सिर्फ संस्कृत में बात

By: Jun 28th, 2017 12:05 am

NEWSकर्नाटक में तुंगा नदी के पास एक छोटा सा गांव मत्तुर है। यह गांव इसलिए खास है, क्योंकि गांव के लोग देवभाषा यानी संस्कृत में बातचीत करते हैं। गांव का हर एक व्यक्ति, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान संस्कृत भाषा में ही बात करता है। इस गांव में संस्कृत भाषा प्राचीनकाल से बोली जाती है। यहां लोग दूर-दूर से संस्कृत सीखने आते हैं। इस गांव में न तो कोई रेस्तरां है और न ही कोई गेस्ट हाउस। गांव में जो भी देवभाषा सीखने की इच्छा लेकर आता है, गांव वाले उन्हें अपने-अपने घरों में मेहमान बनाकर रखते हैं और ‘अतिथि देवो भवः’ की परंपरा का पालन करते हैं। इस गांव के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में संस्कृत भाषा का ही प्रयोग करते हैं, फिर चाहे वह पांच साल का बच्चा हो या फिर 80 साल का बूढ़ा। यहां के लोग दावा करते हैं कि जिन्हें संस्कृत नहीं आती, वे यहां पर केवल 20 दिन में इस भाषा को सिख सकते हैं। इसके अलावा यहां के विद्वान स्काइप के जरिए विदेश में बैठे लोगों को भी निःशुल्क संस्कृत का ज्ञान करा रहे हैं। गांव के लोग बताते हैं कि लगभग 600 साल पहले केरल के ब्राह्मण मत्तूर में आकर बसे थे। वे आपस में संस्कृत भाषा में ही बात किया करते थे। इसके साथ ही वे संकेथी में भी संवाद करते थे। संकेथी संस्कृत, तमिल, कन्नड़ और तेलगू का मिश्रण है। मत्तूर गांव में एक मंदिर और पाठशाला है, जहां वेदों को पारंपरिक रूप से पढ़ाया जाता है। इस गांव के हर परिवार से एक बच्चा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जबकि लगभग 30 व्यक्ति कुवेम्पु, बंगलूर, मैसूर और मंगलौर के यूनिवर्सिटी में संस्कृत के प्रोफेसर हैं।

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