करोड़ों के अस्पताल, स्वास्थ्य सुविधाएं नाम की

By: Sep 17th, 2017 12:05 am

सरकार की ओर से करोड़ों की लागत से भवनों को तो यहां तैयार कर दिया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य सुिवधा के नाम पर आज भी लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी के चलते और अस्पताल में बेहतर सुविधा होने के बाद भी मरीजों को चंडीगढ़ व शिमला को रैफर किया जाता है। ऐसे में उन करोड़ों के भवन का क्या लाभ, जहां पर जनता को सुविधा के नाम आधी अधूरी सुविधा मिलती है। सरकार करोड़ोें खर्च कर भवनों को बना तो देते हैं, लेकिन जबकि जनता को करोड़ों के भवन नहीं बल्कि डाक्टर और बाकी सुविधाओं की आवश्यकता अधिक है। कहने को तो जिला अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधा काफी अधिक मिल रही है, लेकिन जब मरीज अस्पताल पहुंचता है तो उन्हें सुविधा के नाम कुछ खास नहीं मिल पाता है। दवाइयां अधिकतर निजी स्टोर से लेनी पड़ती हैं। मरीज के रैफर करने पर एंबुलेंस के लिए भी दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं। यही नहीं, रात के समय तो मरीजों को इतना अधिक परेशान होना पड़ता है कि डाक्टर की सुविधा न मिलने पर निजी अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है।

रात को होती है सबसे ज्यादा दिक्कत

ज्योति ठाकुर का कहना है कि करोड़ों के भवन भले की आधुनिक सुविधा से लैस बनाए जाएं, लेकिन अगर मरीजों को रात के समय स्वास्थ्य सुविधा के लिए परेशान होना पड़े तो उस आधुनिक भवन का क्या लाभ। सुबह के समय में कई घंटों तक डाक्टर के कक्ष के बाहर मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। इसके चलते कई बार मरीजों को निजी अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है।

विशेषज्ञों की खलती है हर वक्त कमी

हेमराज का कहना है कि विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी से कई बार यहां जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी को पूरा किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों की कमी के कारण ही यहां कई बार मरीजों को बेहतर उपचार न होने पर बाहरी राज्यों के लिए रैफर कर दिया जाता है। इस कारण मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पाता।

जरूरत पर नहीं मिल पाती एंबुलेंस तक

सुनिधि ठाकुर का कहना है कि जब कई बार मरीजों को रैफर कर दिया जाता है तो भारी परेशानी यहां एंबुलेंस के लिए भी झेलनी पड़ती है।  सिफारिश वालों को पहले एंबुलेंस मिल जाती है। हालांकि एंबुलेंस  को लेकर पहले से काफी अधिक सुविधा की गई है, लेकिन फिर भी अभी तक एंबुलेंस आसानी से नहीं मिल पाती है। यहां और एंबुलेंस मिलनी चाहिए।

अस्पताल में न हो किसी के साथ कोई भेदभाव

छापे राम का कहना है कि कई बार मरीजों के साथ  भेदभाव किया जाता है, जो पैसे वालों का नंबर लंबी लाइन में भी पहले आ जाता है।  घंटों लाइन में जो सुबह से डाक्टर के कक्ष के बाहर खड़े रहते हैं, उनका नंबर देरी से आता है। ऐसा भेदभाव नहीं होना चाहिए।


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