प्रशिक्षकों की व्यवस्था करे कालेज प्रशासन

By: Aug 11th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों तथा प्राध्यापकों से आशा की जाती है कि प्रदेश में खेलों को सही वातावरण देने के लिए अपने-अपने महाविद्यालय से पहल करें। खेल की सुविधा के अनुसार उसके प्रशिक्षक को अपने यहां सम्मानपूर्वक बुलाकर ये कम से कम एक खेल के प्रशिक्षण की शरुआत करने का प्रण लें…

हिमाचल प्रदेश में इस समय लगभग दो सौ से भी अधिक स्नातक व स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के साथ-साथ बीएड महाविद्यालय प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं। लगभग एक लाख के आसपास विद्यार्थी इन महाविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इतनी अधिक युवा शक्ति के पूर्ण विकास के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय खेल तथा युवा गतिविधियों की अंतरमहाविद्यालय प्रतियोगिताओं का कैलेंडर फाइनल करता है। इसके साथ बजट तथा अन्य विषयों पर भी चर्चा होती है तथा अंतर विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदक जीतने वाले खिलाडि़यों को बलेजर व नकद इनाम भी दिया जाता है। इस वर्ष का खेल कैलेंडर क्रॉस कंट्री, जो महिला व पुरुष वर्ग के लिए इकट्ठी 29 अगस्त को राजकीय महाविद्यालय बंजार में आयोजित हो रही है, से शुरू हो जाएगा। सिंथेटिक ट्रैक के होते इस बार एथलेटिक्स राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला करवाएगा। पिछले वर्ष यह प्रतियोगिता राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर ने अपने यहां सिंथेटिक ट्रैक पर आयोजित करवाई थी। एस्ट्रो टर्फ के चलते अबकी बार हाकी प्रतियोगिता राजकीय महाविद्यालय ऊना अपने यहां एस्ट्रो टर्फ पर करवाएगा। इस वर्ष अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिता करवाने के लिए बीस हजार रुपए की राशि को बढ़ाकर तीस हजार रुपए आयोजक महाविद्यालय को दिए जाने का प्रस्ताव ईसी को भेजा है। इसी के साथ-साथ एथलेटिक्स प्रतियोगिता के लिए 80 हजार की जगह एक लाख की बात है तथा अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में डीए 200 रुपए तथा अंतर विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिता के समय यह राशि 300 रुपए दैनिक करने की वकालत की है।

अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं के पदक विजेताओं को इस बैठक में बहुत वर्षों बाद बुलाकर सम्मानित करना अच्छी बात है, मगर उनके प्रशिक्षकों को न बुलाना अच्छा संदेश नहीं है। हिमाचल के महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षा का मात्र एक-एक प्राध्यापक नियुक्त है और किसी-किसी महाविद्यालय में तो पद ही सृजित नहीं है। महाविद्यालय स्तर पर शारीरिक शिक्षा का प्राध्यापक अधिकतर खेल प्रबंधक का कार्य करता है। पूरा वर्ष लगातार प्रशिक्षण के लिए उसके पास न तो समय है और न ही एक से अधिक खेलों का प्रशिक्षण ज्ञान। इसलिए अधिक महाविद्यालयों में खेल प्रशिक्षकों के सहारे ही खेल चल रहे हैं। यह सुविधा भी वहीं पर ही उपलब्ध है, जहां खेल विभाग के प्रशिक्षक नियुक्त हैं। प्रदेश में कुछ निजी प्रशिक्षक भी खेलों का शौकिया प्रशिक्षण देते हैं। खेल छात्रावासों के कारण धर्मशाला, बिलासपुर तथा ऊना महाविद्यालय को अच्छे खिलाड़ी मिल जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर बहुत ही कम पदक आते हैं और जो आते हैं, उनके लिए राज्य में प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे कुछ प्रशिक्षकों का योगदान प्रमुख है। अच्छा होता उन प्रशिक्षकों को भी विश्वविद्यालय बुलाता और खिलाडि़यों के साथ-साथ उन्हें भी सम्मानित करता जैसा पंजाबी व अन्य खेल के अग्रणी विश्वविद्यालय करते हैं। इससे नए प्रशिक्षकों को भी प्रेरणा मिलती और वे भी अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम सुचारू रूप से लगातार पूरा वर्ष चलाते। प्रदेश विश्वविद्यालय खेल परिषद के सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य भी सदस्य होते हैं और महाविद्यालय स्तर पर खेल तथा अन्य युवा गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्राचार्य का सकारात्मक होना बेहद जरूरी है।

राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर तथा एमएलएसएम सुंदरनगर के खेल परिणाम एथलेटिक्स, जूडो तथा मुक्केबाजी में बहुत अच्छे रहे हैं। इसके लिए दो दशक पूर्व हमीरपुर में तत्कालीन प्राचार्य डा. ओपी शर्मा तथा प्राध्यापक डीसी शर्मा ने प्रशिक्षकों को महाविद्यालय में बुलाकर सुविधा की और फिर वर्षों तक यह महाविद्यालय एथलेटिक्स व जूडो में अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर पदक जीतता रहा है। इसी तरह दो दशक पूर्व सुंदरनगर में प्राचार्य डा. सूरज पाठक तथा डा. पदम सिंह गुलेरिया तत्कालीन प्राध्यापक शारीरिक शिक्षा ने भी मुक्केबाजी प्रशिक्षक को अपने यहां बुलाकर मंच दिया और सुंदरनगर लगातार आज तक हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता दे रहा है। विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों तथा प्राध्यापकों से आशा की जाती है कि प्रदेश में खेलों को सही वातावरण देने के लिए अपने-अपने महाविद्यालय से पहल करें तथा खेल की सुविधा के अनुसार उसके प्रशिक्षक को अपने यहां सम्मानपूर्वक बुलाकर कम से कम एक खेल के प्रशिक्षण की शरुआत करने का प्रण लें। इस तरह से प्रदेश में खेलों  के विकास की एक नई परिपाटी विकसित की जा सकती है। जैसे विषय विशेष का प्राध्यापक बेहद जरूरी है, उसी तरह खेल के लिए भी उसका प्रशिक्षक चाहिए, तभी हम बर्फ के प्रदेश की संतानों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते देख सकते हैं।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App