भारत का इतिहास

By: Aug 23rd, 2017 12:05 am

अंबेडकर चुने प्रारूप समिति के अध्यक्ष

गतांक से आगे-

29 अगस्त, 1946 को संविधान सभा ने प्रारूप समिति की नियुक्ति की। प्रारूप समिति के अध्यक्ष चुने गए डा. भीमराव अंबेडकर। अन्य सदस्य थे कन्हैलाल माणिकलाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला, बीएल मित्तर अल्लादी कृष्णस्वामी अययर, एन गोपालस्वामी आयंगर तथा डीपी खेतान। बाद में मित्तर और खेतान के स्थानों पर एन माधवराव तथा टीटी कृष्णमाचारी को नियुक्त किया गया। प्रारूप समिति  का काम यह था कि वह संविधान सभा की परामर्श शाखा द्वारा तैयार किए गए संविधान की परीक्षा करे और फिर संविधान सभा में संविधान के बारे में जो निर्णय हो चुके थे, उन्हें प्रारूप-संविधान में समाविष्ट करे और फिर संविधान को विचार के लिए संविधान सभा के सम्मुख प्रस्तुत करे। 30 अगस्त, 1947 को प्रारूप समिति  की पहली बैठक हुई। इसके बाद उसकी 141 दिन तक बैठकें होती रहीं, जिसमें संविधान के विविध उपबंधों की रचना की। प्रारूप तैयार करते समय इस बात का प्रयत्न किया गया कि जहां तक हो सके यह संविधान सभा अथवा उसकी विविध समितियों के निर्णयों की कार्यान्वित करे, लेकिन कुछ मामले ऐसे थे जिनके बारे में प्रारूप समिति  को कुछ परिवर्तन करने आवश्यक मालूम दिए। प्रारूप समिति  ने जो प्रारूप संविधान तैयार किया उसमें उन सारे परिवर्तनों को या तो रेखांकित कर दिया गया था या उन्हें हाशिए में लिख दिया गया था। इस बात का भी ध्यान रखा गया था कि जो भी परिवर्तन किए जाएं, उनका पाद- टिप्पणियों में स्पष्टीकरण कर दिया जाए। प्रारूप समिति  के अध्यक्ष को ही प्रारूप समिति  के सदस्यों की ओर से प्रारूप  पर हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया गया था। लेकिन उन्होंने अपने प्रतिवेदन में यह स्पष्ट कर दिया कि यद्यपि सभी बैठकों में सभी सदस्य उपस्थित नहीं थे, पर  जिस किसी बैठक में कोई निर्णय लिया गया उसमें आवश्यक गणपूर्ति थी और निर्णय या  तो सर्वसम्मति से किए गए या उपस्थित सदस्यों के बहुमत थे।

प्रारूप संविधान

प्रारूप समिति ने भारत का जो प्रारूप संविधान तैयार किया, वह फरवरी 1948 में संविधान सभा के अध्यक्ष की सेवा में प्रस्तुत किया गया।  प्रारूप संविधान के प्रकाशित होने के बाद प्रारूप संविधान  में संशोधन करने के लिए संविधान-सभा के कार्यालय में अनेक टिप्पणियां, आलोचनाएं और सुझाव प्राप्त हुए। संविधान सभा के अध्यक्ष ने प्रारूप समिति को आदेश दिया कि वह इन सब सुझावों पर विचार करे।

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