सर्पदंश से मुक्ति दिलाते गुग्गा जाहरपीर

By: Aug 12th, 2017 12:08 am

aasthaगुग्गा जी महाराज राजस्थान के लोक प्रिय देवता हैं। उन्हें जाहरपीर के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले का गोगामेड़ी शहर है। यहां भादों शुक्लपक्ष की नवमीं को गोगाजी का मेला लगता है। इन्हें सभी धर्मों के लोग पूजते हैं। वीर गुग्गा जी गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य थे। उनका  जन्म विक्रम संवत् 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। सिद्ध वीर गुग्गा देव का जन्म स्थान, जो दत्तखेड़ा ददरेवा राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है, जहां पर सभी धर्मों के लोग माथा टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं।  मुस्लिम समाज के लोग जाहरपीर के नाम से पुकारते हैं तथा उक्त स्थान पर मन्नत मांगने और माथा टेकने आते हैं। यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है। मध्यकालीन महापुरुष गुग्गा जी जाहरपीर हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी संप्रदायों के लोक प्रिय देवता हैं। गुग्गा जाहरपीर का जन्म राजस्थान के ददरेवा चुरू शासक जेवरसिंह चौहान वंश के राजपूत की पत्नी बाछल की कोख से गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से भादों शुक्ल नवमी को हुआ था। राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर राजा थे। (हरियाणा) सें हांसी, सतलुज राज्य गुग्गा का था। जयपुर से लगभग 250 किमी. दूर गुग्गा देवजी का जन्म स्थान पास के सादलपुर, दत्तखेड़ा (ददरेवा) में है। गुग्गा देव जी के घोड़े का आज भी अस्तबल है और सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद भी उनके घोड़े की रकाब आज भी वहीं पर ज्यों का त्यों है। जन्म स्थान पर गुरु गोरखनाथ का आश्रम भी है और वहीं पर गुग्गा देव की घोड़े पर सवार मूर्ति भी स्थापित है। आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गुग्गा जी की पूजा की जाती है। हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गुग्गा जी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित गुग्गा जी का समाधि स्थल जन्म स्थान से लगभग 80 किमी. की दूरी पर है। जहां एक हिंदू व एक मुस्लिम पुजारी सेवा में लगे रहते हैं। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से लेकर भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक गुग्गा  जी की समाधि तथा गुग्गापीर व जाहरपीर के जयकारों के साथ गुरु गोरक्षनाथ के प्रति भक्ति की धारा बहती है। केवल सावन और भादों के महीने में छड़ी निकाली जाती है और छड़ी की नगर में फेरी लगाई जाती है। इससे नगर में रोग बाधाएं नहीं होती हैं। जाहरपीर के भक्त दाहिने कंधे पर छड़ी रखकर फेरी लगवाते है। छड़ी को अकसर लाल अथवा भगवे रंग के वस्त्र पर रखा जाता है।  हिमाचल प्रदेश में भी जगह-जगह गुग्गा जी जाहरपीर के मंदिर हैं और लोगों की अटूट आस्था है।

7 अगस्त से 16 अगस्त तक गोगा जी का नंगे पांव घर- घर प्रचार

सात अगस्त से गुग्गा जाहर पीर जी का घर-घर जाकर प्रचार किया जा रहा है। 16 अगस्त गुग्गा नवमी को यह यात्रा खत्म होगी। गुग्गा जाहरपीर जी के नाम का छतर उठाकर उनके नाम का घर-घर जाकर प्रचार किया जाता है। लोग काफी आस्था से भजन सुनते हैं एवं जाहरपीर गोगा जी के नाम पर दान देते हैं।

— एके कालिया, दौलतपुर चौक

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