक सम्मेलन तथा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई के लिए एक घोषणा पत्र शामिल है

क्या है शंघाई सहयोग संगठन

अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निपटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। इसे शंघाई फाइव कहा गया था। जून 2001 में चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कजाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन शुरू किया और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निपटने तथा व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया। शंघाई फाइव के साथ उजबेकिस्तान के आने के बाद इस समूह को शंघाई सहयोग संगठन कहा गया। रूस, चीन, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान एससीओ के स्थायी सदस्य देश हैं। शंघाई सहयोग संगठन के छह सदस्य देशों का भूभाग यूरोशिया का 60 प्रतिशत है। यहां दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं। 2005 में कजाकस्तान के अस्ताना में हुए सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भी पहली बार हिस्सा लिया। इस सम्मेलन के स्वागत भाषण में कजाकस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेफ ने कहा था कि इस वार्ता में शामिल देशों के नेता मानवता की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। एससीओ ने संयुक्त राष्ट्र से भी संबंध स्थापित किए हैं और यह महासभा में पर्यवेक्षक है। एससीओ ने यूरोपीय संघ, आसियान, कॉमनवैल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी संबंध स्थापित किए हैं। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर सहयोग बढ़ाना है। पश्चिमी मीडिया मानता रहा है कि एससीओ का मुख्य उद्देश्य नेटो के बराबर खड़ा होना ह।

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