इन्सेफेलाइटिस

By: Aug 23rd, 2017 12:07 am

इन्सेफेलाइटिसगोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में महज 36 घंटे में हुई 30 बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इतने बच्चों की मौत एक साथ कैसे हुई। आपको बता दें कि जान गंवाने वाले बच्चों में ज्यादातर बच्चे इन्सेफेलाइटिस  से पीडित थे। जिन बच्चों को यह बीमारी थी उन्हें ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी। एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल कई बच्चों की मौत इस बीमारी से होती है। जानिए आखिर क्या है यह बीमारी। क्या है इसके लक्षण और बचने के उपाय। गोरखपुर पर कहर बन कर टूटा इन्सेफेलाइटिस का दूसरा नाम जपानी बुखार है। यह करीब 90 साल पुरानी जानलेवा बीमारी है, लेकिन अभी तक इसका एंटी वायरल ड्रग उपलब्ध नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2012 तक इन्सेफेलाइटिस से यूपी व बिहार में 422 बच्चों की मौत हुई थी। जापानी इन्सेफेलाइटिस का प्रकोप साल के तीन महीने अगस्त, सितंबर और अक्तूबर में सबसे ज्यादा होता है। यह एक दिमागी बुखार है, जो कि वायरल संक्रमण की वजह से फैलता है। यह मुख्य रूप से गंदगी में पनपता होता है, जो कि मच्छरों या सुअर के द्वारा फैलता है। जैसे ही यह हमारे शरीर के सपंर्क में आता है वैसे ही यह दिमाग की ओर चला जाता है। दिमाग में जाने के कारण व्यक्ति की सोचने, समझने व देखने की क्षमता खत्म हो जाती है। यह बीमारी ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं।

ये हैं लक्षण

जो भी इस बीमारी से ग्रसित होते हैं, उनमें से 70 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा इसके ये लक्षण हैं, बुखार, सिरदर्द, अतिसवेंदनशील होना, लकवा मारना, पागनपन के दौरे पड़ना, आधे लोगों की स्थिति तो कोमा में जाने तक की हो जाती है। अगर कोई छोटा बच्चा ज्यादा देर रोता है, भूख की कमी, उल्टी, बुखार आदि के लक्षण भी नजर आते हैं।

ऐसे बचें इस भयानक बीमारी से

1: कोशिश करें कि आपके आसपास गंदगी न हो।

2: समय से टीकाकरण कराएं।

3: गंदे पानी के संपर्क में न आएं।

4: बारिश के मौसम में खानपान का ज्यादा ध्यान रखें।

5: साफ-सुथरा पानी पीएं।

6: मच्छरों से बचाव के लिए करें उचित इंतजाम।

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