भद्राचलम का राम मंदिर

By: Aug 19th, 2017 12:08 am

aasthaभारत की संस्कृति राममय है। यहां रोम-रोम में राम बसे हैं। भारत में अनेक प्राचीन स्थल हैं, जो श्रीराम के जीवन से जुड़े हैं। इसी तरह राम कथा से अभिन्न रूप में जुड़ा है आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में भद्राचलम। इस पुण्य क्षेत्र को दक्षिण की अयोध्या माना जाता है और यह भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। यह वही स्थान है जहां राम ने पर्णकुटी बनाकर वनवास का लंबा समय व्यतीत किया था। यहीं कुछ ऐसे शिलाखंड हैं, जिन्हें देखकर यह माना जाता है कि सीता जी ने वनवास के दौरान वस्त्र सुखाए थे। ऐसा भी जन विश्वास है कि सीता जी का अपहरण यहीं से हुआ था। भद्राचलम राम मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान राम और देवी सीता को समर्पित है। यह भद्राचलम में लोकप्रिय स्थान है।  हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। देवी सीता भगवान विष्णु की पत्नी, देवी लक्ष्मी का अवतार हैं। मंदिर भद्राचलम शहर से 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर भगवान राम के भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है और हर साल इस जगह रामनवमी के दौरान लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर के आविर्भाव की कथा भी वनवासियों से जुड़ी हुई है। कथा ऐसी है कि एक राम भक्त वनवासी महिला पोकला दम्मक्का भद्रिरेड्डीपालेम ग्राम में रहा करती थी। इस वृद्धा ने राम नामक एक लड़के को गोद लेकर उसका पालन-पोषण किया। एक दिन राम वन में गया और वापस नहीं लौटा। पुत्र को खोजते-खोजते दम्मक्का जंगल में पहुंच गई और राम-राम पुकारते हुए भटकने लगी। तभी उसे एक गुफा के अंदर से आवाज आई मां, मैं यहां हूं। खोजने पर वहां सीता, राम, लक्ष्मण की प्रतिमाएं मिलीं। उन्हें देखकर दम्मक्का भक्ति भाव से सराबोर हो गई। इतने में उसने अपने पुत्र को भी सामने खड़ा पाया। बस, भक्त दम्मक्का ने उसी जगह पर देव प्रतिमाओं की स्थापना का संकल्प लिया और बांस की छत बनाकर एक अस्थायी मंदिर बनाया। धीरे-धीरे स्थानीय वनवासी समुदाय भद्रगिरि या भद्राचलम नामक उस पहाड़ी पर श्रीराम जी की पूजा करने लगे। आगे चलकर भगवान ने भद्राचलम को वनवासियों, नगरवासियों के मिलन हेतु एक सेतु बना दिया।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App