बंदर और मगरमच्छ

By: Jul 23rd, 2017 12:05 am

अरे यार तुम मुझसे पहले बताते, मैं तो अपना दिल पेड़ पर ही छोड़ आया। मगरमच्छ बोला- चलो फिर दोबारा जा कर ले आते हैं। बंदर वापस चला गया। उठकर अपने पेड़ पर बैठ गया और बोला, मित्र मैं इतना बेवकूफ  नहीं हूं। अगर मेरे शरीर से दिल ही गायब हो जाएगा, तो मैं ठीक कैसे रहूंगा…

एक जंगल में एक जामुन का पेड़ था। उसी पेड़ के किनारे एक तालाब में एक मगरमच्छ रहता था और जामुन के पेड़ पर एक बंदर और मगरमच्छ में गहरी दोस्ती थी। दोनों एक दूसरे से घंटो बातें किया करते और एक दूसरे से मिलने रोज जाया करते थे

बंदर पेड़ के मीठे-मीठे जामुन तोड़कर मगरमच्छ को देता था और मगरमच्छ उन्हें खाता था, जो बच जाते थे वह उन्हें अपने घर ले जाया करता था। मगरमच्छ जो जामुन लाता था, उसको उसकी पत्नी खाकर बोलती थी कितने मीठे जामुन हैं कहां से लाते हो। मगरमच्छ कहता था मेरा दोस्त बाहर जंगल में एक पेड़ पर रहता है वही मुझे रोज तोड़-तोड़ कर देता है उसकी पत्नी को लालच आ गया वह बोली अगर वह बंदा सारा दिन पेड़ पर रहता है और यह अपने मीठे -मीठे जामुन खाता है तो उस बंदर का दिल कितना मीठा होगा तो मुझे उस बंदर को दिल लाकर दो मैं उसको खा जाऊंगी

मगरमच्छ बोला नहीं वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है मैं उसके साथ ऐसा नहीं करूंगा, लेकिन मगरमच्छ की पत्नी ने हट कर ली और अपनी पत्नी के आगे उसे भी झुकना पड़ा। मगरमच्छ अगले दिन सुबह जब वह बंदर से मिलने तालाब के किनारे गया, तो बंदर से बोला कि मेरी पत्नी तुम्हें बुला रही है उसने तुम्हारे लिए दावत रखी है तो मेरे साथ चलो बंदर बोला मैं पानी के अंदर नहीं जा सकता क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता मैं डूब जाऊंगा।

मगरमच्छ बोला तुम इसकी चिंता मत करो मैं तुम्हें अपने पेट पर बिठा कर ले जाता हूं बंदर तैयार हो गया उसने कहा ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलता हूं। मगरमच्छ ने उसे अपने पेट पर बैठाया और तालाब के नीचे जाने लगा। मगरमच्छ अभी थोड़ी दूर ही गया था  और मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि मैं तुम्हें अपने घर किसी दावत खिलाने नहीं ले जा रहा हूं बल्कि मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है वह कहती है कि तुम मीठे-मीठे जामुन खाते हो, तो तुम्हारा दिल भी कितना मीठा होगा

वह तुम्हें मार कर खा जाना चाहती है बंदर बोला अरे यार तुम मुझसे पहले बताते मैं तो अपना दिल पेड़ पर ही छोड़ आया। मगरमच्छ बोला चलो फिर दोबारा जा कर ले आते हैं। बंदर वापस चला गया उठकर अपने पेड़ पर बैठ गया और बोला मित्र मैं इतना बेवकूफ  नहीं हूं अगर मेरे शरीर से दिल ही गायब हो जाएगा तो मैं ठीक कैसे रहूंगा।

मैं तुम्हारे प्यार को समझ गया तुम मेरे मित्र नहीं बल्कि धोखेबाज हो तुमने दोस्ती पवित्र जैसी  चीज को भी कलंकित किया है आज से तुम्हारा मेरा कोई रिश्ता नहीं है। मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह अपने दोस्त बंदर से माफी मांगने लगा, लेकिन बंदर ने उसे कहा कि तुम सच्ची दोस्ती के लायक नहीं हो। जाओ अपनी पत्नी के पास। और बंदर उस जामुन के पेड़ से चला गया ।

सीखः दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसमें धोखा और छल नहीं होना चाहिए।

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