हिमाचली पुरुषार्थ : सत्य प्रकाश ने 12 रुपए से करोड़ों का बनाया भुट्टिको

By: Aug 23rd, 2017 12:07 am

1971 में भुट्टिको की आत्मा ठाकुर वेद राम का निधन हो गया। उसके बाद भुट्टिको सोसायटी की बागडोर मात्र 23 वर्ष की उम्र में ठाकुर सत्य प्रकाश के हाथों में आ गई। उस समय भुट्टिको का कारोबार 14 करोड़ रुपए  के आसपास पहुंच चुका था…

सत्य प्रकाश ने 12 रुपए से करोड़ों का बनाया भुट्टिकोअंग्रेजों के समय में वर्ष 1944 में मात्र 12 रुपए से शुरू हुई भुट्टिको ने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना ली है। वर्ष 1944 में भुट्टिको का सफर मात्र 12 रुपए से शुरू हुआ। उस समय भुट्टिको के 12 ही मेंबर थे तथा सभी शेयर होल्डर थे। उस समय भुट्टिको की कार्यशैली पूंजी मात्र 23 रुपए थी। 1944 से 1956 तक बहुत कम भुट्टिको की प्रगति हुई तथा सोसायटी को बंद करने तक की भी नौबत थी। उसके बाद 1956 में भुट्टिको की आत्मा कहलाए जाने वाले ठाकुर वेद राम ने मात्र 35 वर्ष की उम्र में भुट्टिको सोसायटी की बागडोर अपने हाथों में ली। ठाकुर वेद राम ने अपने कुशल नेतृत्व में कुल्लू के अधिकतर लोगों को खड्डियों पर ही रोजगार मुहैया करवाए। उस समय के को-आपरेटिव सोसायटियों के इंस्पेक्टर सरदार गुरचरण सिंह ने भुट्टिको को सहकारिता के क्षेत्र से जोड़ा। ठाकुर वेद राम ने अपना एक लक्ष्य रखा कि कुल्लू शॉल के हुनर को आगे ले जाना है तथा सोसायटी को नो-प्रोफिट, नो-लोस के आधार पर भी चलाया। वर्ष 1960 में भुट्टिको के 70 क्वार्टर बुनकरों के बनकर तैयार हुए। कारीगरों के बुनने के लिए शैड बनाए गए। 1971 में भुट्टिको की आत्मा ठाकुर वेद राम का निधन हो गया। उसके बाद भुट्टिको सोसायटी की बागडोर मात्र 23 वर्ष की उम्र में ठाकुर सत्य प्रकाश के हाथों में आ गई। उस समय भुट्टिको का कारोबार 14 करोड़ रुपए के आसपास पहुंच चुका था। आज हिमाचल और अन्य प्रदेशों में भुट्टिको के 33 शोरूम चल रहे हैं। किन्नौर में भी जल्द ही अब भुट्टिको का एक शोरूम खुलने जा रहा है। इसके साथ ही बुनकरों के लिए यह भी स्वर्णिम पल रहेगा जब भुट्टिको जल्द ही स्विट्जरलैंड में भी अपना शोरूम खोल देगी। भुट्टिको के अब 473 सदस्य हैं। वहीं भुट्टिको के इस समय 92 लाख 40 हजार 384 रुपए के शेयर भी हैं। भुट्टिको का नेट प्रोफिट 83 लाख 33 हजार 960 रुपए तक पहुंच गया है। हालांकि यह 2014-15 के मुकाबले थोड़ा कम है। जिस तरह से अब फैशन का युग चला हुआ है, तो इसको देखते हुए भुट्टिको ने फैशन वाले सूट भी डिजाइन करने शुरू कर दिए हैं। इतना ही नहीं, भुट्टिको की ओर से लेडीज डिजाइनर पर्स भी तैयार किए जा रहे हैं। वर्ष 1993-94 में भुट्टिको को भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार स्वर्ण से सम्मानित किया गया। उसके बाद वर्ष 2005 में भुट्टिको को सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिए पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री से उद्योग रत्न के पुरस्कार से नवाजा गया। वर्ष 2008-09 में को-ऑपरेटिव उत्तमता अवार्ड से भारत के कृषि मत्री ने भुट्टिको को सम्मानित किया। इनामों के मिलने का सिलसिला भुट्टिको को वर्ष 1965 से ही शुरू हो गया था। उस समय पंजाब सरकार द्वारा भुट्टिको को पंजाब इंडस्ट्रियल अवार्ड से नवाजा गया। सत्य प्रकाश ठाकुर ने बताया जब उन्होंने भुट्टिको की बागडोर अपने हाथों में ली, तो एक ही निर्णय लिया कि क्वालिटी से किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं होगा। भुट्टिको देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में अपने शोरूम खोलकर बुनकरों की किस्मत को चमकाने का प्रयास कर रही है।

-संदीप शर्मा, कुल्लू

जब रू-ब-रू हुए…

वेद रामा ठाकरा कुल्लू दिनी शॉला निशानी ओ…

भट्टिको के सफर को आप कैसे देखते हैं?

भुट्टिको का अब तक सफर काफी रोमांच से भरा रहा है। मात्र 12 रुपए से जब यह सोसायटी शुरू हुई थी तो मात्र कुल्लू शॉल को पहचान व रोजगार मुहैया करवाना था। आज खुशी होती है कि भुट्टिको अब तक अपने सफर में कामयाब हुई है।

सहकारिता क्षेत्र अमूमन दिखावटी ज्यादा रहा है, तो आप इसके जरिए एक ब्रांड कैसे स्थापित कर पाए?

भुट्टिको ने कभी भी क्वालिटी से समझौता नहीं किया। सहकारिता के मूल सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए भुट्टिको आगे बढ़ी है। यही कारण है कि आज भुट्टिको कुल्लू शॉल का एक अच्छा ब्रांड स्थापित कर पाई।

कुल्लू शाल की तरह हिमाचल के ऐसे कौन से उत्पाद हैं, जो सहकारिता के माध्यम से प्रदेश के ब्रांड एंबेसेडर बन सकते हैं?

कुल्लू शॉल की तरह हिमाचल में कई ऐसी वस्तुएं हैं जोकि ब्रांड बनने से पहले ही दफन हो गइर्ं। हिमाचल में कई ऐसी बेशकीमती जड़ी-बूटियां हैं जोकि एक ब्रांड के तौर पर स्थापित हो सकती थी। कांगड़ा की चाय, चंबा का रूमाल और चंबा की चप्पल को भी उतनी तवज्जो नहीं मिल पाई है, जो मिलनी चाहिए थी। इन पर अगर सरकार एक गहन शोध करे तो हिमाचल में अन्य कई ब्रांड स्थापित हो सकते है।

कुल्लू शाल-टोपी और मफलर से कहीं आगे भुट्टिको हिमाचली फैशन की प्रतीक बन रही है, तो भविष्य में आपकी सबसे बड़ी कल्पना क्या है?

बदलते परिवेश के चलते भुट्टिको भी अपने आप को हाईटेक कर रही है, लेकिन क्वालिटी से किसी तरह का कोई समझौता नहीं होगा। अपनी परंपरा को ही भुट्टिको आगे लेकर जाएगी। कुल्लवी परंपरा से भुट्टिको की पहचान हुई है इसे ही आगे लेकर चलेंगे।

कुल्लू में बुनकर समुदाय को आपने तो संरक्षण दिया, लेकिन पूरे हिमाचल में यह कुनबा बिखर रहा है। होना क्या चाहिए?

अगर अच्छी सोच का नेतृत्व हो तो फिर आसानी से आगे बढ़ा जा सकता है। भुट्टिको भी इसी तरह से ही आगे बढ़ी है। हमें संस्था के उद्देश्य व सिद्धांतों को समझना होगा।

हिमाचल में ग्रामोद्योग व पारंपारिक दस्तकारी को संरक्षण तथा आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या करना होगा?

सरकार की कई तरह की प्रोत्साहन नीतियां चली हुई हैं। इससे अधिकतर बुनकर आत्मनिर्भर बनने में कामयाब भी हुए है। वहींए विभाग को भी यह चैक करना चाहिए कि बुनकर उनकी नीतियों का सही इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं।

पावरलूम से टक्कर लेते भुट्टिको के सामने सबसे बड़ी चुनौती व समाधान क्या है?

पिछले 35 वर्षों से भुट्टिको के लिए पावरलूम एक चुनौती बनी हुई है, लेकिन खुशी की बात यह कि भुट्टिको पर ग्राहकों का पूरी तरह से विश्वास बना हुआ है।

अब तक के सफर में सबसे अधिक गौरवान्वित होने का मौका कब आया?

साल- दर- साल जिस तरह से भुट्टिको के ग्राहकों की संख्या और विश्वास बढ़ रहा है उससे भुट्टिको का हर साल ही गौरवान्तिव है।

हिमाचली उत्पादों के संरक्षण में सबसे बड़ी अड़चन और सबसे सरल उपाय, ताकि मेहनतकश समुदाय जिंदा रहे?

हिमाचली उत्पादों के संरक्षण के लिए सबसे बड़ी चुनौती मशीनी युग ही है। वहीं कई स्थानीय उद्यमी भी इस लपेटे में आ गए  हैं। सरकार को इन पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाने चाहिए।

उत्पादों में गुणवत्ता कायम रखने में क्या व्यवस्था तथा भविष्य में भुट्टिको के शोरूम से हमें और क्या-क्या मिलेगा?

भुट्टिको ने गुणवत्ता से कभी कोई समझौता नहीं किया यही कारण है कि भुट्टिको आज के एक ब्रांड के तौर पर उभर कर सामने आई है। फैशन के तौर पर भुट्टिको आगे बढ़ रही है। महिलाओं के उत्पाद भुट्टिको में जैसे लेडिज पर्स व सूट आदि ज्यादा मिलते हैं, तो आने वाले समय में भुट्टिको के शोरूमों में ऐसी वस्तुओं को इजाफा होगा जिसकी मार्केट में डिमांड होगी।

देश के प्रधानमंत्री से अगर आपने अपने मन की बात करनी हो, तो कौन सा विषय उठाएंगे?

अगर देश के प्रधानमंत्री से मन की बात करने का मौका मिले तो मैं तो यही कहूंगा जिस तरह से खादी पर केंद्र सरकार ने फोक्स किया है हथकरघा के उत्पादों पर भी उसी तरह से फोक्स कर बुनकरों का हौसला बढ़ाया जाना चाहिए।

आपकी नजर में आदर्श हिमाचल का मॉडल क्या होना चाहिए?

हिमाचल प्रदेश के लोग काफी विकट भौगोलिक परिस्थितियों में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। यहां पर जो मौजूदा साधन हैं, उनका सही ढंग से दोहन होना चाहिए।

भुट्टिको से हट कर आपके लिए समाज और राष्ट्र का दर्शन क्या है?

भुट्टिको ने कई सामाजिक सेवाएं भी शुरू की है। हर साल भुट्टिको समाज में बेहतर कार्य करने वालों को सम्मानित भी करती है।

कोई कुल्लवी नाटी, जो आपकी संवेदना के मर्म को छूती हो?

वेद रामा ठाकरा कुल्लू दिनी शॉला निशानी ओ… यह नाटी भुट्टिको की आत्मा ठाकुर वेद राम के नाम पर बनी हुई है तथा अधिकतर कुल्लू की नाटियों में इसका जिक्र भी होता है।

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