भारत का इतिहास

By: Aug 2nd, 2017 12:05 am

परामर्श शाखा ने तैयार किए दो पत्रक

गतांक से आगे-

इस स्थिति  में संविधान सभा ने और आगे प्रतीक्षा करना निरर्थक समझा  तथा 22 जनवरी, 1947 को अवसर की गंभरीता और प्रस्ताव में की गई प्रतिज्ञा की महानता का स्मरण करते हुए, बड़ी संजीदगी के साथ संविधान सभा में सदस्यों ने खड़े होकर सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पास किया। इससे पहले 20 नवंबर, 1946 को सारतः यही प्रस्ताव कांग्रेस के खुले मेरठ अधिवेशन में पास हो चुका था।

समितियों का निर्माण

उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद ही संविधान सभा ने संविधान निर्माण की समस्या के विभिन्न पहलुओं में अनेक समितियां नियुक्त कीं।

(1) संघ संविधान समिति (यूनियन कंस्टीच्यूशन कमेटी), (2) प्रांतीय संविधान समिति (प्रोविंशियल कंस्टीच्यूशन कमेटी), (3) संघ शक्ति समिति (यूनियन पावर्स कमेटी), (4) मूल अधिकारों, अल्पसंख्यकों आदि से संबंधित परामर्श-समिति, (5) प्रारूप-समिति आदि देशी राज्यों के प्रतिनिधित्व तथा संविधान सभा में भाग लेने के बारे में नरेश मंडल की वार्ता समिति से बातचीत करने के लिए संविधान ने एक अपनी वार्ता समिति पहले ही 21 दिसंबर, 1946 को बना दी थी। सभा ने तीसरे और छठे अधिवेश्नों के बीच में मूल अधिकारों, संघ- संविधान, संघ शक्तियों, प्रांतीय संविधान, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजातियों के संबंध में नियुक्त की गई समितियों के प्रतिवेदनों पर विचार किया। सभा को मुख्य आयुक्तों के प्रांतों संघ तथा राज्यों के वित्तीय संबंधों और जनजातियों क्षेत्रों से संबंद्ध समितियों के प्रतिवेदनों पर विचार करने का और उनके संबंध में निर्णय करने का समय नहीं मिला पर बाद में इन समितियों की सिफारिशों पर प्रारूप समिति ने विचार किया। संविधान सभा के कार्र्यालय की परामर्श शाखा ने 17 मार्च, 1947 को संविधान की मुख्य विशेषताओं के संबंध में एक प्रश्न सूची विभिन्न प्रांतीय विधानमंडलों और केंद्रीय विधानमंडलों के सदस्यों के पास भी भेजी, ताकि वे प्रस्तावित संविधान के संबंध में अपने विचार व्यक्त कर सकें। प्रश्न सूची बाद में संघ-संविधान और प्रांतीय संविधान समितियों के सदस्यों के पास भेजी गई ताकि वे प्रस्तावित संविधान और प्रांतीय संविधान समितियों के सदस्यों के पास भेजी गई। मई 1947 के अंत तक प्रश्न सूची के बहुत ही थोड़े उत्तर आए थे। अतः परामर्श शाखा ने स्वयं दो पत्रक तैयार किए। एक संघ संविधान और दूसरा प्रांतीय संविधान बारे।

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