करियर की जमीन तलाशता भू गर्भ विज्ञान

By: Sep 13th, 2017 12:11 am

cereerअगर आपको पृथ्वी के रहस्यों को जानने की उत्सुकता है और आप उससे जुड़े क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो भू-गर्भ विज्ञान आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। संभावनाओं के लिहाज से देखें तो इस क्षेत्र में अवसरों की कमी नहीं है। धरती की गहराइयों का अध्ययन जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। वह अपने अंदर रहस्यों का पहाड़ छिपाए हुए है…

क्या आप भी यह जानने के लिए आतुर रहते हैं कि पर्वतों का निर्माण कैसे होता है या ज्वालामुखी क्यों फटते हैं अथवा डायनासोर क्यों धरती से विलुप्त हो गए, तो भू-गर्भ विज्ञान में आप एक संतुष्टिप्रद करियर बना सकते हैं। ज्योलॉजी इसका ही एक हिस्सा है। संभावनाओं के लिहाज से देखें तो इस क्षेत्र में अवसरों की कमी नहीं है। धरती की गहराइयों का अध्ययन जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। वह अपने अंदर रहस्यों का पहाड़ छिपाए हुए है। पृथ्वी के भीतर छिपे कुछ प्रतिशत प्राकृतिक संसाधनों से ही आम लोग परिचित हैं। जमीन के अंदर किस तरह की हलचल हो रही है, मिट्टी कैसी है और जमीन के अंदर किस तरह के बहुमूल्य खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, इन सब तथ्यों की जानकारी हमें ज्योलॉजी के द्वारा ही मिल सकती है।

मुख्य विषय

भू-गर्भ विज्ञान में मुख्यतः भूगोल, ज्योलॉजी और ओशियानोग्राफी जैसे विषय होते हैं। भूगोल में जहां पृथ्वी के एरियल डिफ्रेंसिएशन के बारे में जानकारी दी जाती है, वहीं इसके दूसरे कारक जैसे कि मौसम, उन्नयन कोण, जनसंख्या, भूमि का इस्तेमाल आदि का अध्ययन भी किया जाता है। ज्योलॉजी में पृथ्वी के फिजिकल इतिहास का अध्ययन किया जाता है, जैसे पृथ्वी किस तरह की चट्टानों से बनी है और इसमें लगातार किस तरह के परिवर्तन होते रहते हैं। ओशियानोग्राफी में समुद्रों के बारे में अध्ययन किया जाता है।

कोर्स

ज्यादातर क्षेत्रों में भू-गर्भ विज्ञान मास्टर लेवल का कोर्स है। भूगोल और जियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम करने के लिए यह आवश्यक है कि आपने स्नातक स्तर पर इन विषयों की पढ़ाई की हो। इसमें करियर बनाने के लिए आप अर्थ साइंस एमएससी टेक अप्लाइड जियोलॉजी, अप्लाइड जियोफिजिक्स में कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए स्नातक स्तर पर आपके पास जियोलॉजी और फिजिक्स होनी चाहिए। वहीं पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड एमएससी आप अप्लाइड जियोलॉजीए एक्सप्लोरेशन जियोफिजिक्स में कर सकते हैं। इसमें दाखिला बारहवीं के बाद आईआईटी के माध्यम से मिल सकता है। इसके अलावा बीटेक के बाद आप अप्लायड जियोलॉजी में एमटेक कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको गेट परीक्षा का स्कोर कार्ड दिखाना होगा।

कई शाखाएं

गैरतलब है कि अर्थ साइंस की कई शाखाएं हैं। इनमें पर्यावरण अध्ययन, माइनिंग, ज्योटेक्नोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, एटमोस्फेरिक साइंस, जियो हैजार्ड्स,  क्लाइमेट चेंज, ओशनोग्राफी, रिमोट सेंसिंग, एप्लाइड हाइड्रो- ज्योलॉजी, कार्टोग्राफी, ज्योग्राफिक इन्फोर्मेशन आदि प्रमुख हैं। अर्थ साइंस ज्योलॉजी से भिन्न विज्ञान है। ज्योलॉजी में केवल भूतल का ही अध्ययन किया जाता है, जबकि अर्थ साइंस इसकी प्रक्रिया के अध्ययन की बात करता है।

योग्यता

भू-गर्भ विज्ञान से स्नातक करने के लिए अभ्यर्थियों को फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ विषयों सहित दस जमा दो होना अनिवार्य है। इस विषय से स्नातक करने वाले एमए, एमएससी इन ज्योलॉजी करने के योग्य हैं। ज्योलॉजी से पीएचडी वही कर सकता है, जो इस विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन किया हो और यूजीसी द्वारा निर्धारित मानक पूरे करता हो। ज्योलॉजी एवं जियोफिजिक्स से एमटेक भी किया जा सकता है। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालयों, कालेजों एवं संस्थानों के अलग-अलग मानक हैं। इसमें दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, जिसमें सफल अभ्यर्थियों को मैरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

* पीजी कालेज, धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)

* इंडियन स्कूल ऑफ  साइंस, धनबाद

* पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़

* बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

* दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

* पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़

* जम्मू विश्वविद्यालय

* कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र

इतिहास

जियोफिजिक्स का पहली बार इस्तेमाल 1799 में विलियम लेंबटन ने एक सर्वे के लिए किया था, वहीं 1830 में गुरुत्व क्षेत्र का अध्ययन कर्नल जॉर्ज एवरेस्ट ने किया था। तेल के अन्वेषण के लिए पहली बार जियोफिजिक्स का प्रयोग 1923 में बर्मन ऑयल कारपोरेशन ने किया था। इलेक्ट्रिकल सर्वे पहली बार 1933 में भारत में नीलोर और सिंघबम जिले में पीपमेयर और केलबोफ  द्वारा किया गया। पहली बार किसी भारतीय एमबीआर राव ने 1937 में मैसूर में जमे सल्फाइड अयस्क के लिए इसका प्रयोग किया। जियोफिजिक्स की शिक्षा पहली बार 1949 में आंध्र और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उपलब्ध करवाई थी।

ज्योलॉजिस्ट का कार्यक्षेत्र

ज्योलॉजिस्ट प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण का आकलन करने के साथ पृथ्वी में छिपी खनिज संपदा, पुलों, सड़कों, इमारतों और रेलवे लाइन बिछाने के समय उपयुक्त जगह चिन्हित करते हैं। इतना ही नहीं, भू-भौतिक व रासायनिक परीक्षण करके मिट्टी की गुणवत्ता निर्धारित करते हैं, जिसके चलते भी प्राइवेट और सरकारी तेल व खनन कंपनियों में ज्योलॉजिस्ट की मांग बढ़ी है।

संभावनाएं

ज्योलॉजी से स्नातक, परास्नात एवं पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों की आजकल काफी मांग है। ज्योलॉजी के स्टूडेंट्स के लिए अनुसंधान, शिक्षण, औद्योगिक, भू-वैज्ञानिक एजेंसियों, कृषि, वन सेवा, पर्यावरण, अंतरिक्ष, समुद्रीय प्रशासन में करियर उपलब्ध हैं। वह शोधकर्ता, शिक्षक और लेखक के रूप में भी करियर बना सकता है। यूपीएससी इसके लिए हर वर्ष परीक्षा लेती है।  इसके अलावा भू-विज्ञान की शिक्षा देने वाले संस्थानों में ज्योलॉजी स्कॉलर की नियुक्ति उसकी योग्यता के अनुसार महत्त्वपूर्ण पदों पर होती है। इन पाठ्यक्रमों को करने के बाद  नियुक्ति इकॉनोमिक, ज्योलॉजिस्ट, एटमॉस्फेयरिक साइंटिस्ट, एन्वायरनमेंटल ज्योलॉजिस्ट, इंजीनियरिंग ज्योलॉजिस्ट के पदों पर हो सकती है।

वेतनमान

इस क्षेत्र में वेतनमान निर्भर करता है कि आप ने किस क्षेत्र में किस पद पर ज्वाइन किया है। सरकारी क्षेत्र में अध्यापन के क्षेत्र में जाने पर  40 हजार तक आरंभिक वेतन मिल जाता है। अनुभव और सीनियोरिटी के अनुसार वेतन में बढ़ोतरी होती रहती है। अगर आप प्राइवेट सेक्टर में हैं, तो कई कंपनियां अच्छा सैलरी पैकेज देती हैं। यदि आप विदेशी कंपनियों में इस करियर क्षेत्र में उतरते हैं, तो हर महीने लाखों का सैलरी पैकेज  भी पा सकते हैं।

विषय की प्रकृति

पृथ्वी के उद्भव विकास तथा इसके भीतर और बाहर चलने वाली हलचलों को जानना बहुत रोचक है। क्या अन्य ग्रहों पर कोई जीवन है? शुक्र, मंगल और चंद्रमा आदि पर कौन-कौन से खनिज संसाधन हैं? सिंकुड़ते ग्लेशियरों का महासागरों तथा जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इन बातों का अध्ययन कर डाटा एकत्र करने के बाद उसका विश्लेषण कर निष्कर्ष पर पहुंचने का काम अर्थ साइंस विषय में शामिल है।


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