देवकीनंदन खत्री

By: Jul 3rd, 2017 12:05 am

देवकीनंदन खत्री  हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होंने ‘चंद्रकांता’, ‘चंद्रकांता संतति’, काजर की कोठरी’, ‘नरेंद्र-मोहिनी’, ‘कुसुम कुमारी’, ‘वीरेंद्र वीर’, , ‘कटोरा भर’ और ‘भूतनाथ’ जैसी रचनाएं कीं। ‘भूतनाथ’ को उनके पुत्र ‘दुर्गा प्रसाद खत्री’ ने पूरा किया था। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में उनके उपन्यास ‘चंद्रकांता’ का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास ने सबका मन मोह लिया था। इस किताब का रसास्वादन करने के लिए कई गैर-हिंदी भाषियों ने हिंदी भाषा सीखी। बाबू देवकीनंदन खत्री ने ‘तिलिस्म’, ‘ऐय्यार’ और ‘ऐय्यारी’ जैसे शब्दों को हिंदी भाषियों के बीच लोकप्रिय बना दिया…


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