हिमाचली पुरुषार्थ : पहाड़ को कला से रंगने की तैयारी में मुकेश थापा

By: Jun 14th, 2017 12:07 am

थापा ने अपने दाढ़ी के मात्र एक बाल से पोट्रेट बनाकर  वर्ल्ड रिकार्ड बनाते हुए लिम्का वर्ल्ड रिकार्ड में भी अपना नाम दर्ज किया है। इसके अलावा वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 18 अमरीकन आर्ट अवार्ड जीत कर विश्व भर में प्रदेश का नाम रोशन कर चुके हैं। साथ ही बेस्ट ऑयल अवार्ड यूएसए का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं…

पहाड़ को कला से रंगने की तैयारी में मुकेश थापाहिमाचल की खूबसूरत वादियों की प्राकृतिक खूबसूरती और भोले-भाले राज्य के सजीव नेचुरल लोगों, बच्चों और जानवरों को अपने रंगों के हुनर से सजाकर धर्मशाला के कलाकार मुकेश थापा विश्व भर में प्रसिद्ध कर रहे हैं। इतना ही नहीं, मुकेश थापा ने अपने पेंटिंग की कलाकारी का जादू दिखा विश्व को अपना दिवाना बनने पर मजबूर कर दिया है। थापा ने अपने दाढ़ी के मात्र एक बाल से पोट्रेट बनाकर  वर्ल्ड रिकार्ड बनाते हुए लिम्का वर्ल्ड रिकार्ड में भी अपना नाम दर्ज किया है। इसके अलावा वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 18 अमरीकन आर्ट अवार्ड जीत कर विश्व भर में प्रदेश का नाम रोशन कर चुके हैं। साथ ही बेस्ट ऑयल अवार्ड यूएसए का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं। मुकेश की कैनवास की जादूगरी और पेंटिंग का हुनर देख कर हिस्ट्री टीवी ने विश्व भर में उनका स्पेशल शो दिखाया है। मुकेश थापा का जन्म हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर में 29 मार्च, 1979 में हुआ। माता देव माया और पिता स्वर्गीय एमएस थापा ने भारतीय सेना में सेवाएं प्रदान की। मुकेश के परिवार में उनकी दो बहनें भी हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। मुकेश की आरंभिक शिक्षा नर्सरी स्कूल धर्मशाला व ब्वायज स्कूल धर्मशाला में हुई। थापा ने उच्च शिक्षा पीजी कालेज धर्मशाला से बीकॉम में प्राप्त की। छठी कक्षा में पढ़ते हुए ही उन्हें पेंटिंग करने का शौक पैदा हुआ। उन्होंने बिना कोई गुरु बनाए प्राकृतिक स्रोतों से प्रेरित होकर लगातार पेंटिंग करने का अभ्यास शुरू कर दिया। जिसके बाद स्कूल में पेंटिंग प्रतियोगिता में अध्यापकों, छात्रों और परिवार सहित अन्य लोगों द्वारा चित्रकला को सराहा गया। जिसके बाद थापा पेंटिंग को ही अपने जीवन का एक मात्र लक्ष्य बनाकर पूरी तरह से जुट गए। उन्होंने पेंटिंग को ही अपना रोजगार, स्वरोजगार, बिजनेस और पत्नी तक बना लिया। पिछले 33 साल से लगातार पेंटिंग में ही लीन होकर ऑयल पेंटिंग से विश्व भर को आश्चर्यचकित कर रहे हैं। कई अवार्ड मुकेश थापा अपने नाम कर चुके हैं। थापा ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए लगभग देश भर में अपनी पेंटिंग की एग्जीबिशन लगा चुके हैं, जिनमें दिल्ली, मुंबई, पूना, बंगलूर, अमृतसर, चंडीगढ़, शिमला, कांगड़ा कला संग्रहालय सहित कई राज्यों में अपनी प्रदर्शनियां लगा चुके हैं। मुकेश थापा अब आगामी समय में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में एक बड़ी आर्ट गैलरी बनाकर लोगों को प्रेरित कर राज्य के उभरते हुए कलाकारों को भी सिखाना चाहते हैं।

उपलब्धियां

मुकेश थापा अपनी कलाकारी की जादुगरी से दाढ़ी के बाल से पोट्रेट बनाकर लिम्का बुक रिकार्ड, एशिया बुक रिकार्ड, इंडिया बुक रिकार्ड, चाईना बुक ऑफ रिकार्ड, नेपाल रिकार्ड, यूनिक वर्ल्ड रिकार्ड, वर्ल्ड रिकार्ड इंडिया और रिकार्ड होल्डर रिपब्लिक कुल मिलाकर नौ रिकार्ड बुक्स में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं। शुरुआती दौर में मुकेश थापा को 2004 में नेशनल अवार्ड के लिए नामिनेट किया गया। इसके बाद उन्होंने भाषा एवं संस्कृति विभाग अवार्ड, 1993 में कांगड़ा कला संग्रहालय अवार्ड सहित कई दर्जनों इनाम अपने नाम दर्ज किए। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमरीकन आर्ट अवार्ड में नौ, गोल्ड ब्रश अवार्ड नौ कुल मिलाकर 18 अवार्ड जीते हैं। इसके साथ ही बेस्ट ऑयल अवार्ड यूएसए, गोल्ड ब्रश अवार्ड में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया है। लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज करवाने वाले मुकेश थापा की कलाकारी का जादू हिस्ट्री टीवी में भी विश्व भर को दिखाया गया है। जिनके शो अभी भी दिखाए जा रहे हैं।

पहाड़ को कला से रंगने की तैयारी में मुकेश थापाजब रू-ब-रू हुए…

धर्मशाला में विश्व स्तरीय आर्ट गैलरी खोलने की तमन्ना…

आपके भीतर कब कला रेखाओं ने जन्म लिया?

छठी कक्षा में अध्ययन करते हुए प्राकृतिक खूबसूरती को रंगों में सजाने का ख्याल आया, बस तभी से मेरा कला को सीखने का सफर शुरू हो गया।

पहली रचना क्या थी, और कल्पना कहां से आई?

पहली रचना एक स्टेच्यू कार्टून की बनाई थी। उसके बाद लगातार अभ्यास करने के बाद सही अर्थों में अपनी पहली सही पेंटिगं माता-पिता का पोट्रेट बनाया।

आपको कलाकार किसने बनाया या पहली पहचान कैसे मिली?

पहली बार छठी में कक्षा में पेंटिंग बनाने पर अध्यापकों, अभिभावकों और साथियों ने काफी प्रशंसा की, बस तभी से और अधिक बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिली। मुझे 1992 में पेंटिंग में कांगड़ा कला संग्रहालय और नेशनल अवार्ड नामिनेशन से पहचान मिली।

कोई वस्तु या व्यक्ति को कलात्मक दृष्टि से देखने का अर्थ क्या है?

किसी वस्तु, व्यक्ति और प्राकृतिक खूबसूरत दृश्य की सादगी दिल को छुए तो उसे ही मेरे लिए कैनवास पर उतारने की जिज्ञासा रहेगी।

सबसे कम या अधिकतम समय में बनी कलाकृतियां कौन सी हैं?

सबसे कम समय में पोट्रेट तैयार किया था, जिसे दो दिन लगे थे। जबकि सबसे अधिक समय में साइलेंट फ्रेंड पेंटिंग बनाई, जिसे बनाने में आठ माह का समय लग गया।

आपकी कौन सी पेंटिंग मास्टर पीस मानी जाती है?

साइलेंट फ्रेंड, जिसमें एक छोटा सा बच्चा चीड़ के पेड़ के तने के साथ खामोशी से निहार रहा है।

समाज में कलाकार साबित होना या कलाकार बनकर जीना कितना कठिन या सरल?

समाज में कलाकार साबित होना एक कठिन कार्य है, लेकिन ईमानदारी और सच्ची लगन से काम करने पर समाज आपको सही स्थान भी प्रदान करता है। कलाकार होने के नाते समाज के लिए और अधिक बेहतरीन करने की ललक भी बनी रहती है।

पुरस्कार आपके लिए क्या मायने रखता है, और भविष्य में किसकी आशा करते हैं?

मेरा लक्ष्य और सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेडल भारत को दिलाने का है। जिससे विश्व भर में भारत का नाम रोशन हो सके। अब भविष्य में भारत के हर कलाकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके, इसी बड़े अवार्ड की आशा है।

अब तक मिली प्रशंसा में सबसे बड़ी टिप्पणी और यह किसने की?

स्कूल समय से अध्यापकों, सहपाठियों, माता-पिता और एग्जीबिशन में हर आम व्यक्ति की प्रशंसा मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है, और मुझे प्रेरित करती है।

क्या कला की औपचारिक शिक्षा का कोई फायदा है, या कलाकार को कोई दैवीय शक्ति ही कला दूत बना कर भेजती है?

दुनिया में दो तरह के आर्टिस्ट होते हैं, एक वो जो लंबे समय तक शिक्षा प्राप्त कर डिग्रियां प्राप्त करते हैं। जबकि दूसरी तरफ मन में विश्वास के साथ लगातार अपने काम में सुधार करने के प्रयास करने वाले कलाकार हैं। दोनों का ही अपना-अपना महत्त्व है। लेकिन अपने मन और जिज्ञासा के कलाकार में अवश्य ही दैवीय वरदान रहता है।

विश्व या देश के किस कलाकार के प्रशंसक या प्रभावित?

प्रसिद्ध चित्रकार सोेभा सिंह जी।

किसी कलाकार से प्रत्यक्ष मिलने का ख्वाब?

सोभा सिंह जी से मिलने का ख्वाब रहा, लेकिन दुखः है कि उनका देहांत हो चुका है, लेकिन अब भारत के हर कलाकार से मिलकर मुझे खुशी होती है।

कला के लिए उपयुक्त स्थल किसे मानते हैं?

कलाकार के लिए कोई भी स्थल सही हो सकता है, अपनी लगन से काम करने पर। मेरे लिए तो धर्मशाला ही सबसे उपयुक्त है, इसी स्थल पर एक बड़ी आर्ट गैलरी बनाना चाहता हूं, जहां पेंटिंग को बेचने की बजाय सीखने और देखने का कार्य किया जाए।

कोई सपना जिसे पूरा करना चाहेंगे?

अंतरराष्ट्रीय मेडल को भारत के लिए जीतने के लिए अधिक से अधिक कलाकार प्रयास करें और धर्मशाला में विश्व स्तरीय आर्ट गैलरी खोलना।

गोरखाली गीत जिसे गुनगुनाना चाहेंगे?

मेरा पंसदीदा गीत है ‘कांची रे कांची रे प्रीत मेरी सांची रुक जा न जा  दिल तोड़ के हो हो’…।

नरेन कुमार, धर्मशाला

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