सामने आ रही प्रतिभाओं को निखारो

By: Jun 30th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

भूपिंदर सिंहसरकारी नौकरी में लगे खिलाडि़यों को प्रशिक्षण के लिए पूरा समय देना होगा। खिलाड़ी को अभ्यास के लिए समय नहीं मिलेगा, तो उसकी प्रतिभा दम तोड़ती जाएगी। यह सरकार का भी दायित्व बनता है कि वह खिलाडि़यों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था करे, ताकि खिलाड़ी दूसरे राज्यों की तरफ पलायन न करें…

हिमाचल प्रदेश के कई खिलाडि़यों ने सेना, सुरक्षाबलों तथा अन्य राज्यों में नौकरी करते हुए उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम के सहयोग से ओलंपिक, एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए पदक जीते हैं। हिमाचल में रहकर कनिष्ठ वर्ग में तो हिमाचल के कई दर्जन खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश को पदक दिलाने में कामयाब होते हैं, मगर वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में गिनती के लोग ही सामने आ पाए हैं। एथलेटिक्स में शिलारू, धर्मशाला तथा बिलासपुर खेल छात्रावास तथा कुछ अन्य प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम से कई धावक व धाविकाएं कनिष्ठ राष्ट्रीय व अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में प्रदेश के लिए पदक जीत चुके हैं, मगर इनमें से चंद नाम हैं, जो वरिष्ठ राष्ट्रीय एथलेटिक्स में भी पदक जीत सके हैं। महिला वर्ग में कलावती तथा वनिता ठाकुर लंबी दूरी की दौड़ों तथा संजो देवी भाला प्रक्षेपण में वरिष्ठ राष्ट्रीय एथलेटिक्स तक हिमाचल को पदक दिला पाई है, जबकि पुरुष वर्ग में केवल अमन सैणी ही अकेले धावक हैं, जो कनिष्ठ राष्ट्रीय पदक विजेता बनने के बाद वरिष्ठ राष्ट्रीय पदक विजेता बना है। क्रॉस कंट्री में अमन सैणी कई बार एशियाई प्रतियोगिता तक का सफर पूरा कर चुका है। कबड्डी एक ऐसा खेल है, जिसमें कई हिमाचली जो कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक विजेता से वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी हिमाचल को पदक दिलाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व कर देश के लिए पदक दिलाए हैं। अजय ठाकुर, पूजा ठाकुर, बबीता ठाकुर तथा रितु नेगी आदि कई नाम हैं, जो भारत के लिए पदक दिलाने में कामयाब रहे हैं, जहां प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा, जयपाल चंदेल, दयाराम चौधरी, रतन ठाकुर का योगदान रहा है, वहीं पर रामलाल ठाकुर तथा नंद लाल ने कबड्डी प्रशासक होते हुए कबड्डी को एक नई दिशा दी है। इसके बाद राज्य में मुक्केबाजी संघ जो राजेश भंडारी की देखरेख में चलता रहा है। उसके खेल परिणाम भी कनिष्ठ वर्ग से लेकर वरिष्ठ राष्ट्रीय मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं में बहुत अच्छे रहे हैं। मुक्केबाजी के प्रशिक्षक नरेश कुमार के कई मुक्केबाज इस बात का उदाहरण हैं कि कनिष्ठ स्तर से लेकर वरिष्ठ प्रतियोगिताओं तक लगातार प्रशिक्षण से खिलाड़ी आगे तक जा सकता है।

हैंडबाल में आजकल कनिष्ठ स्तर पर बहुत सी लड़कियां बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। देखते हैं स्नेहलता का प्रशिक्षण उन्हें कितना ऊपर ले जाता है। इसी तरह हाकी, वालीबाल, कोर्फबाल और नेटबाल सहित कई खेलों में कई कनिष्ठ हिमाचली खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करते जा रहे हैं, मगर वरिष्ठ स्तर पर फिर दूर-दूर तक कोई भी नजर नहीं आता है। इस सब के लिए कौन जिम्मेदार है तथा किस तरह हम कनिष्ठ वर्ग से वरिष्ठ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन खिलाड़ी कर सकते हैं। इस सब के लिए जब खेल जानकारों से राय ली गई, तो सामने आया कि सरकार तथा खेल संघ समाज में खेलों का प्रचार व प्रसार इस तरह से नहीं कर पाए, जिससे खेलों के लिए राज्य में अनुकूल वातावरण मिल सके। शिक्षा संस्थानों में खिलाडि़यों के साथ सौतेला व्यवहार होता है। इसलिए कई प्रतिभावान खिलाड़ी समय से पूर्व ही खेल को अलविदा कह देते हैं। राज्य में कनिष्ठ खिलाडि़यों के लिए तो खेल छात्रावास हैं, मगर वरिष्ठ स्तर पर अगर प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखना हो तो उसके लिए कोई भी मंच उपलब्ध नहीं है। नौकरी लगने के बाद अधिकांश विभाग अपने खिलाडि़यों को प्रशिक्षण के लिए समय ही नहीं देते हैं। बेरोजगार खिलाडि़यों के लिए राज्य में किसी भी प्रकार के वजीफे का प्रबंध नहीं है। हां सालाना 1200 रुपए वजीफे का मजाक गैर छात्र खिलाडि़यों के लिए राज्य का खेल विभाग जरूर करता है। उभरते खिलाडि़यों के लिए राज्य में प्रशिक्षण का पूरा-पूरा प्रबंध राज्य सरकार के खेल विभाग तथा उस खेल के राज्य संघ को मिलकर करना होगा। नौकरी लगने के बाद विभाग को भी खिलाड़ी के प्रशिक्षण के लिए उदार होना पड़ेगा। सरकारी नौकरी में लगे खिलाडि़यों को प्रशिक्षण के लिए पूरा समय देना होगा। खिलाड़ी को अभ्यास के लिए समय नहीं मिलेगा, तो उसकी प्रतिभा दम तोड़ती जाएगी।  यह सरकार का भी दायित्व बनता है कि वह खिलाडि़यों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था करे, ताकि खिलाड़ी दूसरे राज्यों की तरफ पलायन न करें। पहले ही हिमाचल से कितने ही खिलाड़ी दूसरे राज्यों के लिए मेडल जीत रहे हैं।  सरकार व खेल विभाग की पहल से ही हिमाचल के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर पदक जीतने के काबिल बन सकेंगे।

ई-मेलः penaltycorner007@rediffmail.com

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