70 साल का सार्थक सफरनामा

By: Aug 16th, 2017 12:02 am

आज 15 अगस्त है। देश की आजादी का दिन और गुजरता एक और साल…! आजादी के लंबे 70 साल…! हमारी प्रगतियों और उपलब्धियों के साल…! सबसे पहले याद करें उन अनाम, असंख्य कुर्बानियों को, जिनकी बदौलत आज हम स्वतंत्र हैं, एक गणतांत्रिक और संप्रभु राष्ट्र हैं। वे कुर्बानियां निस्वार्थ थीं, अलक्षित थीं, अज्ञात थीं, लेकिन जज्बा था देश को आजाद कराने  और देखने का। हम उन बलिदानों और जज्बों की निष्कर्ष-पीढि़यां हैं, लिहाजा गंभीर और गुरुतर दायित्व हम पर भी हैं। इस आजादी को न केवल सुरक्षित रखना है, बल्कि जहरीले दुश्मनों का सफाया भी करना है। यह भी याद रखें कि गुलाम भारत वाकई एक गरीब, दास मुल्क था। एक सूई तक के लिए हम मोहताज थे, बेशक हम 7000 साल पुरानी सभ्यता और संस्कृति थे, लेकिन लुटेरे, हमलावर, सामंत हमें लगातार लूट रहे थे। अफगान, हूण, यमन, मुगल से लेकर ब्रिटिश राज तक हमें लूटा ही जाता रहा, लेकिन सिर्फ 70 साल के सफरनामे में ही हम न केवल परमाणु संपन्न मिसाइलों के निर्माण में अव्वल बन गए हैं, बल्कि विमान, पनडुब्बी और युद्धपोत बनाने में भी सक्षम हो गए हैं। भारत पूरी तरह परमाणु शक्ति वाला राष्ट्र है। आज दुनिया के बड़े देश-अमरीका, रूस, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए हमारी लगातार पैरवी कर रहे हैं। यदि चीन रोड़ा न अटकाता, तो हम परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के सदस्य कब के बन चुके होते! अमरीका, फ्रांस, जर्मनी सरीखे देशों के साथ हमारे परमाणु करार भी हैं। यह हमारी विश्वसनीयता, ईमानदारी और प्रतिबद्धता ही है कि बड़े देश हमारे साथ परमाणु करार करते नहीं हिचकते और हमें यूरेनियम जैसा परमाणु ईंधन भी सप्लाई करते हैं। वे देश जानते हैं कि हम परमाणु कार्यक्रमों का दुरुपयोग नहीं करेंगे। बहरहाल दुनिया की निगाहें आज हम पर हैं। जो आकलन करते थे कि आजादी के बाद भारत बिखर कर रह जाएगा, वे बिलकुल गलत साबित हुए हैं। आज हम दुनिया की सबसे तेज उभरती आर्थिक शक्तियों में एक हैं। हम दुनिया के सबसे विराट बाजारों में से एक हैं। लंबे 70 सालों के सफरनामे में हमने इतना कुछ हासिल किया है, क्या यह हमारी दुर्लभ उपलब्धि नहीं है? बेशक इस उपलब्धि के बावजूद देश  के करीब 30 करोड़ नागरिक आज भी गरीबी रेखा के तले जीने को विवश हैं या 30 रुपए हर रोज की आमदनी अर्जित करना भी उनके लिए असंभव सा कार्य है। लेकिन हम इस दारुण स्थिति से लगातार उबर रहे हैं। यूं तो आज भी हमारी आधी से अधिक आबादी को खुले में शौच जाना पड़ता है, लेकिन घर-घर, आंगन-आंगन, स्कूल-स्कूल शौचालय बनाने का अभियान जिस गति से जारी है, राष्ट्रपिता गांधी की 150वीं जयंती से पहले ही वह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। आज भारत की औसत साक्षरता दर करीब 75 फीसदी है और 70-75 साल की उम्र तक औसतन जीवन हो गया है। स्वास्थ्य का अनुपात बढ़ा है, हालांकि अब भी कुपोषण की स्थितियां हैं। शिशुओं और माताओं में मृत्यु दर भी चौंकाने वाली है, लेकिन अब भारत में प्लेग, पोलियो, टीबी जैसी भयंकर बीमारियां या तो खत्म हो चुकी हैं अथवा उनका पर्याप्त उपचार हमने खोज निकाला है। भारत सरकार ने देश भर में टीकाकरण अभियान छेड़ रखा है। मातृत्व को भी सुरक्षित बनाने के प्रयास जारी हैं। आज औद्योगीकरण, कम्प्यूटरीकरण, डिजिटलीकरण आदि विश्व स्तर के हैं। हम दुनिया को सर्वश्रेष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर मुहैया करा रहे हैं। यही कारण है कि हमारी अर्थव्यवस्था की औसत बढ़ोतरी दर सात फीसदी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नए भारत’ का जो संकल्प दिया है, उसमें भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद, इलाकावाद, जातिवाद, सांप्रदायिकता और गंदगी से मुक्त माहौल की कल्पना की गई है। यदि इस संदर्भ में हम कामयाब होते हैं, तो 70 सालों का यह सफरनामा सार्थक साबित होता लगेगा। यह कोई अकेली सरकार या पार्टी हासिल नहीं कर सकती। बदलाव देश के 130 करोड़ लोगों के स्तर पर ही संभव है। लिहाजा आज के ऐतिहासिक और पवित्र दिवस पर प्रत्येक नागरिक को अपने भीतर संकल्प धारण करना होगा। नतीजतन अगले दो सालों के  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत की तस्वीर बदली हुई सामने होगी।

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