कविता

By: Aug 27th, 2017 12:05 am

लम्हें

कितने नाजुक होते हैं

लम्हें

बीत जाते हैं

अतीत हो जाते हैं, मगर

जुड़ी रहती हैं

खट्टी-मिट्ठी यादें

हर लम्हा बेखुदी

लम्हें हसीन होते हैं

जो याद आने पर थपथपाते हैं प्यार से

मेरी जागती रात को भी

देते हैं जो सहारा

प्यारा-प्यारा

मेरे एकांत को

जिंदगी में लम्हें ही तो हैं

जो देते हैं साथ

लोग दें या न दें

लम्हें

जो प्रेरक, ऊर्जावान होते हैं

जो देते हैं

नई स्फूर्ति

आवाज लगाते हैं लम्हें

जिंदगी और है अभी।।

–भीम सिंह परदेसी, गांव व डाकघर महादेव,

तहसील सुंदरनगर, जिला मंडी

मेमनें

समय कुछ

कसाइयों के हवाले है

और बाकी सब मेमनें हैं

कसाइयों के खुंडे छुरे

के नीचे खड़े हैं मेमनें

आंखें मूंदे हुए

जानते हुए भी, कि चंद लम्हे बाकी है जीवन

कर रहे हैं फट लगने का इंतजार

जब उसकी मुंडी अलग

हो जाएगी धड़ से

तो कसाई दौड़ेेंगे लहू पीने के लिए

निर्दोष मेमनों का यह लहू ही

उन्हें ताकत देता है

जोश और जज्बे से भरता है

अगले लहूकांड के लिए

तैयार करता है

और मेमनें सदियों से

यूं ही कटने मरने को शापित हैं।

-हंसराज भारती, बसंतपुर, सरकाघाट, मंडी

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