कातिल आपदाएं

By: Aug 28th, 2017 12:02 am

(भूपेंद्र ठाकुर, गुम्मा, जोगिंद्रनगर )

देश और प्रदेश में विभिन्न आपदाओं से हर वर्ष हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है और इनमें संपत्ति का जो नुकसान होता है, सो अलग। बाढ़, सुनामी, भूकंप, तूफान, भू-स्खलन जैसी भयावह आपदाओं के कारण न जाने कितने ही लोगों को हर वर्ष बेघर होना पड़ता है। इनसान ने भी अपनी अथाह इच्छाओं के कारण प्रकृति को छलनी किया है। इसके कारण आपदाओं में इजाफा ही हुआ है। आपदाओं की स्थिति में उनसे निपटने के लिए हमने सारा जिम्मा सरकारों को सौंप दिया है, जबकि इस तरह के विकट हालात से निपटने के लिए जन समुदाय को भी अपनी भूमिका चिन्हित करनी होगा। मौसमी आपदाएं लगभग हर वर्ष की कहानी बन चुकी हैं। ऐसे में अब इनसे निपटने के लिए सरकारों को जनता के सहयोग से कुछ ऐसी व्यवस्थाएं खड़ी करनी होंगी, जिनसे आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। तभी आपदाओं को निष्प्रभावी बनाया जा सकेगा।

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