आदतों से व्यक्तित्व का और व्यक्तित्व से भविष्य का निर्धारण

By: Aug 2nd, 2017 12:05 am

यह सत्य ही है कि आपकी आदतों से ही आपके व्यक्तित्व का निर्माण होता है और व्यक्तित्व से ही आपके भविष्य का निर्धारण होता है…

हम में से तमाम लोग ऐसे हैं जो अकसर यह सोचते हैं कि इस काम को कल कर लेंगे। अरे यार !  आज थोड़ी सी थकान है कुछ आराम कर लेते हैं। अगले संडे जब फ्री रहूंगा, तब कर लूंगा। ऐसे करते-करते न जाने कितने संडे गुजर जाते हैं और हमारे जरूरी काम पीछे छूटते रहते हैं और कभी-कभी तो हम उन्हें भूल ही जाते हैं। ऐसा करते-करते हमारे कितने ही महत्त्वपूर्ण काम कभी नहीं हो पाते। उन कामों को करने के लिए हम रोज एक नई समय सीमा निर्धारित करते हैं, उसके बाद फिर एक और नई समय सीमा और सही समय न होने के कारण इसी तरह यह क्रम चलता रहता है। कई बार हम सुबह जल्दी उठने के लिए अलार्म लगाते हैं और सुबह जब अलार्म की घंटी बजती है तो हम उठ कर उसे 10 मिनट के लिए और आगे बढ़ा देते हैं, फिर 10 मिनट बाद 10 मिनट के लिए और आगे, फिर 5 मिनट के लिए। ऐसा करते-करते हम घंटे भर बाद बिस्तर से उठते हैं। वो भी बड़े दुःखी मन से, ऐसा लगता है मानो बिस्तर से जंग हो रही हो। बिस्तर के साथ इस रस्साकशी में हम अपना काफी समय पहले ही बर्बाद कर चुके होते हैं। उसके बाद जल्दी-जल्दी तैयार होते हैं और आफिस के लिए निकल पड़ते है। इस हड़बड़ी में कई जरूरी चीजें भूल जाते हैं, ठीक से नाश्ता भी नहीं करते। सब कुछ अनियंत्रित होने लगता है। इससे हमारा पूरा दिन प्रभावित होता है। इसका सीधा असर हमारी कार्य क्षमता पर पड़ता है। परिणामस्वरूप जिंदगी में हम अपने साथियों से पिछड़ने लगते हैं।

कहीं रास्ते की रुकावट हम खुद ही तो नहीं

टालमटोल वाली इन आदतों का हमें भारी खामियाजा भी उठाना पड़ता है। किंतु हम नहीं सुधरते। कहने को तो ये बहुत छोटी बात लगती है। किंतु इसका सीधा-सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है। अधूरे काम आपको जिंदगी में कभी भी आगे नहीं बढ़ने देंगे। काम कितना ही छोटा क्यों न हो, पर उसका सीधा असर हमारे जीवन पर धीर-धीरे ही सही बहुत व्यापक रूप से होता है। टालमटोल वाला यह रवैया बहुत जल्दी हमारी आदत बन जाता है और यह सत्य ही है कि आपकी आदतों से ही आपके व्यक्तित्व का निर्माण होता है और व्यक्तित्व से ही आपके भविष्य का निर्धारण होता है। इस प्रकार के टालमटोल वाले रवैये से निश्चय ही हम अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अब प्रश्न उठता है कि इस प्रकार की आदत से कैसे बचा जाए? इसके लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि जो भी काम करना हो उसे तुरंत आरंभ कर दें और आलस तथा काम को टालने वाले विचारों को अपने मन  में आने ही न दें। महात्मा गांधी ने कहा था कि आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं, आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं, आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य ही आपकी नियति बन जाती है। अपनी टालमटोल वाली आदतों को रास्ते की रुकावट न बनने दें। निश्चित ही हम अपनी आदतों को बदल कर अपनी नियति को बदल सकते हैं। सही समय के इंतजार में बैठे रहना कितनी बुद्धिमानी हम अधिकांश समय इंतजार करते रहते हैं कि अमुक काम सही समय आने पर करेंगेए अभी ये करना इतना आवश्यक नहीं अथवा अभी उपयुक्त समय नहीं है। ध्यान रखिए मित्रों एकदम सही समय और आदर्श स्थितियां कभी नहीं आती। समय कभी भी बिलकुल सही नहीं होगा।

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