शिमला में भारतीयता परोसता इंडियन कॉफी हाउस

By: Aug 20th, 2017 12:05 am

पूरे भारत में आप कहीं भी चले जाएं, पर यदि अकस्मात आपको इंडियन कॉफी हाउस शिमला के दीदार हो जाएं तो दक्षिण भारतीय व्यंजनों का आस्वादन किए बिना आप रह नहीं सकते। व्यंजनों का स्वाद तमाम बड़े होटलों व रेस्तराओं से कहीं बेहतर तथा दाम इस स्पर्धा के युग में भी अत्यंत कम। तुर्रा यह कि आप बैठे घंटों बतियाते रहें पर किसी भी कर्मचारी की भौंहें नहीं सिकुड़ती और न ही किसी वेटर के चेहरे पर शिकन आती है। किसी और जगह यदि आप ऐसा करें तो आप स्वयं ही असहज महसूस करना शुरू कर देते हैं। इंडियन कॉफी हाउस के व्यंजनों की एक और खासियत है। आप प्रदेश या देश के किसी भी इंडियन कॉफी हाउस में चले जाएं, आपको इडली, डोसा, सांभर, उत्तपम और कॉफी इत्यादि का स्वाद बिल्कुल एक जैसा मिलेगा। मानो एक ही रेसिपी पर हर जगह एक ही शेफ  या कुक कार्य कर रहा हो। यह ताज़्जुब की बात तो है, पर है सौ फीसदी सच। शिमला के मालरोड के मुहाने पर ही इंडियन कॉफी हाउस दिख जाता है। अंदर तुरले वाले वेटर, सफेद क्राकरी और दशकों पुराना धरोहर फर्नीचर आपका स्वागत करता है। काले कोट-पैंट व टाई पहने न्यायालय संबंधी मामलों पर तबादला-ए-ख्याल करते जहां एक ओर नामी वकील साहिबान नज़र आ जाते हैं तो वहीं दूसरी ओर राजनीति, समाज, धर्म, मौसम और अंतरराष्ट्रीय समसामयिक घटनाओं पर चर्चा करते बुद्धिजीवी पहली नज़र में ही पहचाने जाते हैं। कॉफी की चुस्कियां तो वैसे भी दिमाग को विचारों को नया जामा पहनाने के लिए विवश कर देती हैं। यह कॉफी हाउस न जाने कितनी महान हस्तियों की चर्चाओं, परिचर्चाओं और योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की गतिविधियों का गवाह रहा है। दरवाज़े के पास के काउंटर पर उपस्थित मैनेजर सलीके से सभी टेबलों पर नज़र रखे रहता है। देरी को भांपते ही उसके हाथ या आंख का एक हल्का इशारा ही वेटर को मुस्तैद कर देता है। विदेशी पर्यटकों का इक्का-दुक्का समूह भी कभी-कभी कॉफी पीते या दक्षिण भारतीय व्यंजनों का स्वाद लेते नज़र आ जाता है। सर्द मौसम में दक्षिण भारतीय मसालों की महक भरे वातावरण में वे भी विस्मृत हो जाते हैं। नए ब्याहे जोड़े और ‘प्रेम-पखेरू युगल’ भी हाथों में हाथ डाले, आंखों में आंख डाले, खोये खोये नज़र आते हैं, मानो उनके लिए समय थम सा गया हो। रोचक बात तो यह है कि वे जितनी ज़्यादा सावधानी बरतते हैं, उतनी ही जल्दी लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। हमउम्र बुज़ुर्गों के समूह भी अकसर अपनी-अपनी छत्रियों के साथ बैठे पुराने दिन और पुरानी यादें ताज़ा करते नज़र आ जाते हैं। कभी कोई युवा उनसे पुराने शिमला की बात छेड़ दे तो उनकी आंखों की चमक देखते ही बनती है। शिमला के इंडियन कॉफी हाउस के वेटर की भी अपनी खासियत है। वह दुबला-पतला वेटर अपनी मुस्तैदी और सदाबहार मुस्कान की वजह से सदैव ही लोगों की नज़रों में रहता है। उसकी शारीरिक भाषा, कर्मठता व गति किसी को भी कायल कर देती है। आठ-दस कॉफी के भरे मग व तश्तरियां एल्युमीनियम की ट्रे में लेकर जब वह तीव्र गति से दस-पंद्रह मीटर का फासला तय करता है तो देखने वालों की सांसें अटक जाती हैं, किंतु वह बड़ी ही सफाई से कॉफी का एक भी कतरा गिराए बिना कॉफी सर्व कर देता है। टिप मिलने की स्थिति में उसकी चिरपरिचित मुस्कान व धन्यवाद कहने का लहजा उसके साथ आपका एक आत्मीय संबंध स्थापित कर देता है। कभी-कभी लगता है विदेशी कंपनियों ने ज़बरदस्त मार्केटिंग और प्रचार के ज़रिए हमें अपने खान-पान की आदत डाल दी है। कहीं मैकडोनाल्ड है तो कहीं केएफसी। कहीं पिज्ज़ा है तो कहीं बर्गर। पौष्टिकता और सेहत का मसला नदारद है। और जो पोषण की दृष्टि से श्रेष्ठ भारतीय व्यंजन है वो मार्केटिंग और प्रचार न होने के कारण अपनी दुनिया तक सीमित है। इंडियन कॉफी हाउस की भी यही त्रासदी है। फिर भी इन सबके बीच इंडियन कॉफी हाउस अपनी गरिमा और महक बरकरार रखे हुए है जो काबिले-तारीफ है। इंडियन कॉफी हाउस में प्रवेश करते ही जो महक आती है और गरम भाप छोड़ते हुए गर्मागर्म व्यंजनों का जो नज़ारा सामने आता है तो मन में केवल ‘टूट पड़ो’ का ही भाव आता है। भले ही इंडियन कॉफी हाउस के व्यंजन दक्षिण भारतीय हों लेकिन इसके ग्राहक भारत के हर प्रांत व इलाके से संबंध रखते हैं। यह वास्तव में विविधता में एकता का ही नहीं अपितु सहकारिता आंदोलन का भी महकता उदाहरण है। यह कॉफी हाउस वास्तव में भारतीय है, इंडियन है।

-विजय कुमार, एचएएस

भू-अर्जन अधिकारी, चमेरा परियोजना जिला चंबा, हिमाचल प्रदेश

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं ? भारत मैट्रीमोनी में निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App