सोच में पसरा भ्रष्टाचार

By: Sep 14th, 2017 12:05 am

( रूप सिंह नेगी, सोलन )

आज देश का हर नेता, चाहे वह सत्ता में हो या विपक्ष में, देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की बात करता है। लेकिन कितनी विरोधाभासी स्थिति है कि जनता के लिए कानून बनाने वाले हमारे कई जनप्रतिनिधि खुद ही इस दलदल में फंसे हैं।  अभी हाल ही में एक संगठन ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि 26 लोकसभा सांसद, 257 विधायक और 11 राज्यसभा सांसदों के पूर्व और वर्तमान चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्तियों बारे दी गई जानकारी में बहुत अंतर है। इन सभी की संपत्तियों में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है। बहरहाल यह याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। सरकार से अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह सभी सांसदों, विधायकों, नौकरशाहों, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और कारपोरेटस की संपत्तियों की भी छानबीन कर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करे। भ्रष्टाचार की जड़ें कहीं न कहीं हमारी सोच के साथ जुड़ी हुई हैं। लिहाजा जब तक कदाचार में उलझे लोग मन, विचारों और कर्मों में स्वच्छता को नहीं अपनाते, तब तक देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने की सोच बेमानी ही होगी। यदि हमने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना है, तो सबसे पहले राजनीति से जुड़े लोगों को हर प्रकार से स्वच्छ बनने की जरूरत है। इन्हें अपना जीवन उच्च आदर्शों के अनुरूप जीते हुए खुद एक उदाहरण बनकर जनता का मार्ग दर्शन करने के लिए आगे आना होगा।

 


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