पशु हेल्पलाइन

By: Aug 3rd, 2017 12:05 am

पीथड़-चीचड़ से बचाव को पशुशाला में छिड़कें दवा

मेरी गउओं को चीचड़ व पीथड़ पड़े हैं, उन्हें बाह्य परजीवी की दवाई भी मली, परंतु कोई असर नहीं हो रहा, क्या करें?

—अतुल, कांगड़ा

जैसे ही गर्मी व बरसात का मौसम आता है, बाह्य परजीवी का प्रकोप पशुओं में अकसर देखा जाता है। इससे कई पशुपालक परेशान हैं, परंतु इसका मुख्य कारण है, पशुशाला की गंदगी व पशुशाला में अत्यधिक पशुओं की संख्या होना। ये बाह्य परजीवी पशु की चमड़ी पर होते हैं, परंतु यह पशु के शरीर में नहीं बनते हैं। ये बाह्य वातावरण से पशु पर आते हैं। अर्थात पशुशाला से, इसलिए पशु पर दवाई/इंजेक्शन लगवाने के साथ-साथ पशुशाला में भी स्प्रे करना आवश्यक है। अगर आप इस दवाई को केवल पशु पर ही लगाएंगे व पशुशाला में स्प्रे नहीं करेंगे, तो पशु के चमड़ी के परजीवी मर जाएंगे, परंतु 7-10 दिन बाद वे पशुशाला से दोबारा पशु की चमड़ी पर आ जाते हैं और आप लोगों को लगता है कि दवाई का असर नहीं हुआ है। अकसर देखा गया है कि पश्ु के गरमाने के लक्षण न देना व पशु का बार-बार गर्भाधान करवाने के बावजूद न टिकने का कारण बाह्य परजीवी होते हैं, क्योंकि इनका काम पशु का खून चूसना होता है, जिससे पशु कमजोर हो जाता है। कुछ बीमारियां भी इन परजीवी के खून चूसने की वजह से होती हैं। यह परजीवी मुख्यतः चार तरह के होते हैं। पिस्सू, जुएं, चीचड़ व पीथड़। इन सभी परजीवी की एक ही दवाई होती है। पशु के शरीर पर मलने की दवाई, पशु को खिलाने की दवाई व पशु को इंजेक्शन भी लगवा सकते हैं। इसके लिए आप निकटतम पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करें। अगर आप पशु के शरीर पर दवाई मलते हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें-

-मौसम साफ हो व धूप अच्छी हो।

-पशु को पहले खिला व पिला लें।

-उसके बाद उसके मुंह पर छक्कू बांध दें।

-फिर गले व उसके पीछे दवाई लगा दें। ध्यान रखें कि दवाई को मुंह, कान, नाक व आंखों के आसपास न लगाएं।

इसी तरह पशुओं में दवाई लगाने के साथ-साथ आपको पशुशाला में भी स्प्रे करना आवश्यक है, क्योंकि ये परजीवी पशुशाला की दरारों में होते हैं। इसके लिए दवाई आप पशु चिकित्सा अधिकारी से लिखवाकर अपनी पशुशाला मेें स्प्रे करें। इसके लिए जिस दिन मौसम साफ हो व धूप अच्छी हो, पशुओं को पशुशाला से निकालकर पशुशाला की सफाई करें। उसके बाद उक्त दवाई का पशुशाला में स्प्रे करें। स्प्रे खासकर दरारों में अवश्य करें जहां पर परजीवी होते हैं। आठ-दस घंटे बाद पशुशाला की सफाई करें।

आप पशुशाला की सफाई का खास ध्यान रखें।

पशुशाला में जगह-जगह पानी न इकट्ठा होने दें। खुरली में बचे हुए हरे/सूखे घास को सुबह व शाम निकाल कर फेंक दें। कोशिश करें कि पशुशाला का फर्श समतल हो व थोड़ा ढलानदार हो, ताकि उसका मल/मूत्र अपने आप बाहर निकल जाए, हो सके तो पशुशाला की दीवारों को भी पक्का समतल बनवाएं।

डा. मुकुल कायस्थ वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलीय पशु चिकित्सालय पद्धर(मंडी)

फोनः 94181-61948

नोट : हेल्पलाइन में दिए गए उत्तर मात्र सलाह हैं।

Email: mukul_kaistha@yahoo.co.in

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