हिमाचली लोक गीतों की संजीवनी वर्षा

By: Aug 27th, 2017 12:12 am

वर्षाहिमाचली पहाड़ी संस्कृति को अपनी आवाज से संजोकर नई पीढ़ी तक पंहुचाने का कार्य वर्षा कटोच ने किया है। वर्षा कटोच ने अपनी सुरीली आवाज के जादू से प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वर्षा कटोच को वर्षा नहीं हिमाचल की कोकिला के नाम से पुकारा जाता है। वर्षा ने हिमाचली लोक गीतों को जीवंत करके प्रदेश सहित आसपास के राज्यों के दिलों में बसाया है। वर्षा टी-सीरीज में काम करने वाली जिला कांगड़ा की पहली महिला रहीं। इतना ही नहीं आकाशवाणी धर्मशाला-शिमला की भी आवाज वर्षा कटोच बनी रही हैं। धौलाधार की वादियों की तलहटी में बसे घरोह लाजणी के ई-स्टेट में माता गौतमा देवी और पिता स्वर्गीय नरेश चंद कटोच के घर हिमाचल की कोकिला कहे जाने वाली वर्षा कटोच ने छह फरवरी, 1972 कोे जन्म लिया।

चार बहनें और एक भाई होने के बावजूद वर्षा कटोच ने एमए हिंदी तक अध्ययन किया। प्रारंभिक शिक्षा लाजणी, कल्याड़ा और चड़ी से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पीजी कालेज धर्मशाला से बीए और एमए का अध्ययन किया। साथ ही जम्मू-कश्मीर से बीएड काअध्ययन भी पूरा किया। वर्षा  ने बचपन में ही अपने दादा स्वर्गीय पूर्व चंद कटोच, माता गौतमा देवी, लोक गायक नसीम वाला और बिमला देवी से प्रेरित होकर संगीत की दुनिया में अपने कदम रखे। चौथी कक्षा में पढ़ाई करते हुए पहली बार टेबल के छोटे से मंच में खड़े होकर लौंगे गवाई आई धारा गीत की अपनी पहली प्रस्तुति दी। इसके बाद वर्षा हिमाचली लोक गीतों की संस्कृति को संजोकर लगातार आगे बढ़ती गईं।

नौवीं कक्षा में दूरदर्शन में प्रसारित होने वाले देश प्रेम के लिए गाना गाया। जालंधर टीवी के माध्यम से हिमाचली संस्कृति के कार्यक्रमों, गीतों और पहाड़ी-गद्दी नृत्य और नाटकों में काम किया। 1992 में बीए प्रथम वर्ष में अध्ययन करते हुए डा. प्रत्युष गुलेरी से प्रेरित होकर उन्होंने संगीत की दुनिया में पूरी तरह से अपना कदम रखा। 1992 में कैसेट में उन्होंने कांगड़ें दे ब्याह गीत गाए। इसके बाद उन्होंने धोवण पानी जो चलिए सहित सेंकड़ों गीतों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उन्होंने टी-सीरीज के विवाह गीत, विदाई गीत, मुंडन, भजन सहित लोक गीतों को नया जीवन दिया। अपनी आवाज से अलग पहचान बनाने पर ही वर्षा कटोच को हिमाचली कोकिला के खिताब से नवाजा गया।

इसके अलावा वर्षा ने 1993 से ही रेडियो में अपनी कला के बलबूते पहचान बनाई। जिसके बाद वर्ष 2001 से 2016 तक वर्षा कटोच रेडियो की हर कान को सुनाई देने वाली चंचल आवाज बनी रही। रेडियो में युग मंच, किसान वाणी, संगीत और अनांउसर के रूप में हर कार्यक्रम की आवाज बनी। इसके अलावा वर्षा साक्षरता मिशन के फांउडर मेंबर, हिमाचल ज्ञान- विज्ञान समिति सहित स्कूलों में बच्चों को हिमाचली फोक सिखाने के कार्य में भी लगातार जुड़ी रही हैं। वर्तमान समय में हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों को स्वरोजगार के लिए तैयार कर सशक्त होने का पाठ पढ़ा रही हैं। वर्षा कटोच मिड हिमालयन प्रोजेक्ट में बतौर पसटिलैटर के रूप में सेवाएं दे रही हैं।

नरेन कुमार, धर्मशाला

मुलाकात

हिमाचली लोक संस्कृति में आलौकिक शक्ति…

newsआपके जीवन में संगीत के क्या मायने हैं?

संगीत मेरे लिए सांस लेने के बराबर है। मेरे जीवन में अंदर से मजबूती संगीत से ही आती है।

कब मालूम हुआ कि जिंदगी संगीत है?

बस जब से होश संभाला है, जिंदगी संगीत से ही चल रही है।

जिस पहाड़ी गीत ने वर्षा कटोच को सही मायने में पहचान दी?

काला घगरा सियाइके, धोवण पाणीए जो चली है, ने रातोंरात पहचान दिला दी।

वह मंच, जो मंजिल बन गया?

हिमाचली लोक संस्कृति में इतनी आलौकिक शक्ति है, कि खुद-ब- खुद गायिका बन गई।

वे राहें, जिन्हें चुनकर लोकगीतों के साथ आगे चलीं?

हिमाचल की लोक विरासत और आलौकिक संस्कृति की राह से ही लोकगीतों का साथ लेकर आगे बढ़ी।

आपको दुनिया पसंद करती है, लेकिन आप किस लोक गायक या गायिका को पसंद करती हैं?

ठंडी-ठंडी हवा चलदी, झुल्दे चीड़ा रे डालू फेम प्रताप चंद शर्मा।

लोकगीतों में हो रहे मिश्रण को कैसे देखती हैं?

डिजिटल प्रस्तुतिकरण का दौर बढ़ा है, गायक को अब गाने को प्रोडक्ट बनाकर तैयार करना पड़ता है।

लोकगायन कितना सरल या कठिन और कितनी साधना की जरूरत है?

हिमाचल के कलाकारों में काफी अधिक प्रतिभा है। लोकगायन एक सरल प्रक्रिया है, अगर कलाकार अपनी संस्कृति की समझ रखता है। बिना समझ के लोक गायन कठिन भी हो सकता है। ऐसे में सही दिशा और मार्गदर्शन से अच्छा कार्य किया जा सकता है।

इस क्षेत्र में आपका गुरु कौन या नए गायकों में आप किसे टिप्स देना पसंद करती हैं?

मेरी माता गौतमा देवी और नए लोक गायकों में सीखने की इच्छा रखने वाले हर व्यक्ति को टिप्स देना पंसद करती हूं।

हिमाचली गायकों को जनता और सरकार से क्या उम्मीद रहती है?

हिमाचली गायकों को जनता से अपनी लोक संस्कृति के गीतों को पंसद करने और उन्हें मान-सम्मान देने की उम्मीद रहती है। सरकार भी कलाकारों के साथ कहीं भी नजर नहीं आती है।

कलाकार की दृष्टि से हिमाचल की नीति क्या होनी चाहिए और शिक्षा में संगीत को आप कैसे उज्ज्वल होते देखती हैं?

हिमाचल को अपनी लोक संगीत की इंडस्ट्री को फिर से जीवित करना होगा। कलाकारों को सही मंच प्रदान कर सही मान-सम्मान प्रदान करना चाहिए। शिक्षा में संगीत को शुरुआती दौर में ही विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।

पहाड़ी लेखन से गीतों में क्या कोई परिवर्तन आ रहा है या साहित्यकार नजदीक खड़ा होता है?

पहाड़ी लेखन से गीतों में परितर्वन आने के साथ-साथ सुधार और कुछ खामियां भी देखने को मिल रही हैं। लोक संस्कृति का मूल पुट कई गीतों से गायब होता हुआ दिख रहा है। कई साहित्यकार लोक गीतों को लेकर अच्छा प्रयास कर रहे हैं, जिनके प्रयासों से ही आगामी पीढ़ी तक संस्कृति पहुंच रही है।

संगीत की दुनिया में वर्षा कटोच का अपने लिए सपना और हिमाचल में लोक संगीत का भविष्य क्या है?

गीत-संगीत के माध्ययम से हिमाचली फोक को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना। साथ ही प्रदेश के बच्चों को फोक और संगीत के लिए प्रेरित करना ही लक्ष्य है।  हिमाचल अंधकार में है, इसे उज्ज्वल बनाने के लिए लोक कलाकारों, इंडस्ट्री, आम लोगों और सरकारों को एक साथ मिलकर कार्य करना होगा।

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