मणिकर्ण बस स्टैंड..नया बना नहीं, पुराना अवैध कब्जों से सिकुड़ा

By: Aug 13th, 2017 12:10 am

हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी नहीं सुधरे हालात, एचआरटीसी के नाम जमीन भी ट्रांसफर

newsकुल्लू— जिला कुल्लू की धार्मिक एवं पर्यटन नगरी मणिकर्ण में बस स्टैंड का एरिया अवैध कब्जे से लगातार सिकुड़ता जा रहा है। हालांकि अवैध कब्जे हटाने के लिए माननीय हाई कोर्ट ने सरकार और प्रशासन को कड़े निर्देश दिए हैं, लेकिन मणिकर्ण में अवैध कब्जे बदस्तूर जारी हैं। भुंतर से मणिकर्ण तक अभी तक 33 अवैध कब्जों की पहचान हुई है, जबकि अकेले मणिकर्ण बस स्टैंड के आसपास 12 अवैध कब्जे हैं। हालांकि यहां प्रदेश सरकार ने सत्ता में आते ही आधुनिक सुविधा से लैस बस स्टैंड बनाने की घोषणा की थी। जानकारी के अनुसार इसके बाद सरकार ने एचआरटीसी निगम प्रबंधन को आदेश भी दिए, लेकिन अभी तक एचआरटीसी निगम प्रबंधन बस स्टैंड के निर्माण कार्य को लेकर कागजी औपचारिकताएं पूरी नहीं कर पाया है। सरकार भी चुप्पी साधे बैठी है और औपचारिकताओं की रिपोर्ट मांगी नहीं जा रही है। हालांकि घोषणा के बाद उपायुक्त कुल्लू एसडीएम सहित निगम प्रबंधन के अधिकारियों ने कई बार सर्वे भी किया, लेकिन इसके बावजूद योजना सिरे नहीं चढ़ी। स्थानीय पंचायत छह माह तक एचआरटीसी निगम प्रबंधन से बस स्टैंड का निर्माण कार्य जल्द शुरू करने के लिए मांग करती रही, लेकिन पंचायत की मांग पर अनदेखी होती रही। कुछ समय तक एचआरटीसी निगम प्रबंधन का रोना था कि वन विभाग जमीन को ट्रांसफर नहीं कर रहा है। वन विभाग ने एचआरटीसी के नाम जमीन भी ट्रांसफर कर दी है। निगम प्रबंधन ने फाइल को कोठरी में दफन कर रखा है। जमीन पर जितने भी अवैध कब्जे कर रखे हैं, उनको हटाना अब निगम प्रबंधन का कार्य है। बस स्टैंड एरिया में लोग अवैध कब्जा लगातार कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन खामोशी साधे बैठा हुआ है।

पैसा आता गया, जाता गया

बस स्टैंड बनाने की योजना वर्ष 2003 से लेकर चली हुई है। यहां के लिए पैसा आता गया और वापस जाता गया। निगम प्रबंधन की नालायकी और राजनीति का शिकार मणिकर्ण का बस स्टैंड होता गया। यहां के लिए पैसा आया था तो राजनेताओं के कारण वापस चला गया।

कांग्रेस का दावा नहीं हुआ पूरा

घाटीवासियों की मांग पर एचआरटीसी ने वर्ष 2008-2009 में बस स्टैंड बनाने के लिए प्रोपोजल भेजा था। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही मणिकर्ण में बस स्टैंड का निर्माण कार्य करने का दावा किया। सरकार के साढ़े चार साल बाद दावा सिरे नहीं चढ़ पाया है। मणिकर्ण पंचायत ने बस स्टैंड एरिया में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करना था। पंचायत प्रतिनिधि इसके लिए निगम प्रबंधन के पास भी गए, लेकिन निगम प्रबंधन ने पंचायत से वन अधिकार समिति की एनओसी मांगी। पंचायत ने एनओसी भी प्रबंधन को दी, लेकिन यहां टायलट बनाने की अनुमति अभी तक निगम प्रबंधन नहीं दे पाया है, लेकिन अवैध कब्जे करने दे रहा है।

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