कड़क वर्दी में शालिनी की शालीनता

By: Aug 20th, 2017 12:10 am

newsnewsकिसी की बस में कही बात शालिनी को ऐसी चुभी कि उसे मंजिल मिल गई। एक व्यक्ति ने बेटी और मां को खचाखच भरी बस में सभी के सामने तंज कसा था। बस में कसा तंज आज उस मुकाम तक कुल्लू की एसपी बनी शालिनी अग्निहोत्री को ले आया है। जहां पर आज शालिनी को देखने के बाद हर कोई माता-पिता चाहेंगे कि उनकी बेटी भी शालिनी की तरह ही बने।।माता-पिता ने कभी उन्हें किसी भी काम को करने को लेकर रोका- टोका नहीं। मां एक गृहिणी होने पर भी हमेशा बेटियों का साथ देती थीं। परिवार में सभी के प्यार व सहयोग के चलते ही वह हमेशा अपने हर सपने को साकार करती रही हैं। एसपी शालिनी अग्निहोत्री की मानें तो आज वह पुलिस विभाग में नहीं होती, तो शायद कहीं विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक होतीं। मन में जरूर था कि जब उनके साथ बस में एक बार इस तरह से घटना घटी कि किसी ने उन्हें कहा कि क्या वह डीसी या एसपी हैं, जो वह उनकी बाते सुने। तब जरूर सोचा कि ये कोई बड़े प्रशासनिक अधिकारी होते होंगे, जिनसे सभी डरते हैं या उन्हीं की ही बात सुनते हैं और तब काम करते हैं। उस समय जरूर ठाना है कि वह डीसी या एसपी जरूर बनकर दिखाएंगी। शालिनी की मानें तो बचपन से ऐसा कोई बड़ा सपना नहीं था कि वह क्या बनना चाहती है, लेकिन आज जिस भी मुकाम पर है वहां से उन्हें समाज की सेवा करने का अच्छा मौका मिला है। ऐसे में एक बेहतर ईमानदार और स्वच्छ छवि की अधिकारी हमेशा बने रहना पंसद करेंगी। बता दें कि एक अधिकारी होने पर भी सभी से अच्छे से मिलना और किसी को भी निराश कर न भेजना यह खासियत शालिनी को अन्य पुलिस महिला अधिकारियों से और भी अलग करती है। यही नहीं, हर महिला के साथ संवाद बनाकर उनकी समस्याओं को हल करना भी शालिनी बखूबी जानती हैं। जनता के साथ सीधे तौर पर कैसे जुड़ना है और हर व्यक्ति आसानी से अपनी बात को एसपी तक पहुंचा सके, इसके लिए भी एसपी शालिनी अग्निहोत्री ने कुल्लू पुलिस का अपना फेसबुक अकांउट तैयार किया है। यही नहीं, आधिकारिक तौर पर व्हट्सऐप नंबर भी आम जनता को बांट दिए हैं। यह पहला मौका है जब जिला कुल्लू के हर आम व्यक्ति के पास भी एसपी का नंबर है। जहां पर लोग उनसे फोन कर और मैसेजे भेज कर अपनी बातें साझा करते हैं। एसपी शालिनी अग्निहोत्री का विश्वास अपने आलाधिकारियों के बीच भी खासा बना हुआ है। यहां आलाधिकारी भी शालिनी की पीठ थपथपाए नहीं रहते।

— शालिनी राय भारद्वाज, कुल्लू

मुलाकात

माता-पिता को सम्मानित होते देखती हूं, तो गर्व होता …

newsकोई एक बिंदु जो व्यक्ति के लक्ष्यों का निर्धारण कर सकता है?

उसकी सोच, उसकी जीवन शैली किस तरह से है। उसका नजरिया अपने लक्ष्य को पाने के लिए कैसा है, व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को पाने में सफल बनाता है।

कब सोचा कि पुलिस में ही जाना है?

जब  छोटी थी और फिर स्नातक स्तर की पढ़ाई के दौरान  ही सोच लिया था कि पुलिस विभाग में आगे बढ़कर अपने लक्ष्य और सपने को पूरा करूंगी।

आपकी सफलता के तीन मंत्र?

परिवार का सहयोग, कड़ी मेहनत और जो सोचा उस लक्ष्य को प्राप्त करना।

आपकी सबसे बड़ी ताकत और एक ऐसा गुण जो केवल महिलाओं के ही हिस्से में आता है?

(हंसते हुए) ऐसा नहीं है कि कोई गुण जो केवल महिलाओं के हिस्से में आता है। बहुत से गुण हैं जो महिलाओं को दूसरों से भिन्न रखते हैं,  जो भी काम हाथ में लेती हूं उसे पूरा करके रहना और बेस्ट करके दिखाना।

आपका सबसे बड़ा गौरव?

मेरा परिवार खासतौर पर मेरे माता-पिता जब उन्हें मेरे सामने किसी मंच पर सम्मान मिलता है। अब तक जो भी सम्मान मेरा माता-पिता को मिला है, वह मेरे लिए सबसे गौरव की बात है।

अब तक मिली सबसे प्रभावशाली प्रशंसा?

ऐसे तो काफी है लेकिन जब किसी काम को हाथ में लेती हूं तो उसकी प्रशंसा विभागीय आलाधिकारी व माता- पिता करते हैं, तो प्रशंसा सबसे प्रभावशाली लगती है।

 आपके लिए चुनौती का अर्थ क्या है और इसे किस प्रकार देखती हैं?

पुलिस को हर समय कई तरह की चुनौती का सामना करना पड़ता है। कई बार जनता की उम्मीदों पर खरा न उतरो तो कई तरह की आलोचना सुननी पड़ती है जो कि काम ही आती है। सभी सरकारी विभागों में जनता को पुलिस से अधिक उम्मीदें होती हैं। हर काम को हमेशा चुनौती की तरह लिया जाता है। कई बार परिस्थिति खराब होने पर कई तरह की चुनौतियां रहती हैं।

जीवन का सरल पक्ष जो आपके व्यक्तित्व को सौम्य बनाता है तथा जब आप कठोर पुलिस अधिकारी बनती हैं?

ऐसा कुछ नहीं, हां कई बार कठोर होना पड़ता है। जब किसी महत्त्वपूर्ण काम को लेकर ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं, जो कई बार किसी को पंसद नहीं आते हैं। तब कठोर बनकर की काम करना पड़ता है।

हिमाचल में कानून-व्यवस्था की सबसे बड़ी चुनौती?

नशा, ट्रैफिक, दिन-प्रतिदिन महिलाओं पर बढ़ रहे अपराध।

हिमाचली युवाओं को आपकी  नेक सलाह व अभिभावकों के लिए मार्गदर्शन?

युवा जो लक्ष्य जीवन में सोच कर चलें, उसे जरूर पूरा करें। ताकि माता-पिता का भी गौरव बढ़े। अभिभावकों का बैसे मार्गदर्शन नहीं कर सकती क्यों सभी अभिभावक बच्चों के बारे में बेहतर सोचते है। हां, फिर भी एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि बच्चों को हमेशा प्रोत्साहित करें।

कोई ऐसी किताब, फिल्म या रोमांच जिसे बार-बार पढ़ना व देखना या हासिल करना चाहती हैं?

वैसे तो बहुत सी किताबें पढ़ना पसंद हैं, लेकिन लेखक पोलो ऑर्थ की किताबें पढ़ना पसंद हैं। फिल्म भी बहुत ही अच्छी बनी है जो समाज को संदेश भी देती है, लेकिन क्वीन फिल्म (कंगना रणौत) की बेहद पंसद है।

जो सिर्फ  हिमाचली होने पर मिला। हिमाचल के किस पक्ष से जुड़ती हैं या कोई लोकगीत जिस पर फिदा हो जाती हैं?

जब भी कहीं राज्य से बाहर होते हैं और लोग कहते हैं कि हिमाचल से हैं और हिमाचल के लोग भोले भाले और ईमानदार होते हैं। ऐसा सुन कर बेहद अच्छा लगता है। हिमाचल की वादियां यहां का पर्यावरण, सुंदरता और लोक गीत कुछ अच्छे लगते हैं।

आपके जीवन का सिद्धांत?

 जिस काम को हाथ में लेना, उसे पूरा करना और अपने नियमों व कर्त्तव्यों का हमेशा पालन करना।

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