लालकिले से चुनावी संबोधन !

By: Aug 17th, 2017 12:05 am

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार लालकिले की प्राचीर से जो भाषण  दिया है, वह ऐतिहासिक नहीं, बल्कि चुनावी ज्यादा लगा। ऐसा महसूस हुआ कि उनकी निगाह 2019 पर टिकी रही, बेशक उन्होंने संकल्प का आह्वान 2022 तक के लिए किया। जिस तरह शौचालय के जरिए प्रधानमंत्री मोदी का सामाजिक संकल्प और सरोकार सामने आए, बलूचिस्तान के जरिए एक गंभीर कूटनीति खेली गई, करीब 18,000 अंधेरे गांवों में भी बिजली पहुंचाने का लक्ष्य और संकल्प तय किया गया, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की सोच को विस्तार देते हुए समाज और घर में बेटियों के महत्त्व का आह्वान किया, उस तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार कोई नई घोषणा नहीं की। ‘न्यू इंडिया’ का संकल्प भी नया नहीं है। उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा मुख्यालय 11, अशोक रोड में जो जश्न मनाया गया था और खासकर  प्रधानमंत्री का सम्मान किया गया था, उस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नए भारत’ और 2022 तक के संकल्प का मुद्दा उठाया था। फिर उसके बाद नौ अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को याद करने के मद्देनजर संसद के दोनों सदनों में विशेष चर्चा के दौरान भी प्रधानमंत्री ने संकल्प दोहराया था-करेंगे और करके रहेंगे। इन विमर्शों में संकल्प के साझा बिंदु थे-न्यू इंडिया सुरक्षित, शक्तिशाली और समृद्ध हो…हरेक को समान अवसर मिलें…आधुनिक विज्ञान और तकनीक से संपन्न हो…2022 का हिंदोस्तान भव्य और दिव्य हो, जो भ्रष्टाचार, जातिवाद, आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद और गंदगी से मुक्त हो…स्वस्थ, संपन्न और सशक्त देश हो। और यह संकल्प देश के 125 करोड़ लोगों को एक साथ लेना और पालन करना है। प्रधानमंत्री मोदी लालकिले से या तो प्रतीकात्मक तौर पर देश के नागरिकों को संकल्प की सौगंध दिलाते अथवा खुद उस ऐतिहासिक स्थल से शपथ लेते कि उनकी सरकार आज से ही 2022 के संकल्प पर काम शुरू कर देगी। 15 अगस्त, देश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पुराने आह्वानों को दोहराना बेमानी लगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी तीन साला सरकार के ब्यौरे गिनाए कि क्या काम किए जा चुके हैं और क्या शेष हैं। भ्रष्टाचार और काला धन के संदर्भ में उन्होंने गिनाया-देश के भीतर ही करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए का काला धन पकड़ा गया है। पौने दो लाख करोड़ शक के घेरे में है।  करीब तीन लाख करोड़ रुपए नोटबंदी के बाद से बैंकिंग सिस्टम में लौटा है। सरकार ने तीन लाख मुखौटा कंपनियां बंद करा दी हैं। पौने दो लाख के रजिस्टे्रशन रद्द किए गए हैं। एक ही पते पर 400 कंपनियां काम कर रही थीं। पहली बार देश में एक लाख लोगों ने तय तारीख तक आयकर रिटर्न भरी है। दरअसल ये आंकड़े लालकिले की प्राचीर से नहीं, किसी चुनावी मंच से गिनाए जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी देश को यह भरोसा  दिलाने में कामयाब रहे हैं कि भारत ‘भ्रष्टाचारमुक्त’ हो रहा है, देश उजाले की तरफ बढ़ रहा है, देश ईमानदारी के उत्सव मना रहा है और अब गरीबों को लूटकर तिजोरी भरने वाले आराम से सो नहीं पाएंगे। सरकार ने 800 करोड़ की बेनामी संपत्तियों को जब्त किया है, सैनिकों को समान पद, समान वेतन का वादा पूरा किया गया है, रेलवे पटरियां और सड़कें दोगुनी गति से बिछाई और बनाई जा रही हैं, करीब 14,000 गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है और लालकिले से किए गए वादे में से सिर्फ 4000 के करीब  गांव शेष हैं, जहां उजाले अभी उगने हैं। मुद्रा ऋण, किसान फसल बीमा योजना, उज्ज्वला गैस योजना, दाल उत्पादन आदि के आंकड़े गिनाना चुनावी ज्यादा लगता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2019 से पहले 99 योजनाओं को पूरा करना चाहते हैं। फिलहाल 21 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। करीब 50 योजनाएं आने वाले समय में पूरा हो जाएंगी। प्रधानमंत्री यह गिनाना नहीं भूले कि देश के 350-400 जिलों में डायलिसिस जैसी निःशुल्क सुविधा मुहैया कराई गई है। कमोबेश लालकिले से किसी भी प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय आह्वान इतने राजनीतिक नहीं रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर पर एक टिप्पणी जरूर ऐसी की है, जिसे उनकी रणनीति माना जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने, अंततः, कहा है-कश्मीर की समस्या न तो गोली से, न ही गाली से सुलझने वाली है।  कश्मीरियों को गले लगाकर ही यह समस्या सुलझ सकती है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट तौर पर यह भी कहा है कि आतंकियों से नरमी नहीं बरती जाएगी। मुट्ठी भर अलगाववादी पैंतरे रचते रहे हैं। कश्मीरी युवा देश की मुख्यधारा में आने को तैयार हैं। सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास को प्रतिबद्ध है। हम जम्मू-कश्मीर के सनातन ‘स्वर्ग’ को वापस लाने को कटिबद्ध हैं। यानी प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर के मोर्चे पर कुछ पहल करना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान और चीन का नाम तक नहीं लिया। कश्मीर  में अमन-चैन के मद्देनजर ये दोनों ही महत्त्वपूर्ण मुद्दे हैं। आज कश्मीर में उत्तेजना का माहौल है, क्योंकि अनुच्छेद-370 और 35-ए को समाप्त करने की बहस जारी है।

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