उपेक्षित आउटसोर्स कर्मी
(गुरमीत राणा, खुंडियां, कांगड़ा )
वीरभद्र सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान समाज के हर वर्ग को खुश करने की पुरजोर कोशिश की। इस बीच समाज का एक कर्मचारी वर्ग थोड़ा निराश रह गया और वह है आउटसोर्स कर्मचारी। इन कर्मचारियों को कई विभागों में तो आठ घंटे से ऊपर भी काम करना पड़ता है, जिसे ये पूरी निष्ठा से अंजाम देते हैं। यही कारण है कि विद्युत बोर्ड जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग आज इन्हीं कर्मियों की बदौलत फल-फूल रहे हैं। कैबिनेट की हुई हर मीटिंग के बाद ये कर्मचारी अगली सुबह फटी आंखों से अखबारों को टटोलते हैं, परंतु पालिसी न बनने पर निराश हो जाते हैं। इन विभागों में इतने जोखिम भरे कार्य हैं कि कभी-कभी तो व्यक्ति अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठता है। पालिसी न होने के कारण उसके परिवार का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। अतः वीरभद्र सरकार से निवेदन है कि इस अति महत्त्वपूर्ण विभाग के कर्मचारियों के बारे में विचार करे और इनके लिए कोई उचित नीति बनाएं, ताकि सेवाएं देते वक्त इस वर्ग का मनोबल कमजोर न पड़े।
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