शिक्षा में जरूरी है परीक्षा

By: Aug 11th, 2017 12:02 am

(अनिल कुमार, कोटली, मंडी )

विद्यार्थी की योग्यता को मापने के लिए परीक्षा एक महत्त्वपूर्ण साधन है। परीक्षा द्वारा संबंधित विषय में विद्यार्थिओं की गुणवत्ता का काफी हद तक सही आकलन किया जा सकता है। परीक्षाओं की उपयोगिता और अनिवार्यता को लेकर देश में कई वर्षों से बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग परीक्षा को अनिवार्य मानते हैं, तो कुछ लोगों को परीक्षाओं से लाभ कम और हानि ज्यादा दिखती है। उनके अनुसार परीक्षाएं विद्यार्थियों पर अनावश्यक दबाव लाती हैं। विद्यार्थी विषय को समझने का प्रयत्न कम करते हैं। किसी तरह रटकर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना विद्यार्थियों का ध्येय बन जाता है। ऐसी अनेक बुराइयां गिनाई जाती हैं। परीक्षा प्रणाली में कुछ खामियां तो हैं, परंतु वे तो संसार की हर व्यवस्था में होती हैं। इसमें कई खूबियां भी तो हैं। परीक्षा का दबाव विद्यार्थियों को परिश्रम करने की प्रेरणा देता है। वे उस विषय पर समय देना शुरू करते हैं। अब जिस विषय को कोई विद्यार्थी बार-बार पढ़ेगा, उस विषय में उसका ज्ञान तो बढ़ेगा ही। पढ़ने की वजह चाहे कोई हो। इसके अलावा मेहनत किए हुए विद्यार्थी के लिए परीक्षा का परिणाम एक इनाम की तरह होता है। इन सब बातों के अलावा आज तक किसी ने परीक्षा का कोई दूसरा बेहतर विकल्प सुझाया नहीं है। लोग ग्रेडिंग सिस्टम की बात करते हैं जो विदेशों की नकल है। इसमें विद्यार्थी को पढ़ाने वाला शिक्षक ही उसका मूल्यांकन करेगा। यह तरीका बहुत ज्यादा दोषपूर्ण है और इसके दुरुपयोग की संभावना बहुत ज्यादा है। यह तो मानवीय स्वभाव है कि उसे कुछ ऐसा चाहिए जहां उसकी योग्यता दिखे, उस योग्यता को सराहा जाए, वहां वह अधिक कठोर परिश्रम करता है। परीक्षाएं विद्यार्थी की योग्यता, उसके परिश्रम को बताने वाले प्रमाण पत्र की तरह हैं।

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