जब गाली देने पर हिमाचल के सूरमा ने भगाया फिरंगी कर्नल

By: Aug 13th, 2017 12:20 am

newsnewsमटौर— देश स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ मना रहा है। आजादी के परवानों को नमन करने का वक्त है। कई सूरमाओं के नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं, तो कई गुमनामी में खो गए। कुछ ऐसी ही वीरगाथा है कांगड़ा जिला मुख्यालय धर्मशाला से सटे गांव सराह के जांबाज हवलदार हरनाम सिंह की, जिन्होंने फिरंगी अफसर द्वारा भारतीय सैनिकों को गाली देने पर बगावत कर दी थी। एक ऐसी बगावत, जिसके परिणाम में उन्हें कोर्ट मार्शल के बाद जेल जाना पड़ा, मेडलों के साथ नौकरी गंवानी पड़ी, लेकिन यह हिमाचली हौसला ही था, जिसने घर आने के बाद भी नौजवानों के दिलों में आजादी की मशाल अंग्रेजों की विदाई तक जलाए रखी। वर्ष 1912 में सराह गांव में जन्मे हरनाम 1932 में अंग्रेजी सेना की पंजाब रेजिमेंट में बतौर सैनिक भर्ती हुए तो महज चार साल में ही अपनी योग्यता के दम पर उन्होंने हवलदार का रैंक हासिल कर लिया। समय बीता और 1939 से 1945 तक चले दूसरे विश्व युद्ध में हरनाम ने बैल्जियम, सिंगापुर, बर्मा व मलाया जैसे देशों में लड़ाई लड़कर बहादुरी के लिए अनगिनत मेडल हासिल किए। सन् 1945 में वह अपनी बटालियन मेरठ आए। यहां उनका रुतबा अस्थायी रूप से बटालियन हवलदार मेजर का था, जिन्हें 850 सैनिकों पर कमांड का अधिकार था। चूंकि  पंजाब रेजिमेंट के बहुत सारे जवान नेताजी की आजाद हिंद फौज से जुड़ रहे थे, ऐसे में फिरंगी उनसे नफरत करते थे। इसी कड़ी में एक दिन परेड के दौरान कर्नल रैंक के फिरंगी अफसर ने दो भारतीय सैनिकों को  गालियां निकालना शुरू कर दी, इस पर हरनाम ने विरोध जताया, तो वह उन पर ही झपट पड़ा। बस फिर क्या था, भारत माता के जयकारे लगाकर उन्होंने रायफल उठा ली। जांबाज को गुस्से में देख फिरंगी ऐसा भागा कि उसने कर्नल बैरक में जाकर शरण ली। बाद में हरनाम को अरेस्ट कर 15 दिन जेल में रखा। कोर्ट मार्शल के बाद मौत की सजा (गोली मारने) दी। खैर, बड़ी बगावत के डर से अंग्रेजों ने उन्हें माफी मंगवानी चाही, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। इस पर उन्हें एक्सट्रीम कंपनसेट ग्राउंड पर बिना मेडल-पेंशन घर भेजा गया, जब वह घर आए तो मां-बाप और पत्नी की मौत हो चुकी थी। घर आने पर भी आजादी तक वह अंग्रेज पुलिस-सेना के राडार पर रहे, लेकिन इस गुमनाम हीरो ने अंग्रेजों को भगाने तक युवाओं में आजादी की मशाल जलाए रखी। वर्ष 2005 में उनका निधन हो गया, लेकिन इस जांबाज ने कभी सरकार से पेंशन-भत्ते और फ्रीडम फाइटर का दर्जा नहीं मांगा। आइए जश्न-ए-आजादी पर सब मिलकर हवलदार हरनाम सिंह को सैल्यूट करें।

दूसरे विश्व युद्ध में दिखाई बहादुरी

सराह गांव में जन्मे हरनाम अंग्रेजी सेना की पंजाब रेजिमेंट में बतौर सैनिक भर्ती हुए थे और काबिलीयत के दम पर जल्द हवलदार बन गए। दूसरे विश्व युद्ध में हरनाम ने बेल्जियम, सिंगापुर, बर्मा (म्यांमार) व मलाया जैसे देशों में बहादुरी दिखाई। पंजाब रेजिमेंट के बहुत सारे जवान नेताजी की आजाद हिंद फौज से जुड़ रहे थे, ऐसे में फिरंगी उनसे नफरत करते थे।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App