सरकार गई भूल…बिन पुष्प मंडी ‘मुरझा’रहे फूल

By: Jul 23rd, 2017 12:10 am

दिल्ली के चक्करों में ही खत्म हो रही उत्पादकों की 20 फीसदी कमाई, रखरखाव में चले जाते हैं 50 फीसदी

newsसोलन — हिमाचल प्रदेश प्रत्येक वर्ष 50 करोड़ रुपए से अधिक का पुष्प उत्पादन कर रहा है। कई वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश के पुष्प उत्पादकों को पुष्प मंडी नहीं मिल पाई है। सैकड़ों पुष्प उत्पादक अपने उत्पाद लेकर दिल्ली जा रहे हैं। दुखद बात यह है कि पुष्प उत्पादकों की खून-पसीने की कमाई कैरिज में खर्च हो रही है। जानकारी के अनुसार हिमाचल पुष्प उत्पादन में अग्रणी राज्य है। सोलन, शिमला, सिरमौर, कांगड़ा, कुल्लू व चंबा जिला में सबसे अधिक पुष्प उत्पादन किया जा रहा है। अन्य जिलों में भी पुष्प उत्पादन की आपार संभावनाएं हैं। पांच साल से प्रदेश के पुष्प उत्पादक मंडी की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक प्रदेशवासियों को यह सुविधा नहीं मिल पाई है। करोड़ों रुपए का फूल प्रत्येक वर्ष दिल्ली बिकने के लिए जाता है। पुष्प उत्पादकों को 20 प्रतिशत खर्च तो कैरिज में हो जाता है। इसके आलावा फूलों के रखरखाव व अन्य कार्यों पर भी 50 प्रतिशत तक का खर्च आ जाता है। कुल लागत का मुश्किल से 30 प्रतिशत ही पुष्प उत्पादक बचा पाते हैं। यदि हिमाचल में ही मंडी की सुविधा मिल तो कैरिज पर खर्च होने वाला 20 प्रतिशत बजट बच सकता है। इसके आलावा दिल्ली से बेहतर रेट पर फूल घर बैठे लोग बेच सकेंगे। कई बार प्रदेश सरकार ने पुष्प मंडी खोलने के लिए उत्पादकों को आश्वासन तो दिए, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी कोई खास कार्य नहीं हो पाया है।  सरकार के पांच वर्ष बीतने जा रहे हैं और अभी तक पुष्प मंडी की सुविधा नहीं मिल पाई है। राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव की वजह से पुष्प उत्पादक आज भी दिल्ली की पुष्प मंडी में भटकने को मजबूर हैं।

आने वाला है 20 करोड़ का बजट

मार्केट कमेटी के अध्यक्ष रमेश ठाकुर का कहना है कि कंडाघाट में बीस करोड़ रुपए की लागत से फल एवं पुष्प मंडी का निर्माण किया जा रहा है। जमीन का चयन हो चुका है तथा जल्द ही सरकार से बीस करोड़ रुपए का बजट आने वाला है। इसके तुरंत बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।

दिल्ली सरकार को मिल रहा राजस्व

पुष्प मंडी न होने से जो राजस्व प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड को मिल सकता था, वह दिल्ली सरकार को मिल रहा है। प्रदेश में 50 करोड़ रुपए से अधिक का फूल पैदा किया जा रहा है। यदि प्रतिदिन फीस भी तय की जाती है तो भी वर्ष भर में 50 लाख रुपए बोर्ड के खाते में जमा हो सकते हैं। इसलिए पुष्प मंडी का होना लाजमी है।

अभी सिर्फ शिलान्यास पट्टिका

कुछ वर्ष पहले कंडाघाट व सोलन में पुष्प मंडी खोलने की योजना तैयार की गई थी। सीएम वीरभद्र सिंह ने कंडाघाट में करीब 100 बीघा जमीन पर फल एवं पुष्प मंडी बनाए जाने के लिए शिलान्यास भी कर दिया था। इसके बाद कई माह तक बजट ही नहीं आया। वर्तमान में यहां मंडी नाम पर अभी तक केवल शिलान्यास पट्टिका ही लगी है। यदि कंडाघाट में पुष्प मंडी बनती है, तो इसका सबसे अधिक फायदा सोलन, शिमला और सिरमौर के पुष्प उत्पादकों को होगा। इन तीन जिलों में कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत फूल पैदा किया जा रहा है।

महोग के पांच गांव कर रहे उत्पादन

चायल के साथ लगता महोग गांव देश का पहला ऐसा गांव है, जहां सभी लोग पुष्प उत्पादन करते हैं। इस गांव में पांच परिवार रहते  हैं। प्रत्येक परिवार वर्ष भर में 12 से 15 लाख रुपए तक का उत्पादन करता है। महोग से प्रेरणा लेकर पूरे प्रदेश के लोगों ने पुष्प उत्पादन शुरू किया है। इसकी आबादी 84 है तथा 106 बीघा पर फूलों का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश में सबसे ज्यादा कारनेशन फूल का उत्पादन किया जा रहा है। लिलियम, कैलालिलियम, गुलदाउदी, इस्टोमेरिया का भी व्यापक स्तर पर उत्पादन किया जा रहा है

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