बनी रहे संसद की गरिमा

By: Jul 28th, 2017 12:02 am

(नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा। )

कांग्रेस के छह सांसदों द्वारा कागज फाड़कर उन्हें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की ओर फेंकने की हरकत संसद की शुचिता से खिलवाड़ है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद के दोनों सदनों को मंदिर के समतुल्य यानी पवित्र स्थान बताया था। लेकिन लोकसभा के इस पवित्र मंदिर में सांसदों के अमर्यादित आचरण से संविधान के प्रति देशवासियों की आस्था ही कम होती है। जनप्रतिनिधियों के बीच भाषा में गिरावट व हाथापाई की नौबत भी आम बात है। जनसेवक सदन में जैसा आचरण करेंगे, सदन के बाहर भी वैसी ही संस्कृति विकसित होगी। सांसद देश के कानून निर्माता हैं। यक्ष प्रश्न है कि जब कानून के निर्माता ही कानून की अनुपालना न करके अराजकता का परिचय देंगे, तो इस राष्ट्र में संविधान व कानून की रक्षा कैसे होगी? संसद मर्यादित स्थान है, जिसकी गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखना हर माननीय सदस्य का नैतिक दायित्व है।

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