भारत में असुरक्षित मुस्लिम समुदाय !

By: Aug 21st, 2017 12:05 am

कुलदीप नैयर

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

कुलदीप नैय्यर यह सत्य है कि जब हामिद अंसारी पद पर थे, तब उन्हें इस तरह की आशंका जतानी चाहिए थी और अपना पद छोड़ देना चाहिए था। लेकिन इससे एक अन्य प्रकार का संकट पैदा हो गया होता और संविधान के विशेषज्ञों को इस समस्या को हल करना मुश्किल हो गया होता। उस स्थिति में देश संदेह व आशंकाओं की खाई में चला गया होता। बहुमत वाले समुदाय को यह सोचने का प्रयास करना चाहिए कि क्यों हर मुसलमान नेता, जब भी मौका मिलता है, अपने समुदाय के कल्याण के लिए इस तरह की आवाज उठाता है…

निवर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने विदाई भाषण में कहा कि देश में मुसलमान सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। उधर आरएसएस व भाजपा ने इस पर आत्मविश्लेषण करने के बजाय उनकी भर्त्सना कर डाली। एक ने तो यहां तक कह डाला कि उन्हें उस देश में चले जाना चाहिए, जहां वह ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। सबसे कठोर टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आई जब उन्होंने कहा कि अंसारी अब अपना एजेंडा जारी रख सकते हैं। उच्च पदों पर बैठे कुछ अन्य लोगों ने भी कमोबेश इसी तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। हिंदू नेताओं द्वारा आत्मविश्लेषण की कोई कोशिश नहीं की गई और मुसलमानों के दिलों में घर कर गए भय को दूर करने का मौका हम गंवा बैठे। यह सत्य है कि जब हामिद अंसारी पद पर थे, तब उन्हें इस तरह की आशंका जतानी चाहिए थी और अपना पद छोड़ देना चाहिए था। लेकिन इससे एक अन्य प्रकार का संकट पैदा हो गया होता और संविधान के विशेषज्ञों को इस समस्या को हल करना मुश्किल हो गया होता। उस स्थिति में देश संदेह व आशंकाओं की खाई में चला गया होता। बहुमत वाले समुदाय को यह सोचने का प्रयास करना चाहिए कि क्यों हर मुसलमान नेता, जब भी मौका मिलता है, अपने समुदाय के कल्याण के लिए इस तरह की आवाज उठाता है, विशेषकर जब वह पद छोड़ने वाला होता है। यह कह देना कि हामिद अंसारी को किसी सुरक्षित देश में चले जाना चाहिए, उनके द्वारा उठाए गए मसले का हल नहीं है। हामिद अंसारी ने यह नहीं कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित हैं या नहीं। निवर्तमान उपराष्ट्रपति केवल मुसलमानों के भय की बात कर रहे थे। उन पर व्यक्तिगत हमले से समस्या हल होने वाली नहीं है। सत्तारूढ़ नेताओं को हामिद अंसारी के शब्दों पर चिंतन करना चाहिए तथा यह सोचना चाहिए कि किस तरह बहुमत वाला समुदाय स्थिति में सुधार कर सकता है। लेकिन अंसारी के संदेश को उस भावना से नहीं लिया गया जिस भावना से उन्होंने कहा था।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने इस संदेश की प्रतिक्रिया में कहा कि चूंकि हामिद अंसारी भारत में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्हें कहीं और चले जाना चाहिए। हिंदू संगठन के मुखिया के रूप में उनकी यह टिप्पणी जन प्रतिनिधियों के चरित्र की व्याख्या भी करती है। दुर्भाग्य से हर मसला हिंदू बनाम मुसलमान होता जा रहा है। चूंकि हामिद अंसारी ने यह टिप्पणी उपराष्ट्रपति के पद पर बैठ कर की है, अतः उनका यह कथन सार्वजनिक संपदा है और इस विषय पर संसद समेत सभी जिम्मेदार फोरम में बहस होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने पूर्व में यह देखने के लिए कि मुसलमान क्या महसूस करते हैं, एक आयोग गठित किया था। न्यायमूर्ति राजेंद्र सच्चर, जिन्होंने इस आयोग की अगवाई की, ने अपनी रपट में कहा कि मुसलमानों से दलित से भी ज्यादा बुरा बर्ताव हो रहा है। उन्होंने यह खुलासा भी किया था कि पश्चिम बंगाल, जहां करीब तीन दशकों तक कम्युनिस्ट सत्ता में रहे, में मात्र अढ़ाई फीसदी मुसलमान ही शिक्षित हैं। यह उचित समय है जब एक अन्य आयोग इस बात की जांच के लिए गठित किया जाए जो यह देखे कि सच्चर की रपट के बाद स्थिति में कितना सुधार आया है। दुर्भाग्य से पछतावे की ऐसी ही टिप्पणियां इससे पूर्व भी कई अन्य मुस्लिम नेता कर चुके हैं। कई जानी-मानी हस्तियां भी ऐसा ही कह चुकी हैं। मिसाल के तौर पर कुछ वर्षों पूर्व फिल्म अभिनेता आमिर खान ने अपनी पत्नी किरण राव के भय का उल्लेख करते हुए राजनेताओं पर तंज कसा था और कहा था कि भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है। मैंने जब किरण से बात की थी तो उन्होंने कहा था कि क्या हमें भारत से बाहर चले जाना चाहिए। यह किरण की एक बहुत बड़ी टिप्पणी थी। वह अपने बच्चे को लेकर भयभीत थी।

उसे भय था कि आने वाले दिनों में हमारे आसपास कैसा वातावरण होगा। यह बात अखबारों तक ले जाने से भी वह भयभीत थी। यह संकेत है कि जागरूकता के बावजूद चिंता, उदासी व अशांति का वातावरण बढ़ रहा है। आमिर खान ने भी अपनी चिंता जताई। उन्होंने एक पुरस्कार वितरण समारोह में सृजनशील लोगों द्वारा पुरस्कार वापसी का भी यह कह कर समर्थन किया कि यह उनका असंतोष जाहिर करने का एक तरीका था। उन्होंने कहा कि जब कुछ लोग कानून को अपने हाथों में लेते हैं तो जिन लोगों को हम चुनते हैं, उनसे आशा होती है कि वे कोई सख्त कार्रवाई करेंगे। ऐसा करने से लोगों में सुरक्षा की भावना आती है, लेकिन अगर ऐसा न हो तो असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है। जैसा कि अपेक्षा थी भाजपा की ओर से इस पर प्रतिकूल टिप्पणी आई। भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि वह भयभीत नहीं, वह लोगों को भयभीत कर रहे हैं। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के लोगों ने उन्हें बहुत सम्मान दिया है और इसी कारण वह एक बड़े स्टार बन पाए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आमिर की बातों का समर्थन किया और मोदी सरकार को सुझाव दिया कि उसे यह पता करना चाहिए कि लोग क्यों भयभीत और चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं, उनसे मोदी सरकार को बदले की भावना से नहीं देखना चाहिए।

राहुल के इस विचार पर भाजपा प्रवक्ता की फिर प्रतिकूल टिप्पणी आई कि राष्ट्र को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। वास्तविक समस्या धर्म के आधार पर रैडक्लिफ द्वारा खींची गई रेखा है। विभाजन के दौरान कत्लेआम पर उन्होंने पछतावा जरूर प्रकट किया, लेकिन उन्होंने रेखा नहीं बदली। रेखा के उस पार पाकिस्तान के लोग हैं, जो कि धीरे-धीर इस्लामिक वर्ल्ड का हिस्सा बनते जा रहे हैं। कट्टरवादिता ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। सीमा के उस पार वास्तव में कोई हिंदू और सिख नहीं हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई अपने वर्ग में बहुमत रखते हैं। उनकी शिकायत है कि चर्चों को नष्ट किया जा रहा है और जबरन धर्म-परिवर्तन हो रहा है। लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री वह कर रहे हैं जो वह कर सकते हैं। लेकिन अंतिम निर्णय वहां पर सेना को करना होता है। दुर्भाग्य से सेना भी पथभ्रष्ट होती जा रही है। हामिद अंसारी के शब्द प्रासंगिक हैं क्योंकि भारत में नरम प्रकार का हिंदुत्व जगह बना रहा है। जो लोग उच्च पदों पर विराजमान हैं वे विभाजन को प्रोत्साहन दे रहे हैं क्योंकि हिंदू व मुसलमान के आधार पर लड़े गए चुनाव में हिंदुओं को लाभ होता है। भारत की पंथनिरपेक्ष छवि खत्म हो रही है और दुखद है कि गत सात दशकों से चल रहा पंथनिरपेक्षतावाद का आदर्श खतरे में पड़ गया है।

ई-मेल : kuldipnayar09@gmail.com

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App