नाग पंचमी पर कालसर्प दोष की पूजा

By: Jul 22nd, 2017 12:07 am

Aasthaशिव पुराण में कहा गया है कि काल सर्प दोषयुक्त व्यक्ति यदि नागपंचमी पर नाग की पूजा करे व शिवजी पर सहस्राभिषेक करे तो सर्वमनोकामना सिद्धि प्राप्त होती है। नाग पंचमी पर आमतौर पर पांच पौराणिक नागों की पूजा की जाती है जो क्रमशर् अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक व पिंगल हैं। काल सर्प दोष के शमन    के लिए विविध तरह के ज्योतिषीय प्रयोग किए जाते हैं। नागपंचमी के दिन इन प्रयोगों को करने से जल्दी सफलता प्राप्त होती है…

पुराणों के अनुसार तक्षक नाग के डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हुई थी। नागवंशी कर्कोटक के छल से रुष्ट होकर नारदजी ने उसे शाप दिया था। तब राजा नल ने उसके प्राणों की रक्षा की थी। हिंदू व बौद्ध साहित्य में पिंगल नाग को कलिंग में छिपे खजाने का संरक्षक माना गया है। नासिक में ही स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में नाग पूजा का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि श्रद्धालुओं को नासिक के त्र्यंबकेश्वर, औरंगाबाद के घृष्णेश्वर, उज्जैन के महाकालेश्वर या अन्य ज्योतिर्लिंगों में जाकर विधि-विधान से पूजा पाठ करवाने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। शिव पुराण में कहा गया है कि काल सर्प दोषयुक्त कुंडली वाला व्यक्ति यदि नागपंचमी पर नाग की पूजा करें और शिवजी पर सहस्राभिषेक करें तो सर्वमनोकामना सिद्धि प्राप्त होती है। इस दिन नाग दर्शन का विशेष महत्त्व होता है। इस दिन सर्पहत्या की मनाही है। पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी के दिन धरती खोदना निषिद्ध है।   नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा का विशेष महत्त्व होता है। इस दिन काल सर्पदोष की पूजा करने से व्यक्ति को इसके दुष्प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है और जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों से राहत प्राप्त होती है। इसलिए नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग से मुक्ति हेतु शिवलिंग के अभिषेक एवं शांति पूजा की जानी चाहिए। यदि इस दिन द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक किया जाए तो शुभता में वृद्धि होती है।

कालसर्प योग शांति के लिए नागपंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए तथा चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को किसी मंदिर या बहते हुए जल में बहा देना चाहिए। अष्टधातु या कांसे का बना नाग शिवलिंग पर चढ़ाने से भी इस दोष से मुक्ति मिलती है। नागपंचमी के दिन रुद्राक्ष माला से शिव पंचाक्षर मंत्र ऊं नमः शिवाय का जाप करने से भी इसकी शांति होती है। दुग्ध, शक्कर, शहद से स्नान व अभिषेक करना उत्तम फलदायक होता है तथा नागपंचमी के दिन महाकालेश्वर की पूजा की जाए तो इस दोष का क्षय होता है। यह श्रद्धा और विश्वास का पर्व है।

इस दिन नागों को धारण करने वाले भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना करने से काल सर्प दोषों के प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। श्रावण मास में नाग पंचमी होने के कारण इस मास में धरती खोदने का कार्य नहीं किया जाता है। इस दिन यह मान्यता है कि भूमि में हल नहीं चलाना चाहिए, नींव नहीं खोदनी चाहिए। इस अवधि में भूमि के अंदर नाग देवता विश्राम कर रहे होते हैं, इसलिए इस दिन भूमि के खोदने से नाग देव को कष्ट होने की संभावना रहती है। देश के कई भागों में श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। नाग पंचमी में व्रत उपवास करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। इस व्रत में पूरे दिन उपवास रख कर सूर्य अस्त होने के बाद नाग देवता की पूजा के लिए भोग बनाया जाता है अथवा भगवान शिव को भोग लगाया जाता है। इसके बाद इस प्रसाद को सभी लोग ग्रहण करते हैं। उपवास रखने वाले व्यक्ति को उपवास के नियमों का पालन करना चाहिए। शुक्ल पक्ष, श्रावण मास के दिन जिन व्यक्तियों की कुंडली में ‘कालसर्प योग’ बन रहा हो, उन्हें इस दोष की शांति के लिए उपरोक्त बताई गई विधि से उपवास व पूजा-उपासना करना लाभकारी रहेगा। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए चाहिए कि नाग पंचमी के दिन उपवासक अपने घर की दहलीज के दोनों ओर गोबर या गेरू से नाग की आकृति बनाए और दूध, दुर्वा, कुशा, गंध, फूल, अक्षत, लड्डूओं से नाग देवता की पूजा करे। नाग स्तोत्र तथा मंत्र का जाप भी करें। जाप करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। नाग देवता को चंदन की सुगंध विशेष प्रिय होती है। इसलिए पूजा में चंदन का प्रयोग करना चाहिए। इस दिन की पूजा में सफेद कमल का प्रयोग किया जाता है। मंत्रोच्चारण करने से कालसर्प योग के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और कालसर्प योग की शांति होती है। तो इस बार कालसर्प दोष वाले लोग पूजा कर ही लें।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App