हां, मैं राजपूत हूं

By: Jul 30th, 2017 12:05 am

वीरभूमि हिमाचल में राजपूत समुदाय ने हर क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ी है। प्रदेश में सैन्य क्षेत्र हो या फिर राजनीतिक, सामाजिक,आर्थिक व खेल जगत ,या फिर कोई भी अन्य क्षेत्र… राजपूत समुदाय ने अहम योगदान दिया है। समुदाय की उपलब्धियों के सफर को बता रहे हैं  जिला ऊना के ब्यूरो चीफ जितेंद्र कंवर

राजपूत शब्द निडरता,आत्मविश्वास व स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। मनु स्मृति में वर्ण विभाजन में राजपूत समुदाय को राष्ट्र की सुरक्षा,न्याय को लागू करने व शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने का कार्यभार सौंपा गया। राजपूत होने का अर्थ कुशल योग्य भी माना गया है। हिमाचल प्रदेश में राजपूतों का गौरवमयी इतिहास रहा है।

वीरभूमि हिमाचल में राजपूत समुदाय ने हर क्षेत्र में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। प्रदेश में सैन्य क्षेत्र हो या फिर राजनीतिक क्षेत्र, सामाजिक,आर्थिक व खेल जगत हो,या फिर कोई भी अन्य क्षेत्र,हर जगह राजपूत समुदाय ने अपना अहम योगदान दिया है। ऊना के मैदानी इलाकों से लेकर किन्नौर व लाहुल-स्पीति की चोटियों तक हर जगह राजपूत समुदाय के लोग मौजूद हैं। प्रदेश का कोई ऐसा कोना नही है,जहां पर राजपूतों की मौजूदगी न हो।

हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर, मंडी संसदीय क्षेत्र राजपूत बहुल क्षेत्रों के रूप में जाने जाते है,जबकि कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भी राजपूतों की प्रभावी मौजूदगी है। शिमला क्षेत्र में रामपुर बुशहर, नालागढ़,नाहन,शिलाई,अर्की राजपूत प्रभाव के क्षेत्र हैं।

हिमाचल में एक तिहाई आबादी

2011 जनगणना के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 68.65 लाख कुल जनसंख्या है। इसमें 95.17 प्रतिशत हिंदू आबादी है। इसमें करीब-करीब एक तिहाई संख्या राजपूतों की है। प्रदेश में 28.5 प्रतिशत के लगभग राजपूत हैं,जबकि एसटी वर्ग के 5.5 प्रतिशत आबादी में भी राजपूत वर्ग मौजूद है। हिमाचल में ब्राहणों की आबादी 18 प्रतिशत, एससी 24.75,ओबीसी 21 प्रतिशत व अन्य 2.25 प्रतिशत है। हालांकि राजपूतों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाएं प्रदेश में 35 से 38 प्रतिशत राजपूत होने का दावा करती हैं,लेकिन चूंकि 2011 जनगणना के दौरान जातीय आधार पर एकत्रित आंकड़ों को जारी नहीं किया गया, इसलिए इसको लेकर भ्रम बना हुआ है।

प्रशासनिक सेवाओं में भी अव्वल

प्रशासनिक सेवाओं में भी राजपूत समुदाय का दबदबा कायम है। भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा सहित अन्य सिविल सर्विसेज के हिमाचल कैडर में लगभग 20 से 25 प्रतिशत अधिकारी राजपूत हैं,जबकि एचपीएएस व एचपीपीएस सेवाओं में 25 से 30 प्रतिशत अधिकारी राजपूत हैं। ठाकुर सेन नेगी, शमशेर सिंह कंवर, एसएस परमार, डीएस मिन्हास, गंगवीर सिंह ठाकुर प्रदेश के टॉप ब्यूरोक्रेट्स में शुमार रहे हैं। आईएएस अधिकारी रितेश चौहान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पीएस व प्रदीप ठाकुर ओएसडी के रूप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं।

भारतीय इतिहास के पुरोधा

हमीरपुर जिला से संबधित स्वर्गीय ठाकुर राम सिंह आरएसएस के अग्रणी नेता रहे हैं। ठाकुर राम सिंह भारतीय इतिहास संकलन समिति के संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। उनकी गिनती देश के वरिष्ठतम आरएसएस नेताओं में होती थी,वह इतिहास के बड़े जानकार रहे तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में करीब दो दशक तक सक्रिय रहे।

समुदाय को यहां लगा झटका

राजपूत समुदाय को सबसे बड़ा झटका मुजारा अधिनियम व भू-सीमा अधिनियम लागू होने के बाद लगा। इसके चलते राजपूतों की भूमि का बड़ा हिस्सा उनके हाथों से निकल गया।

आजादी में अहम योगदान

नूरपुर के राम सिंह पठानिया ने स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। स्वाधीनता संग्राम की प्रथम लड़ाई 1857 के विद्रोह में बुशहर के राजा ने अंग्रेजों के विरुद्ध लोहा लिया। डा.वाईएस परमार, पदमदेव, शिवानंद रमौल, पूर्णा नंद, सत्यदेव, सदाराम चंदेल, ठाकुर हजारा राम ने आजादी की लड़ाई में अपनी भूमिका निभाई। कोट कहलूर, जसवां, नूरपुर रियासतों के राजपूत शासकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध लोहा लिया।

* पराधीन भारत में कुछ रियासतोें के शासकों ने अपने अहं व आपसी द्वेष में अपनी साख को काफी चोट पहुंचाई। वहीं,महाराणा प्रताप सरीखे राजपूत योद्धाओं ने आने वाली पीढि़यों के लिए प्रेरणा स्रोत बनने का भी कार्य किया है। आजादी के बाद लोकतंत्र की स्थापना तो हुई,लेकिन  आरक्षण की भट्ठी में राजपूत समुदाय के हितों को आग की भेंट चढ़ा दिया गया

— सुरेंद्र परिहार, राजपूत नेता

* राजपूत एक जुझारू कौम है। आजादी से पहले राजपूत वर्ग  भू-मालिक,शासक व योद्धा के रूप में जाने जाते रहे, लेकिन आजादी के बाद आरक्षण,भू-सुधार कानून,मुजारा एक्ट इत्यादि ने इस वर्ग को बड़ा झटका दिया है। राजपूतों को लाभ के रूप में कुछ भी नही मिला। इसके विपरीत इस वर्ग ने सब कुछ खोया ही है। उच्च तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा में आरक्षण के चलते इस वर्ग को अवसरों को खोना पड़ा है। आर्थिक तौर पर यह वर्ग बदहाली की स्थिति में जा पहुंचा है

— योगेश ठाकुर, समर्पित युवा नेता, महासचिव, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, जिला बिलासपुर

* आजादी हासिल करने के लिए यहां राजपूत समुदाय ने बलिदान दिए,वहीं बलिदानों का यह सिलसिला आजादी मिलने के बाद भी बदस्तूर जारी है। भूमिहीनों को भूमि देने के नाम पर,भूमि सीमा एक्ट,मुजारा एक्ट की मार इस वर्ग को सहनी पड़ी। नौकरियों में भी राजपूतों की नजरअंदाजी हुई है। मार्शल कौम से होने के बावजूद सेना में अधिमान नहीं है।

— रणधीर सिंह पठानिया, अध्यक्ष युवा विंग, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, हिमाचल

* राजपूत समुदाय का युवा वर्ग स्वयं को ठगा हुआ महसूस करता है। न तो इस वर्ग के पास जमीने रही,न ही नौकरी। आरक्षण की मार से यह वर्ग बेहाल है। राजपूत समुदाय में बड़े पैमाने पर लोग आर्थिक तौर पर बेहाल हैं।

— सूरज प्रताप सिंह, जिला अध्यक्ष अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, युवा विंग, बिलासपुर

* राजपूत समुदाय ने देश की आजादी के लिए बड़ी कुर्बानियां दी हैं। आजादी के बाद भी देश की उन्नति के लिए अपना सर्वस्व राष्ट्र को कुर्बान किया है। राजपूत वर्ग की सबसे बड़ी पीड़ा आरक्षण के चलते इस समुदाय की प्रतिभा का कुचला जाना है। आर्थिक तौर पर भी इस समुदाय के लोग कमजोर हुए हैं

— ठाकुर यशपाल सिंह,  प्रदेशाध्यक्ष,पूर्व सैनिक सेवा परिषद, हिमाचल प्रदेश

* राजनीतिक तौर पर भले ही राजपूतों की हिमाचल में स्थिति ठीक है, लेकिन आर्थिक तौर पर राजपूतों की पोजीशन पहले से खराब हुई है। जॉब्स में आरक्षण की मार झेल रहे राजपूत युवक-युवतियां परेशान हैं। अर्थव्यवस्था का मूल आधार व्यवसाय बन चुका है, जिसमें राजपूतों की भागीदारी नगण्य है।

— ठाकुर सर्वजीत सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा

* राजपूतों ने देश की आजादी व आजादी के उपरांत देश के विकास में बड़े बलिदान दिए हैं। आरक्षण के चलते इस वर्ग को भारी हानि उठानी पड़ रही है। आर्थिक तौर पर राजपूतों की स्थिति कमजोर हुई है। सरकार को राजपूत समुदाय के उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए।

— यशपाल सिंह राणा, प्रदेशाध्यक्ष अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा

देश में चमके हिमाचली नायक

हमीरपुर जिला के समीरपुर गांव से अनुराग ठाकुर ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल किया। ऊना जिला से प्रो.एनके सिंह एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन रहे,वहीं ऊना से डा.राकेश जसवाल फोर्टिस अस्पताल मोहाली में कार्डियो विभाग के प्रमुख हैं। डा.डीएस राणा दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। ठाकुर सर्वजीत सिंह स्टील अथारिटी ऑफ इंडिया के प्रथम प्राइम मिनिस्टर अवार्ड विजेता अधिकारी हैं।

शौर्य-पराक्रम से प्रदेश गौरवान्वित

नेपोलियन ऑफ इंडिया व कनकरर ऑफ लद्दाख की उपाधियों से नवाजे गए महान योद्धा जनरल जोरावर सिंह राजपूत समुदाय की शान रहे हैं। कारगिल युद्ध के दौरान अपने अदम्य साहस से शौर्य गाथा लिखने वाले परमवीर चक्र विजेता संजय कुमार भी इसी समुदाय से है। भारतीय सेना के टॉप रैंक  में हिमाचली राजपूत हमेशा अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहे हैं।

मौजूदा समय में भारतीय सेना में डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के पद पर कार्यरत ले.जनरल एसएस पटियाल सहित ले.जनरल, मेजर जनरल, ब्रिगेडियर रैंक के अनेक अधिकारी सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं,जबकि दर्जनों अधिकारी हाई रैंक से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

ले.जनरल एचएस कंवर, ले.जनरल जसवाल, मेजर जनरल सागरिका पटियाल,मेजर जनरल जय सिंह, मेजर जनरल विक्रम सिंह,मेजर जनरल राजिंद्र सिंह जसवाल, ब्रिगेडियर चरण सिंह, ब्रिगेडियर एलसी जसवाल इत्यादि सैन्य अधिकारी राजपूत समुदाय की शान हैं। प्रदेश से अनेकों राजपूत सैन्य अधिकारी व जवान युद्ध व शांति काल के दौरान अपने अदम्य साहस व शौर्य का परिचय करवाने के चलते सेना पदकों से नवाजे जा चुके हैं।

प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन

हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर भी अधिकांशतः राजपूत वर्ग से ही सेवानिवृत्त प्रशासनिक अथवा सैन्य अधिकारी तैनात रहे हैं। राज्य लोक सेवा आयोग के अभी तक रहे अध्यक्षों में से आधे से अधिक राजपूत समुदाय से ही रहे है। ले.जनरल केएस कटोच,मेजर जनरल आईसी कटोच,मेजर जनरल आरएस पठानिया,मेजर जनरल भूपिंद्र सिंह ठाकुर,केएस तोमर व मौजूदा अध्यक्ष धर्मवीर सिंह राणा भी राजपूत समुदाय से ही हैं।

सेना में जाना पहली पसंद

राजपूत समुदाय के युवाओं की पहली पसंद सेना में नौकरी है। हिमाचल प्रदेश में बड़ी तादाद में युवा सेना में हैं। प्रदेश में 70 प्रतिशत राजपूत किसान व बागबान हैं, जबकि 26 प्रतिशत राजपूत सेवा क्षेत्र में हैं। मात्र 4 प्रतिशत राजपूत व्यवसायी हैं। राजपूत समुदाय के युवक-युवतियों का शिक्षा के प्रति भी क्रेज बढ़ा है। मौजूदा समय में 80 प्रतिशत से अधिक राजपूत शिक्षित हैं।

खेलों में चमकाया प्रदेश का नाम

1964 में टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय स्वर्ण पदक विजेता हाकी टीम के कप्तान रहे पद्मश्री चरणजीत सिंह, सिरमौर के दूरस्थ गांव से निकल कर अमरीका में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ में विश्व में नाम कमाने वाले ग्रेट खली दलीप सिंह राणा,अंतरराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी ओलंपियन दीपक ठाकुर, भारतीय कबड्डी टीम के स्टार खिलाड़ी अजय ठाकुर, इंटरनेशनल महिला कबड्डी खिलाड़ी पूजा ठाकुर व समरेश जंग आदि खेल जगत में इस समुदाय के चमकते सितारे हैं।

हिमाचली राजपूत रियासतें

हिमाचल में कांगड़ा, नूरपुर, सुकेत, मंडी, कुटलैहड़, भागल, बिलासपुर, नालागढ़, धामी, कुनिहार, बुशहर व सिरमौर रियासतें थीं, जिन  पर राजपूत शासक विराजमान थे।

प्रदेश की राजनीति में समुदाय का दबदबा

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में राजपूतों का दबदबा रहा है। प्रदेश के एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से अब तक पांच अलग-अलग मुख्यमंत्री रहे हैं, इसमें शांता कुमार को छोड़ अन्य चारों सीएम राजपूत समुदाय से रहे। मौजूदा सीएम वीरभद्र सिंह छठी बार प्रदेश के सीएम हैं।, जबकि प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डा.यशवंत सिंह परमार चार बार प्रदेश के सीएम रहे। प्रेम कुमार धूमल व ठाकुर राम लाल भी दो-दो बार प्रदेश के सीएम रहे। प्रदेश के 57 साल के शासन काल में 52 साल राजपूत नेता सीएम रहे हैं।

पक्ष-विपक्ष का नेतृत्व राजपूतों के हाथ

हिमाचल प्रदेश में सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों का नेतृत्व राजपूतों के हाथ में है। सत्तापक्ष में प्रदेश सरकार व कांग्रेस संगठन में राजपूत सीएम के रूप में वीरभद्र सिंह व कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू विराजमान हैं,वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी राजपूत नेता प्रेम कुमार धूमल व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राजपूत समुदाय से ही सतपाल सिंह सत्ती नेतृत्व कर रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश विस अध्यक्ष पद पर भी राजपूत नेताओं का ही दबदबा रहा। ठाकुर सेन नेगी, ठाकुर कौल सिंह, गुलाब सिंह ठाकुर अलग-अलग समय इस पद पर रहे।

विधानसभा में 27 विधायक

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मौजूदा 67 विधायकों में से 27 राजपूत समुदाय से हैं, जबकि कुल्लू जिला से आयुर्वेदिक मंत्री स्वर्गीय कर्ण सिंह भी राजपूत समुदाय से ही थे। उनके निधन से एक सीट रिक्त चल रही है। प्रदेश के 4 लोकसभा व 3 राज्यसभा सांसदों में भी एक लोकसभा व एक राज्यसभा सांसद राजपूत हैं।

इन नेताओं का रहा वर्चस्व

डा.यशवंत सिंह परमार,रामलाल ठाकुर,ठाकुर सेन नेगी,सोलन से ठाकुर हरिदास,कुल्लू से ठाकुर देवी सिंह,बिलासपुर से मियां कुलदीप सिंह चंदेल,सिरमौर से भाई सुंदर सिंह,मंडी से ठाकुर गंगा सिंह,चंद्रसेन ठाकुर कांगड़ा से विक्रम कटोच दमदार राजपूत नेता रहे हैं।

मौजूदा दौर में सक्रिय राजपूत लीडर

मौजूदा दौर में वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर,सुखविंदर सिंह, सतपाल सिंह सत्ती, जयराम ठाकुर,विपल्व ठाकुर, चंद्रेश कुमारी, मेजर विजय सिंह मनकोटिया, ठाकुर कौल सिंह, महेंद्र सिंह ठाकुर, गुलाब सिंह ठाकुर, महेश्वर सिंह राजनीति के चर्चित चेहरे हैं।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App