खुले में शौच से मुक्ति !

By: Jul 20th, 2017 12:02 am

(कृष्ण चंद शर्मा, गगल, कांगड़ा )

प्रदेश तो खुले में शौच की प्रथा से मुक्त हो गया, लेकिन क्या कभी सरकार के जहन में यह ख्याल नहीं आया कि हजारों की संख्या में झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले प्रवासी मजदूर शौच से कहां मुक्त होते होंगे? क्या वे खुले में शौच नहीं करते होंगे? खड्डों के किनारे पुलों-पुलियों के नीचे, वीरान जगहों पर बसे बाहरी मजदूर सीविक कानून से मुक्त हैं। सरकार अगर सही मायनों में जनता की सरकार है, तो प्रदेश में रह रहे बाहरी मजदूरों व कामगारों को आवास उपलब्ध कराए, जहां सारी सहूलियतें उपलब्ध हों। उन्हें सरकार आवास किराए पर दिलाए, तभी अखंड भारत नजर आएगा। भेदभाव रहित शासन-प्रशासन को ही रामराज की संज्ञा दी जाती है। प्रदेश को पूर्ण रूप से स्वच्छ बनाने के लिए सरकार इस विषय पर भी गंभीरता से विचार करे।

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