बंदरों ने छुड़ाई खेती, मजदूरी करने लगे

By: Aug 20th, 2017 12:05 am

परवाणू की कई पंचायतों में 24 घंटे करनी पड़ रही फसल की रखवाली

हनुमान जी की सेना के रूप में आम जनमानस के लिए पूजनीय रहे बंदर ऐसे खुराफाती हुए कि किसानों को दाने-दाने के लाले पड़ गए हैं। कल तक गुड़-चना डालकर अपने अराध्य देव को खुश करने में लगे किसान आज बंदरों के आतंक से इस कद्र परेशान हैं कि घाटे का सौदा साबित हो रही खेती से ही वे मुंह मोड़ने लगे हैं…

परवाणू – परवाणू की कई पंचायतों में बंदरों का आतंक इस कद्र है कि किसान खेती से मुंह मोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। कई किसानों ने खेती छोड़कर अन्य कार्य शुरू कर दिए हैं।  मजबूरी में जो किसान खेती कर रहे हैं। उन्हें भी 24 घंटे खेतों में बैठकर रखवाली करनी पड़ रही है। धर्मपुर विकास खंड में जंगेशु, टकसाल, जाबली, बनासर, प्राथा, नारायणी, चमो, भोजनगर, सनवारा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लोग कृषि कार्य कर रहे हैं। यह क्षेत्र मक्की, शिमला मिर्च, टमाटर, आलू, अदरक, प्याज व मौसमी सब्जी खेतों में पैदा कर रहे हैं। परवाणू के समीप स्थित टकसाल में अब गिने चुने क्षेत्रों में लोग खेती से जुड़े हैं।  कृषक खेती की बजाए अब परवाणू की इंडस्ट्री में कार्य करने लगे हैं। यह लोग अब खेती को पार्ट टाइम मान चुके हैं और सिर्फ  अपने परिवार के लिए ही खेती कर रहे हैं। सैकड़ों बीघा जमीन बंजर बन चुकी है। कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां पर दस वर्ष पहले फसलें लहराती थी, लेकिन अब इन फसलों की जगह उद्योगों ने ले ली है, या फिर खेत बंजर पड़े हैं।

खेती छोड़ने को कर दिया मजबूर

चमो पंचायत के किसान तुला राम का कहना है कि वे साल भर मेहनत करते हैं और फसल के समय बंदर उनकी फसल को नुकसान पंहुचा रहे हैं। बंदरों की बढ़ती संख्या ने उन्हें खेती छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।

फसल के समय बंदरों का आतंक बढ़ा

जाबली पंचायत के रहने वाले किसान नानक चंद शांडिल का इस बारे कहना है कि उनके सूजी, मांझ, मझेड़ क्षेत्र में आज से दस वर्ष पूर्व बंदरों की संख्या बहुत कम होती थी लेकिन अब बंदरों की संख्या में कई गुना इजाफा हो चुका है, जिससे इस क्षेत्र में फसल के समय बंदरों का आतंक बढ़ गया है।

रात को भी बंदर फसलों को उजाड़ रहे

बनासर पंचायत के किसान और ग्राम पंचायत प्रधान मान सिंह  का कहना है कि बंदरों की बढ़ती संख्या से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। पहले बंदर दिन के समय ही फसलों पर हमला करते थे, लेकिन अब रात को भी बंदर फसलों को उजाड़ रहे हैं।

परिवार की जरूरत के लिए खेती

जंगेशु पंचायत के थारूगढ़ में रहने वाले किसान भाई बाबू राम और बालक राम खेती को सिर्फ  अपने परिवार की आवश्यकता के लिए ही ऊगा रहे हैं। इनका कहना है कि घर से दूर की जमीन पर आबादी नजदीक न होने पर बंदर फसलों को  ज्यादा नुकसान पहुंचाते है।

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