पीएम बयान के बावजूद हिंसा !

By: Aug 29th, 2017 12:05 am

‘मन की बात’ के जरिए प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर कहना पड़ा है कि आस्था और धर्म के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी। आस्था सांप्रदायिक हो या राजनीतिक विचारधारा के प्रति हो अथवा परंपराओं के प्रति हो, लेकिन उसके नाम पर हिंसा स्वीकार्य नहीं है। जो कानून को हाथ में लेता है और हिंसा के नाम पर दमन करता है, वह व्यक्ति हो या समूह हो, उसे न तो यह देश और न ही सरकार बर्दाश्त कर सकती है। सभी को न्याय पाने का अधिकार है, लेकिन जिन दोषियों ने कानून अपने हाथ में लेने का प्रयास किया है, उन्हें कानून जरूर सजा देगा। प्रधानमंत्री मोदी के ये सद्वचन पहले भी सुन चुके हैं। पहले गोरक्षक गोरक्षा के नाम पर हत्याएं कर रहे थे, तो प्रधानमंत्री उनके खिलाफ कड़े अंदाज में बोले। यहां तक कि ऐसे 70 फीसदी से ज्यादा गोरक्षकों को उन्होंने असामाजिक और गुंडा तत्त्व करार दिया। दिल्ली में एक संभ्रांत जनसभा और फिर गुजरात में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अपनी पीड़ा साझा की और भावुक भी हुए। बीते 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर, लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को कहना पड़ा था कि बुद्ध और गांधी के देश में न तो हिंसा स्वीकार्य है और न ही यह हिंसा, सार्वजनिक वाहनों और संपत्तियों की तोड़-फोड़, उन्हें जलाना, बर्दाश्त की जा सकती है। मोटे तौर पर प्रधानमंत्री ने चौथी बार यह बयान दिया है। मौजूदा संदर्भ बाबा राम रहीम और उसके गुंडों का है। डेरे के चेलों और समर्थकों को कूट भाषा में हिंसा के निर्देश दिए गए थे। हिंसा इतनी विकराल और व्यापक थी कि 38 लोग मारे जा चुके हैं और 250 से अधिक घायल हैं। हिंसा का खौफ और आशंका इतनी थी कि रोहतक जेल में राम रहीम को सजा सुनाने से पहले अर्द्धसैनिक बलों की 10 कंपनियां तैनात करनी पड़ीं, सेना की 28 टुकडि़यां हरियाणा और पंजाब में तैनात की गईं, दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में धारा-144 के अलावा हाई अलर्ट है। हिसार में सेना को अलर्ट करना पड़ा, रोहतक में सभी स्कूल-कालेज बंद करने पड़े और मोबाइल इंटरनेट, मैसेज आदि पर पाबंदी चस्पां करनी पड़ी। हम सजा सुनाने के बाद के माहौल का भी विश्लेषण करेंगे। फिलहाल पंचकूला की हिंसा का संदर्भ है, जिस पर प्रधानमंत्री को बयान देना पड़ा है, लेकिन हिंसा के लिए तो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी बराबर के जिम्मेदार हैं। धारा-144 की अधिसूचना ही दोषपूर्ण और अस्पष्ट थी, लिहाजा हाई कोर्ट को कड़ी टिप्पणियां करनी पड़ीं। माना गया कि हरियाणा सरकार और पुलिस ने बाबा राम रहीम के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया था। यदि राज्य में धारा-144 लागू थी, तो राम रहीम सैकड़ों कारों के काफिले में पंचकूला की बाहरी सीमा तक कैसे आया ? कोई रोड शो किया जा रहा था? प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, बेशक, मुख्यमंत्री खट्टर को ‘अभयदान’ दे दें, लेकिन बुनियादी तौर पर वही दोषी हैं। खट्टर बार-बार नाकाम साबित हुए हैं। इससे भाजपा सरकार की विश्वसनीयता पर आम आदमी का भरोसा डांवाडोल होता है। प्रधानमंत्री भी हिंसा का विरोध इतने ठंडे अंदाज में करते हैं मानो कोई प्रवचन दे रहे हों। हिंसा के खिलाफ कार्रवाई गायब है। प्रधानमंत्री को हिंसा बर्दाश्त नहीं और देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा प्रदर्शन जारी रहें, तो सवालिया कौन होता है? प्रधानमंत्री मोदी की यह चिंता स्वाभाविक है कि एक तरफ देश उत्सवों में डूबा हो और दूसरी तरफ हिंदोस्तान के किसी कोने से हिंसा की खबरें आती हैं, तो चिंता होती ही है। जबकि हम बचपन से सुनते आए हैं-अहिंसा परमो धर्मः। दरअसल ‘हिंसा के भस्मासुर’ राजनीतिक दलों ने ही पैदा किए हैं। मान सकते हैं कि भाजपा का सत्ता-काल तो सिर्फ तीन साल पुराना है, कांग्रेस की सरकारों के दौरान बाबा राम रहीम, रामपाल, आसाराम बापू, रामवृक्ष यादव आदि फर्जी बाबाओं ने विस्तार पाया, लेकिन अब तो जिम्मेदारी भाजपा और उसकी सरकारों की है। सिर्फ बयान देने से ही कार्य की सिद्धि नहीं हुआ करती।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App