जीएसटी में हिमाचल

By: Jul 9th, 2017 12:05 am

हिमाचल के लिए जीएसटी लागू करना फायदे का सौदा माना जा रहा है। प्रदेश को जो टैक्स अभी तक मिल रहा है,उसमें लगभग 25 से 30 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है। राज्य सरकार के अनुमान के मुताबिक उसे करीब 500 से 1000 करोड़ रुपए का मुनाफा होगा। जीएसटी से होने वाले नफे-नुकसान के बारे में दखल के जरिए बता रहे हैं  शकील कुरैशी…

हिमाचल प्रदेश जैसे उपभोक्ता राज्य के लिए जीएसटी लागू करना फायदे का सौदा माना जा रहा है। प्रदेश को जो कर अभी तक मिल रहा है,उसमें लगभग 25 से 30 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है। राज्य सरकार के अनुमान के मुताबिक उसे करीब 500 से 1000 करोड़ रुपए का मुनाफा होगा। अभी तक इसका पूरा अनुमान नहीं लगाया जा सका है, लेकिन जीएसटी काउंसिल की बैठकों के दौरान हिमाचल के अधिकारियों के सामने जो तथ्य आए हैं,उससे राज्य को इतना मुनाफा माना जा रहा है। वैसे इसमें और बढ़ोतरी की बात विशेषज्ञ मानते हैं क्योंकि कई सेक्टर ऐसे थे, जो कि पूरा टैक्स नहीं दे रहे थे। इसमें वे उद्योगपति भी शामिल हैं , जिनको केंद्र सरकार से विशेष पैकेज के दौरान रियायतें मिल रही थीं और अभी लागू थीं। परंतु अब उन उद्योगपतियों को भी जीएसटी अदा करना पड़ेगा, जिससे यकीनन टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी। हिमाचल प्रदेश इसी दृष्टि से जीएसटी को देख रहा है कि उसका राजस्व बढ़ेगा। इसमें प्रदेश सरकार को कोई दिक्कत भी नहीं है क्योंकि पेट्रो पदार्थों के साथ शराब और रोड टैक्स की दरें वह खुद ही तय कर रहा है, जिसका अधिकार जीएसटी में प्रदान किया गया है।

ऐसे में हिमाचल को उतनी बड़ी परेशानी नहीं होने वाली क्योंकि सेंट्रल टैक्स की कलेक्शन, जो कि पहले प्रदेश सरकार करती थी और वह पैसा केंद्र को दिया जाता था,वह अब खुद केंद्र सरकार जुटाएगी और उसकी कुल कलेक्शन का हिस्सा प्रदेश को प्रदान किया जाएगा। सेंट्रल टैक्सों पर राज्य सरकारें अपना वैट लगाती थीं, अब वे दरें सीधे केंद्र सरकार ने जीएसटी में जोड़ दी हैं लिहाजा  कारोबारी को भी अलग-अलग टैक्स नहीं देना पड़ेगा बल्कि एक टैक्स के जरिए सभी टैक्स अदा हो जाएंगे। इतना ही नहीं,हिमाचल प्रदेश को सबसे अधिक फायदा पेट्रोल, डीजल, आबकारी  और रोड टैक्स का रहता है, जो कि सीधे रूप से राज्य के ही हाथ में है। यही वजह है कि इनके मूल्य में कोई बदलाव नहीं आ रहा है और पुरानी दरों पर ही ये चल रहे हैं। उपभोक्ताओं को टैक्स देना है,जिसमें अनगिनत चीजों पर जीएसटी लगेगा,जिनकी दरें तय कर दी गई हैं। किसी वस्तु पर पांच फीसदी तो किसी पर 12 तो किसी पर 18 से लेकर 28 फीसदी तक कर है। हालांकि कई जरूरत की चीजें भी इसमें महंगी हो रही हैं, जिसमें पढ़ाई सबसे अहम है जिसके लिए जरूरी सामान नई दरों से महंगा कर दिया गया है।

नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर

व्यवसायियों के लिए पूरी प्रक्रिया कम्प्यूटरीकृत कर दी गई है,जिससे उनको बड़ा आराम रहेगा। अभी तक कारोबारियों को आबकारी विभाग के कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे। किसी भी तरह के टैक्स को जमा करवाने के लिए बिल कटवाने पड़ते थे और फार्म भरकर टैक्स की अदायगी करनी पड़ रही थी। भविष्य में सभी कारोबारियों को खुद के आईडी नंबर दिए गए हैं जिसके जरिए वे लोग  कम्प्यूटरों के जरिए वेबसाइट पर अपना टैक्स ई-फार्मों के जरिए भर सकते हैं।

प्रदेश खुद जुटाएगा 2300 करोड़

हिमाचल प्रदेश को अब तक सभी तरह के टैक्स कलेक्शन से सालाना 8300 करोड़ रुपए के आसपास का राजस्व मिलता रहा है।  इसमें से लगभग छह हजार करोड़ का टैक्स केंद्र  सरकार को जीएसटी के रूप में शिफ्ट हो गया है, जिसमें कई सारे टैक्स हैं। राज्य के पास जो 2300 करोड़़ के टैक्स कलेक्शन की शक्ति है उसमें 1200 करोड़ रुपए के आसपास का आबकारी कर है।

केंद्र का मॉडल अपनाया

हिमाचल प्रदेश ने टैक्स के डिजिटलाइजेशन पर केंद्र सरकार का ही मॉडल अपनाया है। हिमाचल ही नहीं बल्कि लगभग 20 राज्यों ने डिजिटलाइजेशन के इस मॉडल को अपनाया है। केंद्र सरकार ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क स्थापित किया है,जिसके तहत सॉफ्टवेयर बनाया गया है और ये सॉफ्टवेयर हिमाचल को भी मिला है। हिमाचल का आबकारी एवं कराधान विभाग इस पर ही काम कर रहा है। इसके तहत यहां के कारोबारियों को जीएसटी एन आईडी नंबर दिए गए हैं,जिनको कारोबारी इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रदेश में आबकारी एवं कराधान विभाग पिछले चार साल से डिजिटलाजेशन करने की राह में चल पड़ा था। यहां पर कारोबारी लगभग एक साल पहले से ऑनलाइन टैक्स पेमेंट्स कर रहे थे, लिहाजा यहां उतनी अधिक परेशानी बड़े कारोबारियों को नहीं आएगी। इसमें छोटे कारोबारियों को कुछ परेशानी पेश आ रही है, जो ऑनलाइन टैक्स देने की प्रक्रिया को सीख रहे हैं।

आबकारी अफसर रखेंगे नजर

यहां आबकारी अधिकारियों को जीएसटी के आईडी मिल गए हैं उनका काम केवल नजर रखने का होगा। अपने-अपने क्षेत्र में यहां के अधिकारी इन लॉग इन आईडी से नजर रख सकते हैं। कितना सामान यहां से बाहर भेजा जा रहा है और कितना सामान बाहर से हिमाचल को आ रहा है,इस पर महकमा नजर रख सकता है परंतु उसे टैक्स कलेक्शन का अधिकार नहीं होगा। यह टैक्स सीधे रूप से माल भेजने वाला केंद्रीय वेबसाइट के माध्यम से जमा करवाएगा। हालांकि ऐसा नहीं करने वालों को पकड़ने का काम यहां के अधिकारी करेंगे, जिनको इसकी पूर्व सूचना रहेगी।

जानिए क्या होगा महंगा

* जीएसटी लागू होने के बाद  सोना महंगा हो सकता है। सोने पर इस समय एक फीसदी उत्पाद शुल्क और राज्यों द्वारा एक फीसदी वैट लगाया जाता है। इन दरों को ध्यान में रखते हुए सोना और स्वर्ण आभूषणों पर तीन फीसदी टैक्स लगाने का फैसला लिया गया  है।

* ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं, बीमा प्रीमियम भुगतानों और क्रेडिट कार्ड के बिलों पर थोड़ी ज्यादा जेब ढीली करनी होगी क्योंकि ये सभी सेवाएं जीएसटी की 18 प्रतिशत दर के दायरे में आएंगी, जिन पर अभी 15 प्रतिशत की दर से कर लगता है।

* मोबाइल फोन बिल बढ़ने का अनुमान है और प्रीपेड ग्राहकों को रिचार्ज करने पर अपेक्षाकृत कम टॉकटाइम मिलेगा। दूरसंचार सेवाओं पर वर्तमान 15 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत की कर श्रेणी में आएंगी।

* शैम्पू, परफ्यूम और मेकअप के उत्पादों पर 28 फीसदी टैक्स देना होगा, जबकि   अब तक 22 फीसदी टैक्स लगता था।

* सभी कारों पर 28 फीसदी का टैक्स, छोटी कारों पर एक फीसदी का सेस तो एसयूवी और अन्य लग्जरी कारों पर 15 फीसदी तक का सेस लगेगा।

* टूअर एंड ट्रैवल पर 18 फीसदी टैक्स लगेगा,जो अभी 15 फीसदी लगता है।

रेस्तरां में खाना महंगा हो जाएगा, लेकिन 75 लाख रुपए से कम के सालाना टर्न ओवर वाले रेस्तरां पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगना है। इसका मतलब है कि यहां भोजन करना पहले से थोड़ा सस्ता होगा।

ये होगा सस्ता

* मीट, दूध, दहीं, ताजा सब्जियां, शहद, प्रसाद, कुमकुम, बिंदी और पापड़ को जीएसटी दायरे से बाहर रखा गया है। प्रोसेस्ड फूड, कन्फेक्शनरी उत्पाद और आइसक्रीम पर टैक्स की दर 18 फीसदी होगी, जो पहले 22 फीसदी थी।

* 500 रुपए से कम के फुटवियर पर पांच फीसदी जीएसटी, जबकि पहले 500 रुपए तक के चप्पल जूतों पर 9.5 फीसदी लगता था। 1,000 रुपए से कम कीमत के रेडीमेड कपड़ों पर टैक्स में कोई बदलाव नहीं होगा।

* इकॉनोमी क्लास में विमान यात्रा सस्ती हो जाएगी। इकॉनोमी श्रेणी के किराए के लिए जीएसटी दर पांच फीसदी तय की गई है,अभी यह छह फीसदी है।

* चीनी, खाद्य तेल, नार्मल टी और कॉफी पर जीएसटी के अंतर्गत पांच फीसद की दर से टैक्स लगेगा, जो कि पहले चार से छह फीसदी है। स्मार्टफोन भी सस्ता हो जाएगा। इन पर अभी 13.5 फीसदी टैक्स लगता है। इन पर 12 फीसदी कर लगेगा।  जीएसटी में दवाइयों की कीमतें भी घटेंगी क्योंकि इन पर अभी 14 प्रतिशत टैक्स लग रहा है जो घटकर 12 प्रतिशत रह जाएगा। हेयर ऑयल और साबुन भी सस्ता होगा।

आम उपभोक्ता के लिए नया टैक्स

आम उपभोक्ताओं के लिए जीएसटी के मायनों की बात करें तो सालों से जिन वस्तुओं पर वह कई तरह के टैक्स अदा कर रहे थे वो अब नहीं देने होंगे। केंद्र सरकार ने सभी वस्तुओं के जीएसटी को निर्धारित कर दिया है और उपभोक्ता को  इसके बाद निर्धारित दर पर टैक्स देना होगा। राज्य में किसी भी सामान के पहुंचने के बाद गुड्स टैक्स, सर्विस टैक्स व वैट चुकता करना पड़ रहा था, जो कि अब जीएसटी में समावेशित कर दिए गए हैं। वस्तुओं पर निर्धारित कर की दर से ही उसका मूल्य निर्धारित होगा। प्रदेश में लोगों को इसके लाभ व हानि का पता धीरे-धीरे चलेगा क्योंकि अभी सभी वर्गों में असमंजस की स्थिति चल रही है। कई चीजें उपभोक्ताओं को पहले से कम दामों पर भी मिलेंगी तो बहुतेरी ऐसी चीजें होंगी जोपहले से अधिक दाम में मिलेंगी।

बदलेगी सरकारी खरीद प्रक्रिया

जीएसटी लागू होने से प्रदेश सरकार के सभी महकमों की खरीद प्रक्रिया में भी बदलाव आएगा। जो-जो सामान ये विभाग अब तक खरीद रहे थे, उनमें राज्य सरकार का टैक्स अलग से लग रहा था ,लेकिन अब वो टैक्स नहीं होगा। वहीं जीएसटी की दरें भी अलग-अलग निर्धारित हैं। ऐसे में सरकारी महकमों को इससे काफी ज्यादा दिक्कतें आने वाले दिनों में पेश आएंगी। सरकारी महकमों के लिए उद्योग विभाग का कंट्रोलर ऑफ स्टोर विंग खरीद करता है, जिसे द्वारा दरों को तय किया जाता है ,जिसके बाद विभाग उस पर टेंडर करवाते हैं। अब इन दरों को जीएसटी के मुताबिक उद्योग विभाग को भी बदलना होगा ,जो नए सिरे से सामान की दरें निर्धारित करेगा और उस पर विभाग नए सिरे से ही टेंडर करेंगे। अगस्त महीने तक के टेंडर पहले ही हो चुके हैं और वह सामान पहले की दरों में ही विभागों को ऑर्डर के हिसाब से मिलेगा, लेकिन इसमें बाद कंट्रोलर ऑफ स्टोर नई दरें तय करके टेंडर के लिए विभागों को कहेगा। सरकारी महकमों के लिए उन्हीं वस्तुआें पर जीएसटी दरों के निर्धारण की परेशानी रहेगी, जिनको दोबारा से अपना फॉर्मेट बदलना होगा।

ऐसे होगा हिमाचल को फायदा

जीएसटी लागू होने के साथ हिमाचल को उपभोक्ता राज्य होने के नाते अधिक फायदा मिलेगा। तय फार्मूले के मुताबिक पहले प्रदेश में जो सामान दूसरे राज्यों से आता था तो उसी राज्य में उसका टैक्स काट लिया जाता था। जीएसटी लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा बल्कि दूसरे राज्य से यहां आने वाले सामान पर जो टैक्स वहां काटा जाएगा, वह बाद में हिमाचल को ही शिफ्ट हो जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा गठित किए गए जीएसटी नेटवर्क द्वारा यह हिस्सेदारी दी जाएगी। बाहर से आने वाले सामान पर तीन तरह के टैक्स लगेंगे, जिसमें सेंट्रल जीएसटी, स्टेट जीएसटी और इंटिग्रेल जीएसटी। दो राज्यों के बीच जो भी ट्रांजेक्शन होगी उस पर इंटिग्रेल जीएसटी लगेगा और तय स्लैब के हिसाब से टैक्स बंटेगा। यानी प्रदेश में जो भी सामान बाहर से आएगा, उस पर अब हिमाचल को ही टैक्स मिलेगा, जो कि पहले दूसरे राज्य को जाता था। इसके अलावा यहां जो सामान बिकेगा उस पर भी दो तरह के टैक्स यानी सीजीएसटी व एसजीएसटी लगेंगे और इस टैक्स की राशि केंद्र व राज्य में 50-50 के अनुपात में बंटेगी।   यह भी बता दें कि जीएसटी के बाद हिमाचल के पास डेढ़ करोड़ की इन्कम के टैक्सेबल पर्सन 90 फीसदी हैं, जिनसे राज्य सरकार ही टैक्स वसूलेगी वहीं 10 फीसदी सेंट्रल विभाग के पास होंगे

उद्योगपति सकते में

हिमाचल प्रदेश में उद्योगों को केंद्र सरकार ने विशेष पैकेज प्रदान किया था। वर्ष 2010 में केंद्र सरकार ने इस पैकेज को निरस्त कर दिया,जिसकी रियायतें यहां पर वर्ष 2020 तक मिलनी हैं। दिक्कत यह है कि जिन उद्योगपतियों ने वर्ष 2008, 2009 या 2010 में अपने उद्योग तैयार कर उन्हें चालू कर दिया है उनकी रियायतें 2018-2019 व 2020 तक जारी हैं ,जो कि 10 साल की अवधि के लिए मिलती हैं। प्रदेश में ऐसे कई उद्योग हैं,जिनको यह लाभ मिल रहा था,लेकिन अब जीएसटी लागू हो जाने से उन उद्योगों को भी टैक्स अदा करना पड़ेगा। यह भले ही राज्य सरकार के लिए बेहतर है क्योंकि उसके टैक्स में तो जीएसटी के माध्यम से बढ़ोतरी होगी परंतु ये रियायतें लेने वाले उद्योगपति परेशान हो चुके हैं। ये लोग राज्य सरकार से मांग करने लगे हैं जिनका 42 फीसदी का हिस्सा वह राज्य सरकार से माफ करवाना चाहते हैं क्योंकि केंद्र सरकार पहले ही 58 फीसदी की रियायत टैक्स में उनको दे रही है। जीएसटी के लागू होने से ऐसे उद्योगपतियों को दिक्कत पेश आएगी,जिसके लिए वह लामबंद होना शुरू हो गए हैं।

* कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के चेयरमैन राजेश साबू का कहना है कि जिन उद्योगों को विशेष औद्योगिक पैकेज के तहत  रियायतें दी गई थीं, उस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिससे वे उद्योगपति परेशान हैं। बाहर से जो माल हम मंगवा रहे हैं पहले उस पर सीएसटी लगता था, जिसे जीएसटी में विलय किया गया है परंतु सरकार द्वारा जीएसटी में जो पांच स्लैब रखे गए हैं, वे परेशानीदायक हैं। 28 फीसदी की दर काफी ज्यादा है, जिसे कम किया जाना चाहिए। वैसे कुल मिलाकर उद्योगों के लिए भी जीएसटी लाभदायी रहेगा।

— राजेश साबू, सीआईआई प्रमुख

* यह प्रणाली लंबी जद्दोजहद के बाद लागू की गई है मगर अब भी एक वर्ग ऐसा है जो मान रहा है कि यह तैयारी पूरी नहीं है। जीएसटी लागू करने के लिए जो तैयारी सरकार को करनी चाहिए थी ,वह नहीं की गई है। सभी व्यापारी और सलाहकार भी अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। इतने बड़े टैक्स परिर्वतन के लिए पूरी तैयारी की जानी चाहिए थी। हालांकि इससे देश को अनेक फायदे होंगे और टैक्स प्रणाली सहज व पारदर्शी हो जाएगी।

— दिनेश सूद, चार्टर्ड अकाउंटेंट

* आम आदमी के लिए जीएसीटी फायदे का सौदा है।  अभी तक टैक्स सर्विस  को लेकर आम आदमी जागरूक नहीं था क्योंकि जिस भी रेट पर उसे कोई सामान मिलता था,वह खरीद लेता था, परंतु अब लोगों को भी यह पता चलने लगा है कि किस वस्तु पर कितना जीएसटी है। यहीं वस्तु पर लगे दाम पर लोग जीएसटी का मूल्य ढूंढेंगे, जैसा पहले नहीं था। यह आम आदमी के लिए इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि इससे रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में कमी आएगी

— अजय शर्मा, उपभोक्ता

* छोटे उद्योगपतियों को फिलहाल क्लेरीफिकेशन में कुछ परेशानी पेश आ रही है जो कि धीरे-धीरे दूर हो जाएगी।  उद्योगपति वस्तुओं की दरों को लेकर अभी पसोपेश में हैं जिस कारण मार्केट में भी मंदी आई है। इसके लागू होने और इसका पूरी तरह से पता चलने के बाद सब ठीक हो जाएगा, इसकी उम्मीद है। लघु उद्योगों के लिए जीएसटी फायदेमंद साबित होगा।

— महेंद्र सेठ, मालिक लघु उद्योग

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