मनरेगा का सोशल ऑडिट

By: Aug 20th, 2017 12:02 am

अब किसी भी तरह की गड़बड़ पर पंचायत प्रतिनिधियों से ही होगी रिकवरी, प्रदेश सरकार ने तैनात किए रिसोर्सपर्सन

हमीरपुर— मनरेगा के तहत लोगों को मिलने वाले लाभ पर प्रदेश सरकार ने जांच बैठा दी है। इसके लिए जिला रिसोर्सपर्सन की तैनाती की गई है। अधिक जनसंख्या वाले जिला में दो रिसोर्सपर्सन तैनात किए गए हैं। अब मनरेगा कार्य में मिलने वाले लाभ पर पंचायत प्रतिनिधि कुंडली नहीं मार सकेंगे। अगर मामला सामने आया तो संबंधित पंचायत प्रतिनिधि से ही रिकवरी होगी। जन सुनवाई में पंचायत प्रतिनिधियों की नहीं, बल्कि जनता की चलेगी। मनरेगा में जनता को कितना लाभ मिला है, इसका सोशल ऑडिट होगा। इसके लिए विलेज रिसोर्सपर्सन व ग्राम पंचायत रिसोर्सपर्सन की भी तैनाती होगी। विलेज रिसोर्सपर्सन गांव में हुए मनरेगा कार्यों की रिपोर्ट पंचायत रिसोर्सपर्सन को सौंपेगा। इसके बाद रिपोर्ट जिला रिसोर्सपर्सन के पास पहुंचेगी। किसी प्रकार की गड़बड़ी पर जनसभा में फैसला होगा। जनसभा में पंचायत प्रतिनिधियों का नहीं, बल्कि जनता का फैसला मान्य होगा। ग्रामसभा में पंचायत प्रतिनिधि सिर्फ औपचारिकता के लिए मौजूद होंगे। ग्रामसभा में गांव का ही कोई व्यक्ति चेयरमैन होगा। जनता के फैसले के बाद आगामी प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। अगर पंचायत स्तर पर गड़बड़ी पाई गई तो पंचायत प्रतिनिधियों से ही सरकार वसूली करेगी। सरकार मनरेगा कार्यों के लिए बजट व मैटीरियल उपलब्ध करवा रही है। सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लोगों को पूरा लाभ मिल रहा है या नहीं, इसकी अब निष्पक्ष जांच होगी। प्रदेश सरकार ने लोगों के हित में यह निर्णय लिया है। जिला स्तर पर जिला रिसोर्सपर्सन तैनात किए गए हैं। मनरेगा कार्यों में धांधली खत्म करने की तैयारी की जा रही है। इससे पहले जिला स्तर पर मनरेगा लोकपाल की भी तैनाती की गई है। जिला स्तर पर तैनात लोकपाल के माध्यम से भी मनरेगा के कई मामलों में गड़बडि़यां पाई गई हैं। इन्होंने भी रिपोर्ट बनाकर प्रदेश सरकार को भेजी थी। हालांकि लोकपाल स्तर से मनरेगा कार्यों में हुई धांधलियों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। आगामी प्रक्रिया के लिए प्रदेश सरकार को ही लिखा गया था।

मौके पर तैयार होगी रिपोर्ट

मनरेगा कार्यों का सोशल ऑडिट करने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। अगर पंचायत स्तर से कोई  गड़बड़ी हुई है, तो प्रतिनिधियों से रिकवरी तय है। मनरेगा मामले में गड़बड़ी को लेकर होने वाली ग्रामसभा में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका न के बराबर रहेगी। सभा में निर्णय जनता का ही होगा। मौके पर ही रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।

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