सृजन और संहार की परिचायक बरसात

By: Jul 31st, 2017 12:05 am

बादलों का उमड़ना-घुमड़ना तथा उससे उत्पन्न घनघोर गर्जना प्रकृति को चेतन अवस्था में ले आती है। श्रावण मास के आगमन संग दक्षिण-पश्चिम मानसून का पदार्पण संपूर्ण भारत समेत हिमाचली पहाड़ों को हरा-भरा व जलयुक्त कर देता है। हिमाचली सौंदर्य को बरसात की रिमझिम एक विशेष लय और रंग प्रदान कर जाती है। मौसम की यह करवट जहां झुलसती गर्मी से छुटकारा दिलाती है, वहीं प्रकृति के चोले को संपूर्ण हरित आवरण से ढकने का क्रम भी दोहराती है। हिमाचल प्रदेश में मानसून का आगमन विशेष महत्त्व रखता है। प्रदेश के जलाशय व नदियां वर्षा की अमृतमयी बूंदों से लबालब हो जाती हैं। इससे मुख्यतः हमारे कृषि व पन बिजली उत्पादक प्रोजेक्ट पानी की अधिकता व लबालब झीलों के विस्तार से अपनी उत्पादन क्षमता में भयावह वृद्धि दर्शाने लगते हैं। कृषि मानसूनी बारिश का सानिध्य पाकर हरित क्रांति सी ला देती है। हमारे किसान हों या आमजन, वर्षा की आमद से अपने जीवन में परिवर्तन महसूस करते हैं। यही वजह है कि इस माह में बादलों की गर्जना व बादलों का घुमड़ना व्यक्ति के मनोवेगों व प्राकृतिक सृजनशीलता का द्योतक बनकर समृद्धि रूपी दस्तक दे जाता है। बरसात की फुहारों संग युवक-युवतियों का चहकता चेहरा व छिटकती बूंदों संग उनसे खेलना, बच्चों का आनंदित होकर कागज की किश्तियां चलाना और गांवों के पोखरों व तालाबों में पानी संग अठखेलियां करना जीवन लय को आनंदित कर देता है। मानव जीवन तो इस मौसम की सुंदरता का व्याख्यान करता ही है। जीव-जंतु भी इस मौसम की उपयुक्तता का इजहार उछलकूद मचाते हुए व विभिन्न आवाजें निकाल कर करते हैं। जहां संपूर्ण प्रकृति वर्षा की फुहारों से तृप्ति पाती है, वहीं जलीय जीवों के लिए बरसात का मौसम वंश वृद्धि का द्योतक माना गया है। प्रकृति का यह कुलीन चक्र धरती की ऊपरी सतह की करीने से सफाई करता हुआ, धरती को स्वच्छ व निर्मल कर देता है। वर्षा की फुहारें व प्रवाहित जल बहाव संग मलीनता को बहाता हुआ आगे बढ़ जाता है। वर्तमान समय में घरों, बाजारों व गलियों में अवरुद्ध जल का कारण सर्वव्यापी है, क्योंकि जहां प्रकृति स्वच्छता की क्रिया को क्रियान्वित करती है, वहीं यहां-तहां पसरा कूड़ा, प्लास्टिक व अन्य पदार्थों द्वारा अवरुद्ध नाले-नालियों की दुर्गंध घर तक गंदगी भी पसार देती है। इसके लिए मानव स्वयं जिम्मेदार है। अगर आसपास पसरी गंदगी नालों को अवरुद्ध न करे तो पानी का वेग गंदगी को बहा ले जाएगा। गंदगी फैलने से कई तरह की बीमारियों का पदार्पण हो जाता है। अतः हमें कचरे को फैलाने के क्रम पर अंकुश जरूर लगाना चाहिए। जहां यह मौसम धरा पर सौंदर्य न्योछावर करता हुआ सृजन की प्रक्रिया को गति देता है, वहीं भयावह वर्षा की विकरालता कहर बनकर विनाश का कारण भी बनती है। बरसात के भयावह परिणामों संग जीवनदायिनी जल की प्रचुरता इस मौसम में वरदान व अभिशाप संग मिले-जुले तजुर्बे प्रस्तुत करती है।

-बचन सिंह घटवाल

गांव व डाकघर मस्सल

 जिला कांगड़ा, हिप्र

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