बेटी बचाओ, पर किससे

By: Aug 17th, 2017 12:05 am

( शैलजा कुमारी, जोगिंद्रनगर, मंडी )

सरकार द्वारा बेटियों के पक्ष में एक बड़ी मुहिम चलाई गई, जिसके अंतर्गत ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की अलख पूरे देश व प्रदेश में जगाई जा रही है। ‘बेटी बचाने व पढ़ाने’ के लिए अनेक कार्यक्रम किए जा रहे हैं और उनका समाज में सकारात्मक असर देखने को मिला। पर अब यहां सवाल उठता है कि बेटी को किससे बचाएं? इन प्रयासों से भले बेटी जन्म ले ले और शिक्षा भी, लेकिन उन दरिंदों से बेटी को कौन बचाएगा, जो हर वक्त उन्हें नोचने की तलाश में भटकते रहते हैं। अगर समाज ऐसे ही लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करेगा, तो कौन मां-बाप अपने घर बेटी चाहेंगे, कौन भाई अपनी बहन की ऐसी हालत देखना चाहेगा और कौन सी लड़की खुद को इस तरह तार-तार होता देखना चाहेगी। देवों की भूमि कहलाने वाला यह प्रदेश हर रोज कुकर्मों की कालिख से कलंकित हो रहा। पहले लोग एक लड़की को इसलिए नहीं चाहते थे कि समाज के रिवाज, दहेज का भार उन्हें उठने नहीं देगा, पर आज कोई लड़की इसलिए नहीं चाहेगा कि उसकी बिटिया के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। जिस राक्षस रावण का प्रतिवर्ष बुराई समझकर दहन किया जाता है, उसने भी सीता माता का इस भांति हनन नहीं किया था, जैसी अति आज का मानव कर रहा है। अब समझ नहीं आ रहा कि बेटी को कोख में बचाएं या दरिंदों के नोचने से।

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